जम्मू-कश्मीर में अमेरिकन M4 राइफल सुरक्षा बलों के लिए बड़ा खतरा बनती जा रही है. अखनूर आतंकी हमले में मारे गए आतंकियों के पास से M4 राइफल बरामद की गई है. इस घटना ने सुरक्षाबलों को चिंता में डाल दिया है. सिक्योरिटी फोर्सेस लगातार इस बात को लेकर आंकलन कर रही हैं कि आखिर जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के पास M4 राइफल कैसे पहुंच रही हैं. यह एक खतरनाक अमेरिकन राइफल है.
सूत्रों का दावा है कि ये वही राइफल्स हैं, जिसे अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना छोड़कर चली गई थी. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI की मदद से पाकिस्तानी आतंकियों को M4 राइफल मिल रही है और इसे लेकर वह जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ कर रहे हैं. यह राइफल इतनी खतरनाक है कि बुलेट प्रूफ गाड़ियों पर भी इन राइफल्स के जरिए हमला किया जा सकता है.
सुरक्षाबलों पर फायर किए जा रहे स्टीप बुलेट
M4 राइफल के साथ-साथ आतंकियों के पास से M4 कार्बाइन भी बरामद हो रहे हैं. पिछले दिनों जो स्टील बुलेट सुरक्षाबलों पर दागे गए, उसमें M4 राइफल का इस्तेमाल किया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक इस वक्त जितने भी आतंकी घुसपैठ कर रहे हैं, उनके पास एके-47 राइफल और M4-कार्बाइन मौजूद है. इसके जरिए सुरक्षाबलों पर स्टील बुलेट फायर की जा रही है. यह खतरनाक गोली M4-राइफल के जरिए दागी जाती है, जिससे आतंकी सुरक्षाबलों को काफी नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं.
सबसे पहले 2017 में हुई कश्मीर में एंट्री
सूत्रों ने यह भी दावा किया है कि M4 राइफल की एंट्री पहली बार जम्मू-कश्मीर में 2017 में हुई थी, जब सुरक्षा बलों ने जैश के सरगना मसूद अजहर के भतीजे ताल्हा रशीद मसूद को पुलवामा में देर किया था. कठुआ और रियासी में हुए आतंकी हमले में M4 राइफल का इस्तेमाल किया गया था. इसके साथ ही पुंछ और राजौरी में हुए आतंकी हमले में भी अमेरिकन M4 राइफल का इस्तेमाल करने की जानकारी सुरक्षा बलों को मिली थी.
बर्फबारी से पहले घुसपैठ करने की होगी कोशिश
हाल ही में एक खुफिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि लॉन्च पैड पर भारी संख्या में आतंकवादियों को इकट्ठा किया गया है, जिसमें निर्देश दिए गए हैं कि आतंकियों को बर्फबारी से पहले जम्मू कश्मीर में ज्यादा से ज्यादा घुसपैठ कराई जाए. इस प्लान को लेकर पाक अधिकृत कश्मीर(POK) में के एक बड़ी मीटिंग हुई है. इस मीटिंग में पाकिस्तानी एजेंसी ISI और आतंकवादियों के बड़े कमांडर मौजूद थे.
फिदायीन हमलों को अंजाम देने की भी तैयारी
POK में हुई आतंकियों की मीटिंग में अमेरिकी मेड M4 कार्बाइन आतंकियों के साथ घाटी में भेजे जाने को लेकर भी चर्चा हुई. सूत्रों के मुताबिक बैठक में कहा गया कि कश्मीर घाटी में हथियारों की सप्लाई के साथ-साथ बड़े फिदायीन हमलों को अंजाम दिया जाए. इन हमलों के लिए आतंकवादियों तक लॉजिस्टिक सपोर्ट पहुंचाने के लिए ओवर ग्राउंड वर्कर्स का सहारा लेने की भी बात भी कही गई.
क्या होता है अमेरिकी असॉल्ट राइफल M4 कार्बाइन
जम्मू कश्मीर में आतंकियों के जरिये इस्तेमाल हो रहा असॉल्ट राइफल M4 कार्बाइन, असॉल्ट राइफल एक हल्का, गैस संचालित, एयर कूल्ड, मैगजीन से चलने वाला हथियार है. यह कई वैरिएंट में उपलब्ध है. यह राइफल 1 मिनट में 700-900 राउंड गोलियों को दागने में सक्षम है. इसकी प्रभावी फायरिंग रेंज 500-600 मीटर तक है, जिसमें अधिकतम फायरिंग रेज 3,600 मीटर है.
अमेरिकी सेना छोड़ गई थी 7 बिलियन के हथियार
रक्षा मामलों के जानकारों की मानें तो जम्मू और कश्मीर में आतंकियों का लगातार इस असॉल्ट राइफल का इस्तेमाल करना चिंताजनक है. यह 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी का संभावित नतीजा हो सकता है. आपको बता दे कि जब अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना गई थी उस समय, 7 बिलियन डॉलर से ज्यादा कीमत के हथियार और साजो सामान अफगानिस्तान में छोड़ गई थी. इसमें 3 लाख से ज्यादा छोटे हथियार शामिल थे, इसके साथ हजारों की संख्या में M4 राइफल भी छोड़ गए थे. खुफिया सूत्रों के मुताबिक यह हथियार अफगानिस्तान के रास्ते पाकिस्तान में आतंकवादियों तक पहुंचे. इसके बाद जम्मू कश्मीर में आतंकी इसका इस्तेमाल सुरक्षा बलों के कर रहे हैं.