कश्मीर में पिछले 36 घंटे में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच श्रीनगर, बांदीपोरा और अनंतनाग में 3 एनकाउंटर हुए। इनमें 4 जवान घायल हो गए और 3 आतंकी मारे गए।
श्रीनगर के खान्यार में एक घर में 2 से 3 आतंकी छिपे थे। सेना ने घर को बम से उड़ा दिया है। इसमें एक पाकिस्तानी आतंकी मारा गया। घटनास्थल से आतंकी की बॉडी और गोला-बारूद बरामद किए गए हैं।
श्रीनगर में 2 CRPF जवान और 2 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। 15 सितंबर 2022 के बाद यह पहली आतंकी वारदात है। तब एनकाउंटर में दो आतंकी मारे गए थे। उधर, बांदीपोरा में एनकाउंटर जारी है।
वहीं अनंतनाग में शनिवार को सुरक्षाबलों ने एनकाउंटर में 2 आतंकियों को ढेर कर दिया। शांगुस लार्नू के जंगल में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच शनिवार सुबह एनकाउंटर शुरू हुआ था। यहां 3 आतंकियों के छिपे होने की जानकारी थी। तीनों जगहों पर सर्च ऑपरेशन जारी है।
इससे पहले शुक्रवार रात को बडगाम में आतंकियों ने गैर कश्मीरियों पर हमला किया था। इसमें UP के दो लोग घायल हुए, जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है। ये बडगाम में जल जीवन प्रोजेक्ट में काम कर रहे थे।
फारूक बोले- आतंकी को मारा न जाए, उन्हें गिरफ्तार करें नेशनल कॉन्फ्रेंस के चीफ फारूक अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा- जम्मू-कश्मीर में सरकार बनने से पहले आतंकी हमलों में तेजी क्यों नहीं आई। इसकी जांच होनी चाहिए कि यह कौन कर रहा है। अब्दुल्ला ने कहा कि श्रीनगर के खान्यार में मौजूद आतंकी को मारा नहीं जाना चाहिए, बल्कि उन्हें गिरफ्तार करना चाहिए, ताकि पता लगाया जा सके कि क्या उमर सरकार को अस्थिर करने का काम किसी एजेंसी को सौंपा गया है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद फल-फूल रहा था। आतंकवाद अपने सबसे निचले स्तर पर था, इसलिए मैं जांच की मांग कर रहा हूं।
श्रीनगर सांसद बोले- हमले के लिए भाजपा सरकार जिम्मेदार बडगाम आतंकी हमले पर श्रीनगर सांसद रूहुल्लाह मेहदी ने कहा कि इसके लिए केंद्र की भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। विधानसभा चुनावों के तुरंत बाद हमलों में तेजी आई है।
उन्होंने X पोस्ट में लिखा- मजहामा बडगाम में नागरिकों पर आतंकवादी हमले की खबर से दुखी हूं। पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ मेरी सहानुभूति और प्रार्थनाएं। भाजपा सरकार जो सीधे जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा को नियंत्रित करती है, उसे इन बार-बार की विफलताओं के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। साथ ही यह भी पूछना चाहता हूं कि हालिया चुनावों के तुरंत बाद इन हमलों में अचानक वृद्धि क्यों हुई?
अक्टूबर में आतंकियों के 5 हमले
28 अक्टूबर: अखनूर में 3 आतंकी ढेर हुए। LoC के पास आतंकियों ने आर्मी एंबुलेंस पर फायरिंग की थी। इसके बाद वे जंगल की ओर भाग गए थे। 5 घंटे तक चले एनकाउंटर में सेना का कोई जवान घायल नहीं हुआ।
24 अक्टूबर: बारामूला में सेना की गाड़ी पर आतंकियों के हमले की जिम्मेदारी PAFF संगठन ने ली थी। पुलिस ने बताया था आतंकी हमला करके जंगल की ओर भाग गए थे।
24 अक्टूबर: दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के बटगुंड में आंतकवादियों ने मजदूर पर गोलीबारी की। हमले में मजदूर घायल हो गया, जिसका इलाज चल रहा है।
20 अक्टूबर: गांदरबल के सोनमर्ग में कश्मीर के डॉक्टर, MP के इंजीनियर और पंजाब-बिहार के 5 मजदूरों की जान गई थी। इसकी जिम्मेदारी लश्कर के संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली।
16 अक्टूबर: शोपियां में आतंकियों ने गैर-स्थानीय युवक की गोली मारकर हत्या कर दी थी। हमले के बाद इलाके में आतंकियों को ढूंढने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया गया।
घाटी में गैर-कश्मीरियों की हत्या का कारण
खुफिया एजेंसियों ने बताया था कि टारगेट किलिंग पाकिस्तान की कश्मीर में अशांति फैलाने की नई साजिश है। माना जा रहा है कि इसका मकसद, आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की योजनाओं पर पानी फेरना है।
आर्टिकल 370 हटने के बाद से ही कश्मीर में टारगेट किलिंग की घटनाएं बढ़ी हैं, जिसमें खास तौर पर आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों, प्रवासी कामगारों और यहां तक कि सरकार या पुलिस में काम करने वाले उन स्थानीय मुस्लिमों को भी निशाना बनाया है, जिन्हें वे भारत का करीबी मानते हैं।