अब निकलेगी चीन की हेकड़ी… ड्रैगन को पटखनी देने के लिए भारत ने बनाया सॉलिड प्लान

नई दिल्ली: करीब दो दशक तक चीन ग्लोबल इकॉनमी का इंजन बना रहा। विदेशी कंपनियों ने वहां खूब निवेश किया। लेकिन आज स्थितियां बदल गई हैं। कोरोना काल में चीन में लगी सख्त पाबंदियों के कारण ग्लोबल सप्लाई चेन बुरी तरह प्रभावित हुई। साथ ही अमेरिका के साथ चल रहे ट्रेड वॉर के कारण चीन ने विदेशी कंपनियों पर कई तरह की सख्ती करना शुरू कर दिया है। इन कारणों से अंतरराष्ट्रीय कंपनियां अब चीन पर अपनी निर्भरता कम कर रही हैं। इन कंपनियों के लिए भारत पसंदीदा ठिकाना बनता जा रहा है। इस बीच भारत ने भी इस मौके का फायदा उठाने के लिए एक सॉलिड प्लान बनाया है। भारत का लक्ष्य सालाना कम से कम 100 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करना है

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक डीपीआईआईटी में सेक्रेटरी राजेश कुमार सिंह ने कहा कि हमारा लक्ष्य अगले पांच साल में औसतन कम से कम 100 अरब डॉलर का निवेश हासिल करना है। देश में एफडीआई का ट्रेंड पॉजिटिव है और इसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है। मार्च 2023 तक पांच वर्षों में देश में सालाना औसतर 70 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया। सिंह ने कहा कि चालू वित्त वर्ष का आंकड़ा $100 बिलियन के लक्ष्य के करीब होगा। भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही बड़ी इकॉनमी है। उसका टारगेट उन कंपनियों को अपनी ओर आकर्षित करना है जो चाइना प्लस वन की नीति के तहत चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहती हैं।

कौन उठा रहा इन्सेंटिव का फायदा

मोदी सरकार भारत में मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को इन्सेंटिव दे रही है। आईफोन बनाने वाली कंपनी ऐपल इंक और दक्षिण कोरिया को सैमसंग जैसी कंपनियां इसका फायदा उठाते हुए भारत में विनिर्माण को बढ़ावा रही हैं। इसके बावजूद मैन्यूफैक्चरिंग में एफडीआई में कोई खास इजाफा नहीं हुआ है। सिंह ने कहा कि विकसित देशों में ज्यादा महंगाई और ब्याज के साथ-साथ भू-राजनीतिक संघर्षों और उभरते बाजारों के बारे में जोखिम की धारणा इसकी मुख्य वजह है। उन्होंने कहा कि भारत के पास इलेक्ट्रिक वाहनों, इलेक्ट्रॉनिक सामानों या सामान्य उपभोक्ता वस्तुओं जैसे विभिन्न क्षेत्रों में ग्रोथ की अपार संभावना है। उन्होंने वादा किया कि सरकार एफडीआई नियमों को आसान बनाने के लिए और कदम उठाएगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की इकॉनमी में विनिर्माण की हिस्सेदारी को बढ़ाने का वादा किया है। सिंह ने कहा कि सरकार के उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन कार्यक्रम से विनिर्माण को बढ़ावा देने और दूरसंचार तथा ऑटो कंपोनेंट्स जैसे उत्पादों के आयात में भारत की निर्भरता को कम करने में मदद मिली है। उन्होंने कहा, ‘हमारे पास कम से कम 39 नए चिकित्सा उपकरण भारत में बनाए जा रहे हैं जो पहले कभी नहीं बनाए गए थे।’ सिंह ने कहा कि सरकार के पास कई नए औद्योगिक गलियारों की योजना है जिन्हें नई सरकार के पहले 100 दिनों के भीतर मंजूरी मिलने की संभावना है। उन्होंने स्वीकार किया कि प्रोत्साहन योजना ने इस्पात और कपड़ा उद्योगों में धीमी प्रगति की है, और इसके तहत शामिल वस्तुओं की सूची का विस्तार करने की योजना का हवाला दिया।

चीनी लोगों को वीजा

सिंह ने कहा कि सरकार चीन के विक्रेताओं और पेशेवरों को वीजा देने में देरी की समस्या को दूर करने के लिए भी काम कर रही है। देश में मशीनरी स्थापित करने के लिए इन लोगों की जरूरत है। कंपनियों ने सरकार के समक्ष यह मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा, ‘चीनी तकनीशियनों को अल्पकालिक वीजा प्रदान किया जाना चाहिए, क्योंकि हम अपने स्वयं के विनिर्माण को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं।’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *