15 फरवरी 2017 की तारीख थी, ISRO ने श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से पहली बार 104 सैटेलाइट एकसाथ लॉन्च किए थे. लॉन्चिंग PSLV-C37 रॉकेट से की गई थी. तब से इस रॉकेट का ऊपरी हिस्सा यानी PS4 सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में तय ऑर्बिट में छोड़ने के बाद चक्कर लगा रहा था.
इस हिस्से को लगातार USSPACECOM लगातार ट्रैक कर रही थी. यह हिस्सा धरती के चारों तरफ 470X494 km आकार वाली लगभग अंडाकार कक्षा में चक्कर लगा रहा था. धरती की ग्रैविटी के चलते धीरे-धीरे नीचे आ रहा था. आप इसके नीचे आने का साल-दर-साल का ग्राफ यहां देख सकते हैं.
6 अक्टूबर 2024 को यह हिस्सा आखिरकार करीब 8 साल बाद धरती पर लौटा. वायुमंडल को पार किया. उसके बाद सीधे उत्तरी अटलांटिक महासागर में गिर गया. इसरो का सेफ एंड सस्टेनेबल स्पेस ऑपरेशंस मैनेजमेंट सितंबर से इसे लगातार ट्रैक कर रहा था, ताकि इसके गिरते समय होने वाले नुकसानों से लोगों और दुनिया को बचाया जा सके. इस रॉकेट ने लॉन्चिंग के आधे घंटे के अंदर सभी सैटेलाइट्स को उनकी कक्षा में तैनात कर दिया था.
कौन-कौन से सैटलाइट लॉन्च किए थे इस रॉकेट ने?
PSLV-C37 मिशन में कुल मिलाकर 104 सैटेलाइट्स लॉन्च किए गए थे. पहला था कार्टोसैट-2डी (Cartosat-2D). यह अघोषित रूप से भारतीय मिलिट्री के काम आता है. कहते हैं कि सर्जिकल और एयरस्ट्राइक में इसकी मदद ली गई थी. साथ ही लद्दाख में चीनी घुसपैठ के समय इसे चीन के ऊपर तैनात किया गया था.
कार्टोसैट -2डी सैटेलाइट ने लॉन्च के बाद जो पहली तस्वीर भेजी, उसमें मुंबई की मिठी नदी और बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स कितना स्पस्ट दिख रहा है.
कार्टेसैट सीरीज के सैटेलाइट्स आमतौर पर कार्टोग्राफी यानी नक्शा बनाने के काम आते हैं. लेकिन इनसे निगरानी, जासूसी आदि भी की जा सकती है. इसके अलावा 103 और सैटेलाइट्स गए थे. जिनके नाम हैं- INS-1A, INS-1B, AL-Farabi 1, BGUSAT, DIDO-2, Nayif-1, PEASS, 88 Flock-3p Satallies और 9 Lemur-2 सैटेलाइट्स.