केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में गुरुवार को 594 नए कोविड-19 संक्रमण के मामले दर्ज किए गए हैं. इससे कोरोना के एक्टिव मामलों की संख्या 2311 से बढ़कर 2669 हो गई है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि आने वाले समय में कोरोना के मामले बढ़ सकते हैं क्योंकि भारत में कोरोना के नए सब-वैरिएंट जेएन.1 के भी मामले सामने आ गए हैं. जेएन.1 यह ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट BA.2.86 से बना है और 2022 की शुरुआत में BA.2.86 ने ही तबाही मचाई थी.
सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि JN.1 कोविड-19 वैरिएंट दुनिया भर में तेजी से फैल रहा है. WHO ने पहले ही इसे ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ बताया है. लेकिन क्या इससे कोई गंभीर खतरा है? यदि हां तो यह कितना चिंताजनक है? और यदि नहीं, तो हमें इसे कब गंभीर चिंता का विषय मानना चाहिए? आइए जानते हैं.
क्या इससे कोई गंभीर खतरा पैदा हुआ है?
नीति आयोग के मेंबर (हेल्थ) वीके पॉल ने कहा, ‘जेएन.1 वैरिएंट के कारण कोविड मामलों में वृद्धि हुई है लेकिन इसके कारण गंभीर मामलों की संख्या में कोई वृद्धि नहीं हुई है. यह वही वायरस है जो अन्य देशों में भी फैल रहा है.
WHO का कहना है, ‘JN.1 वैरिएंट के स्वास्थ्य प्रभाव को जानने के लिए और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है. जेएन.1 मजबूत इम्यूनिटी वालों को भी चपेट में ले रहा है. जिन देशों में सर्दी पड़ रही है, उन्हें भी सावधान रहना चाहिए.’
WHO की पूर्व साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा, ‘मौसमी फ्लू जैसे इन्फ्लूएंजा ए (एचआईएन1 और एच3एन2), एडेनोवायरस, राइनोवायरस और रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस के कारण होने वाले श्वसन संक्रमण, मानसून से संबंधित बीमारियों का कारण बन सकते हैं क्योंकि इनके लक्षण भी कोविड-19 लक्षणों जैसे ही होते हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘लक्षणों वाले हर व्यक्ति की टेस्टिंग करना संभव नहीं है इसलिए जिन्हें गंभीर लक्षण नजर आ रहे हैं, उनकी जांच करनी चाहिए. वहीं जो लोग हॉस्पिटल में एडमिट हैं और उन्हें गंभीर श्वसन संक्रमण या निमोनिया है, उनकी भी जांच करनी चाहिए.’
जेएन.1 वैरिएंट के लक्षण
कोविड-19 के लक्षण फिलहाल हर वैरिएंट्स में कॉमन रहे हैं. सीडीसी के मुताबिक, जेएन.1 वैरिएंट अन्य वैरिएंट्स की तुलना में नए लक्षण के साथ फैल भी सकता है और नहीं भी. अभी तक कोरोना के मरीजों में सबसे अधिक जो लक्षण नजर आ रहे हैं, उनमें बुखार, नाक बहना, गले में खराश, सिरदर्द और हल्के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण शामिल हैं.
क्या हमें मास्क पहनना चाहिए?
पब्लिक हेल्थ के पूर्व डायरेक्टर डॉ. के. कोलंदाइसामी कहते हैं, ‘शादी हॉल, ट्रेनों और बसों जैसी बंद भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनना एक अच्छा विचार है. यह कोविड सहित कई हवा से फैलने वाली बीमारियों से आपको बचाकर रखता है. लेकिन अभी मास्क को अनिवार्य करने की कोई आवश्यकता नहीं है.’
‘बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए. यदि वे ऐसा करते हैं, तो उन्हें मास्क अवश्य पहनना चाहिए. श्वसन संबंधी संक्रमण, सर्दी और खांसी वाले लोगों को भी भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनें.’
क्या बूस्टर डोज लेना जरूरी?
गंभीर बीमारी को रोकने में वैक्सीन ने अच्छा काम किा है लेकिन फिर भी कई लोगों की इम्यूनिटी कमजोरी देखी गई है क्योंकि जिन लोगों को वैक्सीन की दो खुराक पहले ही लगी थीं, वे लोग भी संक्रमित हो रहे हैं.
जेएन.1 को इसकी ट्रांस-मिसेबिलिटी के कारण WHO द्वारा ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ कहा गया है. भारत समेत कई देशों में वैक्सीन के अपडेटेड वर्जन पहले से ही उपलब्ध हैं.
अपोलो हॉस्पिटल के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. वी रामसुब्रमण्यम ने कहा, “बुजुर्गों, अन्य गंभीर बीमारियों और पुरानी बीमारी वाले लोगों को वैक्सीनेशन जरूर करा लेना चाहिए.’