क्या भारत के राफेल फाइटर जेट के डर से चीन ने अपने कब्जे वाले शिगात्से एयर बेस पर एडवांस जे-20 फाइटर जेट्स की तैनाती की है? हाल ही में भारतीय वायु सेना के पूर्व प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने खुलासा किया था कि जब भारत में पहला राफेल आया था, तो चीन ने जवाब में अपने चार जे-20 लड़ाकू विमान तैनात किए थे। वहीं, जब भारत के पास चार राफेल हो गए थे, तो चीन ने 20 जे-20 फाइटर जेट तैनात कर दिए थे। यानी कि प्रत्येक राफेल का मुकाबला करने के लिए बीजिंग ने पांच जे-20 फाइटर जेट की तैनाती की थी। फिलहाल चीन ने होतान और शिगात्से एयर बेस पर जे-20 स्टील्थ फाइटर जेट की तैनाती कर रखी है।
एक राफेल के मुकाबले में पांच जे-20
19 मई को एक खास बातचीत में भारतीय वायु सेना के पूर्व प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने राफेल लड़ाकू विमानों के रणनीतिक महत्व पर जोर देते हुए उन्हें भारतीय वायुसेना की ‘इन्वेंट्री का सबसे मजबूत हथियार’ बताया था। उन्होंने कहा था कि कैसे जब भारत में पहला राफेल आया था, तो चीन ने प्रतिक्रिया में अपने चार जे-20 लड़ाकू विमानों को एलएसी पर तैनात किया था। वहीं जैसे ही राफेल की संख्या चार हो गई, तो चीन ने 20 जे-20 तक तैनात कर दिए थे। प्रत्येक राफेल का मुकाबला करने के लिए चीन ने पांच जे-20 तैनात कर दिए थे। पूर्व भारतीय वायु सेना प्रमुख ने भारतीय वायु सेना की उच्च स्तर की तैयारियों का संकेत देते हुए टिप्पणी की थी, “जे-20 को चीन का सबसे उन्नत लड़ाकू विमान माना जाता है, यह राफेल की क्षमताओं का सीधा जवाब था। चीनी जानते थे कि हम क्या कर सकते हैं।”
9 दिन बाद ही चीन ने की जे-20 की तैनाती
वहीं, पूर्व भारतीय वायु सेना प्रमुख के खुलासे के ठीक 9 दिन बाद ही चीन ने 27 मई, 2024 को 12,400 फीट पर शिगात्से एयरबेस में छह जे-20 लड़ाकू विमानों की तैनाती कर दी। शिगात्से एयरबेस पश्चिम बंगाल के हाशिमारा से 290 किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित है, जहां भारत ने एक स्क्वाड्रन (16 राफेल) को तैनात किया है। वहीं, गंगटोक से इसकी दूरी 233 किमी है। पूर्वी क्षेत्र में हाशिमारा, चबुआ और तेजपुर स्थित सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों के अलावा पाकिस्तान के साथ सटे पश्चिमी मोर्चे अंबाला में राफेल का दूसरा स्क्वाड्रन तैनात है। खास बात यह है कि पांचवी पीढ़ी का ट्विन-इंजन स्टील्थ फाइटर जेट जे-20 को 2017 में पेश किया गया था, लेकिन शिगात्से इसका स्थाई ठिकाना नहीं है। शिगात्से में जे-10 लड़ाकू विमान और केजे-500 अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल विमान का बेस है।
एस-400 कर सकता है स्टील्थ फाइटर को ट्रैक
रक्षा सूत्र बताते हैं कि चीन ने जे-20 को पिछले साल लद्दाख के उत्तर में झिंजियांग में तैनात किया था। जिसके बाद भारत ने चीन को जवाब देते हुए पूर्वी लद्दाख में अपने कई एयरबेस को अपग्रेड किया है। चीन की तुलना में भारत के पास एलएसी के नजदीक ज्यादा एयरबेस और एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड (ALG) हैं। चीन के मामले में एलएसी के नजदीक मौजूदा एयरबेसों के बीच का फासला 400 से 500 किलोमीटर है। इसके अलावा, भारत ने सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल सुरक्षा प्रणाली को भी तैनात किया है, इनमें एस-400 लंबी एयर डिफेंस सिस्टम भी शामिल है। एस-400 सिस्टम की खासियत यह है कि स्टील्थ लड़ाकू विमानों को ट्रैक कर सकता है। जे-20 जिसे माइटी ड्रैगन के नाम से भी जाना जाता है, इसमें एक खास फीचर है कि यह रडार प्रणाली को भी चकमा दे सकता है। कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया है कि चीन ने पहले से ही 250 से अधिक स्टील्थ लड़ाकू विमान तैनात कर रखे हैं, जिन्हें रडार से देख पाना कठिन है।
भारत को खरीदने पड़ सकते हैं पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान
चीनी वायु सेना ने भले ही लद्दाख में 100 लड़ाकू विमान तैनात किए हों, लेकिन भारत के रक्षा विशेषज्ञ, एयर मार्शल अनिल चोपड़ा (रिटायर्ड) का दावा है कि भारत इस इलाके में 250 विमान तक तैनात कर सकता है, जो चीन से लगभग 2.5 गुना अधिक हैं। करगिल, सियाचिन ग्लेशियर और पूर्वी लद्दाख की निगरानी करने वाली लद्दाख कोर की कमान संभाल चुके लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) राकेश शर्मा का कहना है कि जे-20 पांचवीं पीढ़ी का गुप्त लड़ाकू विमान है। शिगात्से में इस विमान की तैनाती बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह रडार की पकड़ से बाहर रहेगा। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि शिगात्से में जे-20 की तैनाती संभवतः हाई एल्टीट्यूड की ट्रेनिंग करने के लिए की गई है, जो कि अस्थायी तैनाती लगती है। लेकिन अगर इस क्षेत्र में जे-20 की स्थायी तैनाती होती है और निकट भविष्य में पाकिस्तान एयर फोर्स अगर पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान खरीदती है, तो भारतीय वायुसेना को भी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान खरीदने के लिए विदेश का रुख करना पड़ सकता है। क्योंकि एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) अभी भी आईएएफ के बेड़े में शामिल होने से 10 साल दूर है!
राफेल वर्सेस जे-20 फाइटर जेट
वहीं, अगर राफेल से जे-20 की तुलना करें, तो पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर है। लेकिन अभी तक जे-20 को असली जंग के मैदान में टेस्ट नहीं किया गया है। चीनी अधिकारियों ने जे-20 की क्षमताओं की तारीफ की है, और यहां तक दावा किया है कि यह अमेरिकी एफ-35 लाइटनिंग-II स्ट्राइक फाइटर्स और एफ/ए-22 रैप्टर का मुकाबला कर सकता है। चीन ने तो यहां तक दावा किया था कि एक सिमुलेशन के दौरान जे-20 ने 17 राफेल को सफलतापूर्वक निष्क्रिय कर दिया था।
वहीं, राफेल की बात करें, तो भले ही यह 4.5 पीढ़ी का फाइटर जेट है, लेकिन फ्रांसीसी राफेल लगभग 25 सालों से ऑपरेशनल है। यह हाई एल्टीट्यूड में काम करने में सक्षम है और 50 हजार फीट तक की ऊंचाई पर उड़ सकता है। अफगानिस्तान, लीबिया, माली और सीरिया में कई सैन्य अभियानों में भाग ले चुका है, अपनी क्षमताएं प्रदर्शित कर चुका है। एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) रघुनाथ नांबियार का कहना है, राफेल इस समय आकाश में सबसे अच्छा विमान है। इसकी तुलना पाकिस्तान के पास मौजूद एफ-16 और जेएफ-17 से करना बेमानी होगी। अगर आपको राफेल की तुलना चेंग्दू जे-20 से करनी है, तो मुझे लगता है कि राफेल उनसे बिल्कुल ऊपर है।
राफेल और जे-20 का हुआ सामना, तो किसी होगी जीत?
एयर फोर्स के एक पूर्व पायलट कहते हैं कि जे-20 एक स्टील्थ फाइटर बॉम्बर है और इसकी “कम निगरानी क्षमता” होने के कारण, सुखोई-30 या राफेल से इसकी भिड़ंत कम ही होगी। यह अपने मिशन को बड़े पैमाने पर बिना रडार की पकड़ में आए अंजाम दे सकता है। चीन जे-20 का इस्तेमाल वायु सेना के रडार, एयर डिफेंस मिसाइलों पर हमले, भारतीय क्षेत्र के भीतर लक्ष्यों का पता लगाने में करेगा। वहीं चीनी वायु सेना जे-20 द्वारा भेजे गए कॉर्डिनेट्स का इस्तेमाल बमवर्षकों और क्रूज मिसाइलों से हमला करने में करेगी। उन्होंने आगे बताया कि एयर-टू-एयर कॉम्बैट में, सुखोई-30 या राफेल बेहद आसानी से चीनी जे-20 को मात दे देंगे। यही कारण है कि चीन कभी भी जे-20 को भारतीय लड़ाकू विमानों आमना-सामना कराने की हिम्मत नहीं करेगा। इसके बजाय, वे बिना किसी रुकावट के भारतीय हवाई क्षेत्र में घुसने और भारतीय क्षेत्र में लक्ष्यों पर हमला करने के लिए अपने स्टील्थ फाइटर का इस्तेमाल करेंगे।