चुनाव हो या फिर बारिश का मौसम और क्रिकेट व फुटबॉल के मैच क्यों ना हो, फलोदी के लोगों का आकलन हमेशा सटीक निकलता है। यहां के आकलन के दम पर करोड़ों रुपए के दांव लगने की परम्परा ने इस क्षेत्र को जहां प्रसिद्धि दिलाई है, वहीं इसी क्षमता को सट्टा बाजार के नाम से जोडकऱ बदनाम भी किया जा रहा है। कुछ व्यक्ति इस सटीक आकलन पर करोड़ों रुपए के दांव लगाकर सट्टा बाजार पर मोहर भी लगाते हैं।
फलोदी सट्टा बाजार में शुरूआत में बरसात पर चर्चा होती थी और यहां के लोग आकाश देखकर बारिश होने का अनुमान लगा देते थे और इसी के अनुसार ही अपनी खेती-किसानी करने का निर्णय भी करते थे। करीब तीन दशक पहले कुछ लोगों के मुम्बई में सम्पर्क हुए और वहां से चुनावों, क्रिकेट व फुटबॉल मैच और विधानसभा, लोकसभा, पंचायत समिति व नगर परिषद के चुनावों पर भी सट्टा करने की परम्परा का जन्म हुआ। इसमें भी सटीक आकलन से फलोदी के सट्टा बाजार पर लोगों का भरोसा जमने लगा।
बीकानेर व सीकर से आते है भाव
फलोदी सट्टा बाजार में वर्तमान में लोकसभा चुनाव को लेकर निकलने वाले भाव फलोदी के सट्टेबाज नहीं निकालते हैं, बल्कि बीकानेर व सीकर से भाव निकलते हैं, जिसे यहां पर लागू किया जाता है। यहां की बेबाक जुबानी के कारण फलोदी सट्टा बाजार देश की सुर्खियों में है, जबकि यहां बारिश को छोडकऱ किसी के भी भाव फलोदी में तय नहीं होते हैं।
भाजपा को दिला रहे 300 सीटें
लोकसभा चुनाव से पहले जहां भाजपा ने राम मंदिर निर्माण की बदौलत 400 पार का दावा किया था, वहीं फलोदी सट्टा बाजार भाजपा की 320 सीटें जीतने पर दांव लग रहा था। चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद भाजपा की अब कम होते-होते अब 300 तक बताई जा रही है। चुनाव में हार-जीत के आकलन के प्रत्याशी का चेहरा, समर्थकों की चुनावी सभा में भीड़ व जातीय सहयोग के साथ पार्टी के ओहदे को ध्यान में रखते हुए भाव तय किए जाते हैं। इस बार भी फलोदी सट्टा बाजार ने इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए आकलन किया है।
कांग्रेस को 60 से 63 सीट
फलोदी सट्टा बाजार भाजपा को 300 सीटें दे रहा है, जबकि कांग्रेस को 60 से 63 सीटों का आकलन है। शेष सीटें अन्य दलों में बंट रही है। यदि फलोदी सट्टा बाजार का यह आकलन सही होता है तो एक बार फिर यहां के आंकलन पर सटीकता की मोहर लग सकती है।
मतगणना के दिन जुटेगी भीड़
लोकसभा चुनाव में अधिक दिलचस्पी नहीं होने से कोई बड़े दांव नहीं लग रहे है, फिर भी मतगणना से एक दिन पूर्व व मतगणना के समय यहां के परम्परागत सदर बाजार स्थित गांधी चौक में लोगों का जमघट लगने और अपनी पसंद के नेता पर दांव लगने के आसार लगाए जा रहे हैं।
राजशाही बाजार बना सट्टा बाजार
आजादी से पहले जब पाकिस्तान भारत में ही शामिल था। तब फलोदी का व्यापार पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त तक था जो व्यापार यहां के राजशाही बाजार वर्तमान नाम सदर बाजार से ही चलता था। और यही कारण है कि यह बाजार आज भी हेरिटेज लुक लिए हुए है, पूर्व में इस बाजार को राजशाही बाजार (व्यापार मण्डी) के नाम से जाना जाता था। यहां घी, तेल, अनाज, नमक, मावा व नमक आदि का बड़ा व्यापार होता था, लेकिन आजादी के बाद सिन्ध से व्यापार बंद हो गया। बाद में राजशाही बाजार सदर बाजार और फिर सट्टा बाजार में परिवर्तित हो गया।