हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों का आगामी महाराष्ट्र चुनाव पर पड़ने वाले असर के बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि निश्चित तौर पर इससे भारतीय जनता पार्टी (BJP) का मनोबल तो बढ़ेगा ही, साथ ही सत्तारूढ़ ‘महायुति’ गठबंधन में राजनीतिक सौदेबाजी की उसकी ताकत भी बढ़ेगी. इसके उलट, लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में बेहतर प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस की स्थिति महा विकास आघाडी (एमवीए) में सीट बंटवारे को लेकर चर्चा के दौरान कमजोर हो सकती है.
हरियाणा में बीजेपी ने सत्ता की ‘हैट्रिक’ लगाई है, जबकि जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन ने सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़े को हासिल कर लिया है. मतदाताओं ने दोनों स्थानों पर विजेताओं को निर्णायक बढ़त दी, जिससे कई लोगों को आश्चर्य हुआ.
राजनीतिक विश्लेषक अभय देशपांडे ने कहा कि सीट बंटवारे पर शुरुआती बातचीत (महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति के घटकों के बीच) के दौरान, लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के लिए बीजेपी की आलोचना की गई थी. हालांकि, उन्होंने कहा कि हरियाणा का प्रदर्शन यह संदेश देगा कि बीजेपी ने आम चुनावों के प्रदर्शन के बाद वापसी की है.
‘महाराष्ट्र का राजनीतिक परिदृश्य हरियाणा से अलग’
देशपांडे ने कहा कि इसके अलावा बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को छोड़कर विपक्षी एमवीए में शामिल को तैयार नेता भी अपने फैसले पर अब पुनर्विचार करेंगे. उन्होंने कहा कि दूसरी ओर कांग्रेस को अपने सहयोगी दलों राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) और शिवसेना (यूबीटी) के साथ सीट बंटवारे पर चर्चा करते समय नरम रुख अपनाना होगा. हालांकि, उन्होंने आगाह किया कि महाराष्ट्र का राजनीतिक परिदृश्य हरियाणा से अलग है.
अभय देशपांडे ने कहा, ‘‘उत्तरी राज्य में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी लड़ाई थी, लेकिन महाराष्ट्र में छह दल हैं. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना, वंचित बहुजन आघाडी और कुछ छोटे क्षेत्रीय दल भी राजनीतिक अखाड़े में मौजूद हैं. इसके अलावा, हरियाणा के मतदान की तुलना महाराष्ट्र से नहीं की जा सकती. उन्होंने बताया कि मराठा बनाम ओबीसी और धनगर बनाम अनुसूचित जाति जैसे मुद्दे हरियाणा में मौजूद नहीं हैं. देशपांडे ने कहा, ‘‘ये जातिगत समीकरण जटिल हैं और पश्चिमी राज्य में मतदान की परिपाटी कुछ हद तक प्रभावित कर सकते हैं.”
जनादेश 4 महीने के भीतर बदल सकता है- प्रकाश अकोलकर
वहीं राजनीतिक टिप्पणीकार प्रकाश अकोलकर ने कहा कि एमवीए को कांग्रेस के उदाहरण से बहुत कुछ सीखना होगा. उन्होंने कहा कांग्रेस लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन से उत्साहित है और वह कोंकण जैसे क्षेत्रों में सीट पर दावा कर रही है, जहां उसकी उपस्थिति बहुत कम है.
अलोलकर ने कहा, ‘‘कांग्रेस को समझना चाहिए कि जनादेश चार महीने के भीतर बदल सकता है. उसे सीट बंटवारे की बातचीत में अनावश्यक दावे नहीं करने चाहिए.” उन्होंने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस की हार के पीछे गुटबाजी एक कारण हो सकती है और उसे महाराष्ट्र में अपनी स्थिति दुरुस्त करनी होगी.
उन्होंने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) को भी ‘देशद्रोही’ और ‘विश्वासघात’ जैसे विषयों को दोहराने के बजाय लोगों को यह बताने का प्रयास करना चाहिए कि वह उन्हें क्या दे सकती है.
श्रीकांत शिंदे ने क्या कहा?
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना के सांसद और उनके बेटे श्रीकांत शिंदे ने कहा कि हरियाणा के मतदाताओं की तरह महाराष्ट्र के मतदाता भी ‘विभाजनकारी रणनीति’ को खारिज करेंगे और ‘डबल इंजन’ वाली सरकार की ओर से दी जाने वाली स्थिरता और प्रगति को चुनेंगे.
‘चुनाव परिणामों से महायुति में उत्साह’
अजित पवार नीत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि हरियाणा का जनादेश ‘निवर्तमान’ और ‘भावी’ नेताओं को अपने राजनीतिक कदमों पर पुनर्विचार करने पर मजबूर करेगा. उन्होंने कहा कि चुनाव परिणामों से महायुति के सहयोगी दलों शिवसेना, बीजेपी और एनसीपी में उत्साह है
हालांकि, कांग्रेस नेताओं ने इस धारणा को खारिज कर दिया कि ‘महायुति’ हरियाणा की तरह महाराष्ट्र में भी चुनावी सफलता हासिल करेगी. वरिष्ठ नेता रमेश चेन्निथला ने कहा कि हरियाणा के नतीजे का महाराष्ट्र चुनावों पर कोई असर नहीं पड़ेगा और पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल नहीं टूटा है. महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव अगले महीने होने की संभावना है.