‘शास्त्रार्थ करें, पराजित हुए तो जल समाधि ले लेंगे…’ प्राण प्रतिष्ठा का आधार गलत बताने पर शंकराचार्य को चुनौती

अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का भव्य समारोह आयोजित होने जा रहा है. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तरफ से इस पावन अवसर का साक्षी बनने के लिए साधु-संतों के साथ गणमान्य लोगों को निमंत्रण भेजा गया है. देश के चार पीठों के शंकराचार्यों को भी इसके लिए आमंत्रित किया गया है, लेकिन दो शंकराचार्यों ने मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा की धार्मिक शास्त्र परंपरा का पालन होने का सवाल खड़ा करते हुए प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में जाने से इनकार कर दिया है.

शंकराचार्यों के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में जाने को लेकर किए गए सवाल का विवाद अभी थमता नजर नहीं आ रहा है. उनके सवालों का जवाब देते हुए श्रीमद् जगतगुरु वैदेही वल्लभ देवाचार्य ने चुनौती दे डाली है. उन्होंने शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती से प्राण-प्रतिष्ठा की धार्मिक शास्त्र परंपरा पर शास्त्रार्थ करने की चुनौती दी है. वैदेही वल्लभ देवाचार्य ने कहा है कि जो भी इस विषय में हार जाएगा वो जल समाधि लेगा.

‘शंकराचार्य को हिंदू धर्म शास्त्र का पूर्ण ज्ञान नहीं’

श्रीमद् जगतगुरु वैदेही वल्लभ देवाचार्य का कहना है कि जिस शंकराचार्य ने प्राण-प्रतिष्ठा के इस आधार को लेकर अपना विरोध दर्ज कराया है, उन्हें खुद ही हिंदू धर्म शास्त्र का पूर्ण ज्ञान नहीं है. उनका कहना है कि तुलसी पीठ के प्रमुख जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य सहित स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती भी इसके आधार को धर्म शास्त्र सम्मत होने की विधिवत पुष्टि कर चुके हैं. बावजूद इसके अगर शंकराचार्य आग्रह कर रहे हैं तो उनको शास्त्रार्थ की खुली चुनौती है.

शास्त्रार्थ करें, जो भी पराजित होगा जल समाधि लेगा

उन्होंने कहा है कि शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती मुझसे या जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य से इस विषय पर शास्त्रार्थ करें, जो भी पराजित होगा वह जल समाधि लेगा. वैदेही वल्लभ देवाचार्य रामानंद संप्रदाय की सबसे बड़ी पीठ राजस्थान की विजय राम रावल द्वारा पीठ पाली के पीठाधीश्वर हैं. शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने राम मंदिर में होने वाली प्राण प्रतिष्ठा को लेकर कहा था कि मंदिर अभी पूरी तरह से बना नहीं है. उनका मानना है कि अधूरे मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा शास्त्र के विपरीत है. शंकराचार्य के इस वक्तव्य के आधार को रामानंद संप्रदाय के श्रीमद् जगद्गुरु वैदेही वल्लभ देवाचार्य ने चुनौती दी है.

दो शंकराचार्यों ने किया प्राण-प्रतिष्ठा का स्वागत

इस बीच श्रृंगेरी शारदा पीठ के वर्तमान शंकराचार्य अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु भारती तीर्थ और शंकराचार्य मठ द्वारकाशारदा पीठ गुजरात के जगद्गुरु शंकराचार्य ने राम मंदिर निर्माण और प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का स्वागत किया है. पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि उन्हें अयोध्या से कोई परहेज हो ही नहीं सकता. उनका तर्क है कि रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए न्योता मिला है, लेकिन इसमें उन्हें केवल एक आदमी के साथ आने के लिए कहा गया है.
यदि 100 आदमी के साथ भी आने का न्योता होता तो भी वह इस समारोह में नहीं जाते. वहीं, शंकराचार्य मठ द्वारकाशारदा पीठ गुजरात के जगद्गुरु शंकराचार्य ने कहा कि राम मंदिर बनने से लगभग 500 वर्षों का विवाद समाप्त हुआ है. उन्होंने अयोध्या में होने जा रहे राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के सभी कार्यक्रम वेद शास्त्र अनुसार धर्म शास्त्रों के मर्यादा का पालन करते हुए विधिवत संपन्न कराने की बात कही.

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