अगर 22 जनवरी को नहीं होती राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा, तो करना पड़ता 50 सालों का इंतजार; एक चूक पड़ सकती थी भारी

वाल्मीकि धर्म समाज के धर्मगुरु डा. देव सिंह अद्वैती महाराज का अयोध्या प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से वापसी के बाद रामनगर में स्वागत किया गया। डा. अद्वैती ने अयोध्या में रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में वाल्मीकि धर्म समाज की ओर से प्रतिनिधित्व किया था।

बुधवार को डा. देव सिंह अद्वैती अयोध्या से रामनगर पहुंचे। अपने स्वागत कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि 22 जनवरी ही एक ऐसा योग था जो उचित था। अगर यह योग चूक जाता तो हमें 50 साल तक इंतजार करना पड़ता। बरसों से देखे सपने को पूरा होने में अभी और समय लग जाता।

महर्षि वाल्मीकि को लेकर की चर्चा

महाराज ने समाज के लोगों से सीतावनी में महर्षि वाल्मीकि को लेकर भी चर्चा की। स्वागत कार्यक्रम में वाल्मीकि समाज तथा अन्य सभी संगठनों से आए धार्मिक प्रतिनिधि तथा राजनीतिक प्रतिनिधि शामिल रहे। कार्यक्रम को विधायक दीवान सिंह बिष्ट, आरएसएस के संचालक अजय अग्रवाल, नगर अध्यक्ष जोशी ने संबोधित किया।

ये लोग रहे मौजूद

नागा मंदिर मठ के धर्मगुरु संत पीसी पांडे, उत्तराखंड प्रदेश प्रभारी इंद्रपाल सिंह, कुमाऊं मंडल प्रभारी अमरेश पवार, प्रदेश सचिव शुभम कुमार, अर्जुन भारतीय, वाल्मीकि समाज के नगर अध्यक्ष प्रभात वैद्ध, महिला मोर्चे की अध्यक्ष गीता देवी, पूजा मुन्नी, स्वाति, कल्पना, ममता, कमलेश, हरीश आदि मौजूद रहे।

22 जनवरी को हुई थी राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा

500 सालों के इंतजार के बाद आखिरकार प्रभु श्रीराम का दिव्य और भव्य मंदिर अयोध्या में बनकर तैयार हो गया। 22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की गई और इसी के साथ ही अयोध्या नगरी में प्रभु श्रीराम विराजमान हो गए। इसी के साथ ही देश के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया।

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