मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार अब तक का सबसे बड़ा कर्ज लेने जा रही है. बताया जा रहा है कि सरकार 88 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेने जा रही है. इसमें 73 हजार 540 करोड़ रुपये बाजार और 15 हजार करोड़ रुपये केन्द्र सरकार से लेने की योजना है. भारी भरकम कर्ज इतिहास में पहली बार लिया जा रहा है. प्रदेश सरकार द्वारा कर्ज लेने पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सीएम मोहन यादव पर तंज कसा है.
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा कि “मध्य प्रदेश सरकार वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 88 हजार 450 करोड़ रुपये कर्ज लेने जा रही है. इसके पहले मध्य प्रदेश पर 3.50 लाख करोड़ से अधिक का कर्ज है. वर्तमान में प्रस्तावित कर्ज के बाद मध्य प्रदेश पर लगभग 4.38 लाख करोड़ का कर्ज हो जाएगा. कर्ज में डूबी मध्य प्रदेश सरकार की हालत यह हो चुकी है कि अब इन्हें कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए भी कर्ज लेना पड़ता है. यह गलत आर्थिक नीतियों और अपरिपक्व निर्णयों की देन है.”
उन्होंने आगे कहा कि “मैं पहले भी कह चुका हूं कि मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार लगातार कर्ज लेकर ठेका देने और कमीशन बटोरने में लगी रहती है और जनता पर कर्ज का बोझ बढ़ता जाता है. मैं मुख्यमंत्री से कहना चाहता हूं कि प्रदेश की जनता को और अधिक कर्ज के बोझ में दबाने की बजाय प्रदेश पर मौजूदा कर्ज को चुकाने और कर्ज मुक्त मध्य प्रदेश बनाने की दिशा में पहल करें.” इधर कर्ज लेने के पीछे प्रदेश के डिप्टी सीएम और वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा का कहना है कि कर्ज विकास कार्यों के लिया जाता है, जिसका भुगतान भी समय से किया जाता है.
सरकार पर भारी पड़ रही योजनाएं
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी सरकार द्वारा अनेक योजनाओं की घोषणा की थी और जारी भी की है. इस योजनाओं के दम पर प्रदेश में फिर से बीजेपी की सरकार भी बन गई है, लेकिन अब यह योजनाएं सरकार के लिए सिरदर्द बन गई है. लाड़ली बहना योजना में हर साल 18 हजार करोड़ रुपये का खर्च, 100 रुपये में 100 यूनिट बिजली देने में 5,500 करोड़ रुपये, कृषि पंपों पर सब्सिडी पर 17 हजार करोड़ और 450 रुपये में सिलेंडर देने की योजना के लिए 1000 करोड़ रुपये चाहिए.
साल 2021-22 में कर्मचारियों के वेतन भत्तों पर खर्चा 59,662 करोड़ रुपये था, जो बजट का 24.78 प्रतिशत था. साल 2023-24 में यह 82,838 करोड़ रुपये पहुंच गया, जो बजट का 27.43 है. इधर जीपीएफ में 2023-24 में 4,949 करोड़ रुपये जमा हुए, जबकि भुगतान 5,563 करोड़ रुपये का हुआ.