पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की एक खास रणनीति है कि वह तारीखों को प्रतीकों के तौर पर इस्तेमाल करती है। जिस दिन जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म होने के पांच साल पूरे हुए थे, उसी दिन बांग्लादेश से आई खबरों ने पूरे देश में भूचाल सा ला दिया। इससे पहले 15 अगस्त 2021 को भी कुछ ऐसा ही हुआ था, जब काबुल पर तालिबान के शासन की वापसी हुई थी। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि आईएसआई ने तारीख को संकेतों के तौर इस्तेमाल करके भारत की पूर्वोत्तर सीमा को अस्थिर करने की गहरी साजिश रची है। उनका कहना है कि हसीना सरकार के 15 साल पूरे हो गए थे और उनकी भारत सरकार से करीबी नजदीकी पाकिस्तान को रास नहीं आ रही थी।
डार्क प्रिंस की आईएसआई के साथ मीटिंग
बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना के बेटे साजिब वाजेद जॉय ने बड़ी बात कही है। साजिब ने कहा कि अगर बांग्लादेश के मौजूदा हालात पर काबू नहीं पाया गया, तो बांग्लादेश फिर से पाकिस्तान बन जाएगा। उन्होंने साफ तौर पर पाकिस्तान पर आरोप लगाया है कि बांग्लादेश को अस्थिर करने की साजिश पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने रची है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) ने कथित तौर पर बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यवाहक प्रमुख तारिक रहमान (डार्क प्रिंस के नाम से मशहूर) के साथ मिलकर लंदन में शेख हसीना के खिलाफ साजिश रची थी। उनके पास सऊदी अरब में तारिक रहमान और आईएसआई अधिकारियों के बीच हुईं बैठकों के सबूत हैं। बीएनपी की यूएई यूनिट के प्रमुख जाकिर हुसैन और सेवानिवृत्त पाकिस्तानी सेना अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) शाहिद महमूद मोहम्मद शरीफ, जो दुबई में आईएसआई का एजेंट है, उनके बीच लगातार बातचीत होती रहीं और उसने तारिक रहमान और आईएसआई के नंबर वन पॉलिसी मेकर जावेद मेहदी के बीच जेद्दा में मीटिंग फिक्स की थी।
आईएसआई का खास है शाहिद महमूद मोहम्मद शरीफ
खुफिया सूत्रों के अनुसार, शाहिद महमूद मोहम्मद शरीफ 54 कोर्स का पाकिस्तानी सेना का अफसर रहा है औऱ 2004 में रिटायर हो गया था, जिसके बाद से वह दुबई में है और बांग्लादेश में अपने शीर्ष अफसरों और राजनीतिक नेताओं के बीच कॉन्टैक्ट बनाने में आईएसआई उसका इस्तेमाल करती है। सूत्रों ने बताया कि जाकिर ने शाहिद महमूद से कम से कम 11 बार मुलाकात की थी। खुफिया एजेंसियों को दस्तावेज मिले हैं, उनमें जाकिर आईएसआई एजेंट शरीफ के साथ अपनी मुलाकात के दौरान तारिक को ‘बॉस’ कहता था और आखिरी मुलाकात के दौरान उसने आईएसआई का संदेश लंदन तक पहुंचाने का भरोसा दिया था।
तारिक रहमान के दाऊद इब्राहिम से संबंध
खुफिया एजेंसियों ने इस बात का भी खुलासा किया है कि पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान के भारतीय अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से भी रिश्ते रहे हैं। दुबई में तारिक रहमान और दाऊद इब्राहिम की कई मुलाकातें हुई हैं। यहां तक कि दोनों के बीच व्यापारिक संबंध भी रहे हैं। तारिक ने दुबई में दाऊद की एक प्रॉपर्टी भी 60 मिलियन डॉलर में खरीदी है। खुफिया एजेंसियों का कहना है कि तारिक रहमान भारत के लिए भी बड़ा खतरा है। रहमान के भगोड़े दाऊद इब्राहिम और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ घनिष्ठ संबंध हैं और उसने पहले सीआईए अधिकारियों से कहा था कि बांग्लादेश का निर्माण कभी नहीं होना चाहिए था। वह आईएसआई के इशारे पर भारत को भी अस्थिर करने की साजिशें रचता रहता है। भारत की डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी के सेवानिवृत्त उप महानिदेशक, मेजर जनरल गगनजीत सिंह ने पहले बताया था कि एक बार हथियारों की एक बड़ी खेप, जिनमें हथियारों से भरे 10 ट्रक बांग्लादेश के चटगांव में जब्त किए गए थे। ये हथियार भारत को अस्थिर करने के लिए यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम और मणिपुर के विद्रोही संगठनों के लिए थे। सूत्रों का कहना है कि शेख हसीना सरकार के खिलाफ चलाए जा रहे प्रोपेगेंडा में तारीक रहमान प्रमुख चेहरा है। रहमान अपने सोशल मीडिया हैंडल से बांग्लादेश में चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बारे में लगातार भड़काऊ मैसेज भी पोस्ट कर रहा है।
प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी प्रमुख सूत्रधार
सूत्रों ने बताया कि शेख हसीना सरकार के खिलाफ प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी की छात्र शाखा ‘छात्र शिबिर’ को भी आईएसआई का समर्थन है। छात्र शिबिर को आतंकवाद विरोधी अधिनियम 2009 की धारा 18/1 के तहत आतंकवादी संगठन के रूप में प्रतिबंधित किया था। सूत्रों ने बताया कि जमात-ए-इस्लामी भारत में भी प्रतिबंधित है, और 2003 में रूस ने भी इसे आतंकवादी संगठन घोषित किया था। सूत्रों ने सीआईए का एक खुफिया केबल भी शेयर किया। जिसमें बताया गया है कि जमात-ए-इस्लामी की बांग्लादेशी छात्रों में कितनी गहरी पैठ रही है। जमात-ए-इस्लामी ने बांग्लादेश की आजादी का भी विरोध किया था। इसकी तस्दीक इस बात से की जा सकती है कि शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान की प्रतिमाओं और चित्रों को जिस तरह से नुकसान पहुंचाया जा रहा है, वह जमात-ए-इस्लामी की सोच बताता है। बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व वाली पहली सरकार ने देश की स्वतंत्रता का विरोध करने और पाकिस्तानी कब्जे वाली सेनाओं के साथ सहयोग करने में अपनी भूमिका के लिए जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया था। बाद में, बंगबंधु की हत्या के बाद, सैन्य तानाशाह जनरल जियाउर रहमान ने प्रतिबंध हटा दिया, जिससे जमात-ए-इस्लामी को देश में अपनी गतिविधियां फिर से शुरू करने में मदद मिली। सूत्रों ने बताया कि जमात-ए-इस्लामी के जरिए पाकिस्तानी सेना और आईएसआई का मिशन शेख हसीना को किसी भी तरह से हटा कर विरोध प्रदर्शनों और सड़क हिंसा के माध्यम से विपक्षी बीएनपी को सत्ता में वापस लाना है। वहीं सूत्रों ने कुछ सोशल मीडिया हैंडल भी चिन्हित किए हैं, जो शेख हसीना सरकार खिलाफ भड़काऊ पोस्ट लिख रहे थे। इनमें से एक ने तो हसीना सरकार के खिलाफ 500 से ज्यादा ऐसा पोस्ट किए थे। यह भी पता चला है कि कई पाकिस्तान ओपन सोर्स इंटेलिजेंस हैंडल भी सोशल मीडिया पर उग्र हालात के लिए भड़का रहे थे।
तारिक रहमान पर भ्रष्टाचार के कई मामले
डार्क प्रिंस के नाम से मशहूर तारिक रहमान का जन्म 20 नवंबर 1965 को हुआ था। फरवरी 2018 से वह बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी का कार्यवाहक अध्यक्ष है। पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान और दो बार की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की सबसे बड़ी औलाद तारिक कम उम्र से ही राजनीति में शामिल हो गया था और 2000 के दशक की शुरुआत में अपनी मां के प्रधानमंत्री बनने के बाद बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी का प्रमुख चेहरा बना। तारिक रहमान को 2013 में, ढाका की एक अदालत ने पहली बार मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में बरी किया था। बाद में, स्टेट की अपील के बाद, उच्च न्यायालय ने उसे सात साल जेल की सजा सुनाई। पांच साल बाद, फरवरी 2018 में, खालिदा जिया को जिया अनाथालय ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामले में पांच साल और तारिक को 10 साल जेल की सजा मिली। 21 अक्तूबर 2018 को एक विशेष ट्रिब्यूनल ने तारिक को 21 अगस्त, 2004 को तत्कालीन विपक्षी नेता शेख हसीना की रैली पर भयानक ग्रेनेड हमले की साजिश रचने के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। उन्हें हत्या के दो मामलों और विस्फोटक अधिनियम की कई धाराओं के तहत तीन बार आजीवन कारावास और 20 साल की कैद की सजा सुनाई गई थी। 4 फरवरी, 2021 को एक अन्य अदालत ने राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के बारे में अभद्र टिप्पणी करने के आरोप में नरैल में दायर मानहानि के एक मामले में तारिक को दो साल कैद की सजा सुनाई थी। उस पर 10,000 टका का जुर्माना भी लगाया गया था और भुगतान न करने पर छह महीने की अतिरिक्त जेल की सजा सुनाई गई थी।