नई दिल्ली : भारतीय सेना को स्वदेशी इंटीग्रेटेड एंटी ड्रोन सिस्टम मिले हैं। आर्मी एयर डिफेंस ने इन LASER वेपन सिस्टम को ऑपरेशनल एरिया में तैनात कर दिया है। अभी आर्मी एयर डिफेंस को ऐसे सात सिस्टम मिले हैं। इन्हें नॉर्दन बॉर्डर के अलावा वेस्टर्न बॉर्डर में भी तैनात किया गया है। ये पहले ऐसे स्वदेशी सिस्टम हैं जिसके जरिए ड्रोन या ड्रोन की तरह के किसी ऑब्जेक्ट को डिटेक्ट (पहचाना) किया जा सकता है और उसे सॉफ्ट किल यानी जैम किया जा सकता है या फिर हार्ड किल यानी मार गिराया जा सकता है।
सेना के पास वैसे पहले से ही एंटी ड्रोन सिस्टम हैं लेकिन ये स्वदेशी इंटीग्रेटेड एंटी ड्रोन सिस्टम है। LASER वेपन सिस्टम के लिए सेना ने अगस्त 2021 में कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था। अब यह सेना को मिल गए हैं और बॉर्डर पर तैनात हैं। LASER वेपन सिस्टम में अलग अलग तरह के रडार हैं, पेसिव रेडियो फ्रिक्वेंसी डिटेक्टर है, सॉफ्ट किल के लिए जैमर है और हार्ड किल के लिए लेजर है। इसे भारत में ही डिवेलप किया गया और बनाया गया।
हाल ही में पोकरण फायरिंग रेंज में हुई ‘भारत शक्ति’ एक्सरसाइज में भी इस सिस्टम को दिखाया गया था। यह आर्मी, नेवी और एयरफोर्स की पहली ऐसी जॉइंट एक्सरसाइज थी जिसमें सारे स्वदेशी वेपन सिस्टम और प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस एक्सरसाइज के गवाह बने थे। सेना के एक अधिकारी के मुताबिक ड्रोन या यूएवी काफी नीचे उड़ान भरते हैं, जिससे इन्हें डिटेक्ट करना एक चुनौती होता है।
डिटेक्ट करना चुनौती है तो इन्हें नष्ट करना अपने आप में चुनौती बन जाता है। नए स्वदेशी इंटीग्रेटेड सिस्टम से ड्रोन को डिटेक्ट भी किया जा सकेगा और नष्ट भी किया जा सकेगा। इसके रडार 8 किलोमीटर से ज्यादा रेंज तक ड्रोन को डिटेक्ट कर सकते हैं। इसी तरह पेसिव रेडियो फ्रिक्वेंसी डिटेक्शन सिस्टम की रेंज 5 किलोमीटर से ज्यादा है।