फिलिस्तीन UN में सदस्य बनने के लिए क्वालीफाई हुआ:193 देशों में से 143 ने समर्थन किया, इनमें भारत शामिल; अमेरिका-इजराइल ने विरोध में वोटिंग की

फिलिस्तीन ने संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनने के लिए क्वालिफाइ कर लिया है। शुक्रवार (10 मई) को UN में इस पर वोटिंग हुई। ये प्रस्ताव अरब देशों की मांग पर लाया गया था। भारत ने फिलिस्तीन के पक्ष में वोट दिया।

संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्यीय देशों में से 143 ने फिलिस्तीन के पक्ष में, जबकि 9 ने इसके विरोध में वोटिंग की। विरोध करने वाले देशों में अमेरिका और इजराइल शामिल थे। 25 देशों ने इस वोटिंग से दूरी बनाई। इस वोटिंग से फिलिस्तीन UN का सदस्य नहीं बना है, बल्कि सदस्य बनने के लिए क्वालिफाई कर पाया है।

इससे पहले संयुक्त राष्ट्र (UN) में 18 अप्रैल को फिलिस्तीन को पूर्ण सदस्यता देने के प्रस्ताव पर अमेरिका ने वीटो लगा दिया था। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में अल्जीरिया ने यह प्रस्ताव पेश किया था, जिस पर वोटिंग हुई थी। अमेरिका के वीटो के बाद फिलिस्तीन UN का परमानेंट मेंबर नहीं बन सका।

स्वतंत्र देश के तौर पर पहचान पाने की दिशा में फिलिस्तीन की कोशिश
कतर के न्यूज चैनल अलजजीरा के मुताबिक, दुनिया में स्वतंत्र देश की पहचान पाने की दिशा में यह फिलिस्तीन का पहला कदम है। वोटिंग से पहले UN में फिलिस्तीन के राजदूत रियाद मंसूर ने 193 देशों से फिलिस्तीन के पक्ष में वोटिंग करने को कहा था। उन्होंने देशों से अपील की थी कि आपके आज के फैसले से हमें जंग के समय में स्वतंत्रता मिल जाएगाी।

फिलिस्तीन अब सुरक्षा परिषद में शामिल के योग्य
संयुक्त राष्ट्र में क्वालिफाई करने के बाद फिलिस्तीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में शामिल हो सकता है। UN की महासभा ने सुरक्षा परिषद से अपने पुराने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है। हालांकि, जो प्रस्ताव पास हुआ है वह फिलिस्तीन को UN में शामिल होने के योग्य मानता है, लेकिन उसे स्थायी सदस्यता नहीं देता है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा फिलिस्तीन को पूर्ण सदस्यता तो नहीं दिला सकती, हालांकि इससे फिलिस्तीन को कुछ विशेष अधिकार मिलेंगे। सितंबर 2024 से फिलिस्तीन असेंबली हॉल में संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों के बीच बैठ सकेगा, लेकिन उसे UN के किसी भी प्रस्ताव में वोटिंग करने का अधिकार नहीं होगा।

इजराइल के राजदूत ने कहा- संयुक्त राष्ट्र आतंकवादी राज्य को बढ़ावा दे रहा
इस प्रस्ताव के बाद फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा कि प्रस्ताव के पास होने से पता चलता है कि दुनिया फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों और स्वतंत्रता के साथ है। संयुक्त राष्ट्र में इजराइल के राजदूत गिलाद एर्दान ने वोटिंग की निंदा की और कहा कि UN अब एक ‘आतंकवादी’ का स्वागत कर रहा है।

एर्दान ने कहा कि UN की स्थापना इसलिए की गई थी ताकि दुनिया में कोई भी अत्याचारी (नाजी) अपना सर न उठा पाए। आज इसका बिल्कुल उलटा हो रहा है। एक आतंकवादी राज्य को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसका नेतृत्व हिटलर के समय किया था।

2011 में भी फिलिस्तीन को मेंबरशिप देने को लेकर UNSC में वोटिंग हुई थी
UNSC में किसी प्रस्ताव को पारित करने के लिए कम से कम 9 सदस्यों के समर्थन की जरूरत थी। 15 सदस्यों वाली सुरक्षा परिषद में फिलिस्तीन के पक्ष में 12 वोट पड़े, जबकि ब्रिटेन और स्विट्जरलैंड वोटिंग से दूर रहे।

UN में पूर्ण सदस्यता हासिल करने के लिए फिलिस्तीन की यह दूसरी कोशिश थी। इससे पहले 2011 में भी फिलिस्तीन को मेंबरशिप देने को लेकर UNSC में वोटिंग हुई थी। उस समय भी अमेरिका ने प्रस्ताव पर वीटो लगा दिया था।

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