चीन और पाकिस्तान सीधे निशाने पर… भारत के अग्नि-5 मिसाइल का टॉप अमेरिकी परमाणु वैज्ञानिक ने माना लोहा

वॉशिंगटन: भारत ने हाल ही में अग्नि-5 मिसाइल का सफल टेस्ट किया जो मल्टीपल इंडिपेंडेंट टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) टेक्नोलॉजी से लैस है। इसे मिशन दिव्यास्त्र नाम दिया गया। मिसाइल को डीआरडीओ ने बनाया है। भारत के पास इस तरह की टेक्नोलॉजी वैश्विक रणनीतिक संतुलन में एक बड़ा बदलाव है। SIPRI में सामूहिक विनाश कार्यक्रम हथियार के एसोसिएट फेलो और वॉशिंगटन डीसी में फेडरेशन ऑफ अमेरिकी साइंटिस्ट्स के निदेशक हैंस एम. क्रिस्टेंसन ने भारत की इस कामयाबी पर अपनी राय दी। उन्होंने बताया कि यह टेस्टिंग भारत की टेक्निकल कामयाबी के साथ-साथ रिजनल पॉवर डायनामिक्स को कैसे बदलता है।

फॉर्च्यून इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक बातचीत में उनसे पूछा गया कि भारत की यह मिसाइल MIRV टेक्नोलॉजी के विकास में कैसे रुझान दिखाती है? इस पर उन्होंने कहा कि 1970 के दशक में अमेरिका और सोवियत संघ के पास यह टेक्नोलॉजी थी। उसके बाद फ्रांस और यूके ने इसे डेवलप किया। 2015 में चीन और 2017 में पाकिस्तान ने अबाबील मिसाइल टेस्ट किया। सभी परमाणु संपन्न देश चाहते हैं कि वह एक ही मिसाइल से ज्यादा से ज्यादा हथियार लॉन्च कर सकें।

पाकिस्तान और चीन होंगे निशाने पर

उनसे यह पूछा गया कि भारत के मिसाइल की खास टेक्निकल क्षमता क्या है और यह रणनीतिक संतुलन को कैसे बदलती है? इस पर हैंस ने कहा कि अग्नि-5 को लेकर कई अफवाहें हैं और जानकारियां कम हैं। लेकिन अमेरिकी खुफिया एजेंसी इसे मध्यम रेंज की मिसाइल के रूप में बताती है। इसकी रेंज 5000 किमी से ज्यादा है जो पाकिस्तान के साथ-साथ चीन में कहीं भी हथियार दाग सकता है। उन्होंने आगे कहा कि MIRV तभी सफल माना जाएगा, जब ज्यादा से ज्यादा टार्गेट को खतरा होगा और मिसाइल डिफेंस सिस्टम इसे पकड़ न सकें। भारत का यह मिसाइल चीन के बढ़ते परमाणु हथियार और मिसाइल डिफेंस सिस्टम के जवाब में बनाया गया है।

क्या है MIRV टेक्नोलॉजी

MIRV टेक्नोलॉजी मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चकमा देने के लिए हैं। दरअसल हर मिसाइल अपने साथ एक हथियार ले जाती है। लेकिन MIRV में कई हथियार लगाए जा सकते हैं। लॉन्च के बाद यह मिसाइल टार्गेट पर सभी हथियारों को गिरा देता है, जिस कारण मिसाइल डिफेंस सिस्टम के लिए समझना मुश्किल हो जाता है कि वह किसे नष्ट करे। MIRV टेक्नोलॉजी का फायदा है कि टार्गेट पर एक हथियार गिरेगा ही गिरेगा। 1970 में सोवियत संघ ने मिसाइल डिफेंस सिस्टम बनाए थे। इसके जवाब में अमेरिका ने यह मिसाइल बनाई। पहली मिसाइल मिनटमैन-3 थी जो तीन हथियार अपने साथ ले जा सकती थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *