भोपाल: मध्य प्रदेश के लिए लोकसभा चुनाव 2024 कई मायनों में अलग है। वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश का सियासी समीकरण पूरी तरह बदल चुका है। हम यहां आपको पांच बिंदुओं में बताने जा रहे हैं कि किस तरह से यह चुनाव मध्य प्रदेश के लिए अलग है।
1. भाजपा की सरकार
वर्ष 2018 में मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा चुनाव हार गई थी। तब कांग्रेस ने सरकार बनाई थी। 2019 में जब लोकसभा चुनाव हो रहे थे, तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। तब भाजपा के सामने दबाव जैसी स्थिति निर्मित हो गई थी, लेकिन अब जब चुनाव वर्ष 2024 में हो रहे हैं तब प्रदेश में जबरदस्त बहुमत के साथ भाजपा की सरकार है।
2. शिव ‘राज’ की विदाई
मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार में करीब 17 वर्षों तक मुख्यमंत्री रहने वाले शिवराज सिंह चौहान की हाल ही में विदाई हुई है। उनकी जगह डॉक्टर मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया है। बुधनी से विधायक शिवराज सिंह चौहान को विदिशा लोकसभा सीट से बीजेपी ने मैदान में उतारा है।
3. कमल नाथ से मुक्त हुई कांग्रेस
वर्ष 2018 में कमलनाथ के कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस में वापसी की थी, लेकिन यह सरकार सिर्फ डेढ़ साल ही चल पाई। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कमलनाथ के नेतृत्व में करारी हार झेली है। इसके बाद कमल नाथ को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दिया है। अब जीतू पटवारी के नेतृत्व में मध्य प्रदेश में लोकसभा के चुनाव होने जा रहे हैं।
4. कांग्रेस के पास नहीं हैं बड़े नेता
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए गए कमल नाथ भी अब पार्टी से ऊबे-ऊबे रहते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी ज्यादा उत्साह नहीं दिखा रहे। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी ने हाल ही में भाजपा ज्वाइन कर लिया। ज्योतिरादित्य सिंधिया भी 2020 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ चुके हैं। अब कांग्रेस के पास अनुभवी नेताओं का टोटा है।
5. प्रत्याशियों की कमी
कई सालों बाद ऐसा हो रहा है, जब मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को योग्य प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं। भाजपा ने जहां आचार संहिता लगने के पहले ही सभी 29 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए हैं। वहीं, कांग्रेस ने अभी तक सिर्फ 10 सीटों पर ही प्रत्याशियों के नाम का ऐलान नहीं किया है। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस इस समय योग्य प्रत्याशियों की कमी से जूझ रही है।