सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गाजा में युद्ध लड़ रहे इजराइल को हथियारों और सैन्य उपकरणों के निर्यात पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह राष्ट्रीय विदेश नीति के क्षेत्र में दखल नहीं दे सकता।
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि जो भारतीय कंपनियाँ इजरायल को हथियारों, सैन्य उपकरणों का निर्यात करती हैं उन पर अनुबंध के उल्लंघन के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है, ऐसे में उन्हें आपूर्ति करने से नहीं रोका जा सकता है। पीठ ने कहा, ‘‘हम देश की विदेश नीति के क्षेत्र में दखल नहीं दे सकते।’’
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि विदेश से जुड़े मामलों के लिए केंद्र सरकार के पास अधिकार क्षेत्र है। पीठ ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा मांगी गई राहत देने के लिए, सुप्रीम कोर्ट को इजरायल के खिलाफ आरोपों पर निष्कर्ष निकालना होगा, जो एक स्वतंत्र संप्रभु राष्ट्र है और भारतीय अदालतों के अधिकार क्षेत्र के अधीन नहीं है।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘क्या हम यह निर्देश दे सकते हैं कि संयुक्त राष्ट्र की नरसंहार संधि के तहत आप इजरायल को निर्यात पर प्रतिबंध लगा दें, यह पाबंदी क्यों? ऐसा इसलिए है क्योंकि यह विदेश नीति को प्रभावित करता है और हम नहीं जानते कि इसका क्या असर होगा।’’
इजरायल को हथियार और सैन्य उपकरणों का निर्यात करने वाली भारतीय कंपनियों के लाइसेंस रद्द करने का अनुरोध
वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से अशोक कुमार शर्मा और अन्य द्वारा एक जनहित याचिका दायर की गई थी जिसमें केंद्र को इजरायल को हथियार और अन्य सैन्य उपकरणों का निर्यात करने वाली भारतीय कंपनियों के लाइसेंस रद्द करने और उन्हें नए लाइसेंस नहीं देने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।