तालिबान सरकार के उप विदेश मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई ने कहा है कि नई दिल्ली में अफगान दूतावास अगले कुछ दिनों में फिर से काम करना शुरू कर देगा. अफगानी ब्रॉडकास्टर आरटीए के साथ बातचीत में स्तानिकजई ने बताया कि हैदराबाद और मुंबई में अफगान वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों ने काबुल से निर्देश के बाद नई दिल्ली स्थित दूतावास का दौरा किया है.
तालिबान नेता ने कहा कि अफगानिस्तान पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध चाहता है. राजदूत फरीद ममुंडजे के नियंत्रण वाले अफगान मिशन ने कुछ दिन पहले ही एक बयान में ‘भारत सरकार की लगातार चुनौतियों’ का हवाला देते हुए नई दिल्ली स्थित दूतावास को स्थायी रूप से बंद करने की घोषणा थी. अफगान दूतावास में फरीद ममुंडजे और अन्य राजनयिकों की नियुक्ति पूववर्ती अशरफ गनी सरकार के कार्यकाल के दौरान हुई थी, पिछले कुछ महीनों से वह भारत से बाहर हैं.
अप्रैल-मई में अफगान दूतावास में सत्ता संघर्ष देखा गया था
इससे पहले 30 सितंबर को भी अफगानिस्तानी दूतावास ने ‘मेजबान सरकार से समर्थन की कमी’ का आरोप लगाते हुए 1 अक्टूबर से कामकाज बंद करने की घोषणा की थी. इस अप्रैल-मई में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि तालिबान ने ममुंडजे की जगह मिशन का नेतृत्व करने के लिए नया प्रभारी नियुक्त किया है. इसके बाद नई दिल्ली स्थित अफगान दूतावास में सत्ता संघर्ष देखा गया था. इस प्रकरण के बाद, दूतावास ने एक बयान जारी कर कहा कि उसके नेतृत्व में कोई बदलाव नहीं हुआ है.
तालिबान ने कादिर शाह को नया राजदूत नियुक्त किया था
सत्ता के लिए खींचतान तब शुरू हुई जब कादिर शाह, जो 2020 से अफगान दूतावास में ट्रेड काउंसलर के रूप में काम कर रहे थे, ने अप्रैल के अंत में भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) को पत्र लिखकर दावा किया कि उन्हें तालिबान द्वारा नई दिल्ली स्थित अफगानी दूतावास में प्रभारी डी’एफेयर के रूप में नियुक्त किया गया है.
अफगानिस्तान में तालिबान शासन को भारत की मान्यता नहीं
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत ने अभी तक अफगानिस्तान में तालिबान सरकार की स्थापना को मान्यता नहीं दी है और काबुल में समावेशी सरकार के गठन की वकालत कर रहा है. इसके अलावा इस बात पर जोर दे रहा है कि अफगान धरती का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं किया जाना चाहिए.