न्यूयॉर्क/टोक्यो: चीन और पाकिस्तान के विरोध के बाद भी भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को लेकर चौतरफा आवाज उठाना तेज कर दिया है। जापान के दौरे पर गए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र के लगातार फेल होने पर निशाना साधा। भारत के ‘चाणक्य’ जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र अपनी वह भूमिका नहीं निभा रहा है जो उसे निभाना चाहिए। हम जानते हैं कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार आएंगे लेकिन इसमें कितना समय लगेगा और इसका रूप क्या होगा, यह नहीं पता। जयशंकर ने कहा कि जो (चीन-पाकिस्तान) बदलाव का विरोध कर रहे हैं, उन्होंने इसमें देरी करने का तरीका खोज लिया है। वहीं संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने भी सुरक्षा परिषद में भेदभाव का मुद्दा पुरजोर तरीके से उठाया। इस बीच जी4 के सदस्य देश जर्मनी ने भी एक बयान जारी करके भारत का खुलकर समर्थन किया है।
रुचिरा कंबोज ने जापान, भारत, जर्मनी, ब्राजील के जी 4 गुट की स्थिति को साफ किया। उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद में पश्चिमी यूरोप को ज्यादा तरजीह दी गई है। भारतीय प्रतिनिधि ने स्थायी और अस्थायी दोनों ही सदस्यता में विस्तार का अह्वान किया। भारत ने कहा कि ग्लोबल साऊथ के विकासशील देशों के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जी 4 के देश चाहते हैं कि दुनिया के सभी इलाकों को संतुलित प्रतिनिधित्व दिया जाए। भारतीय प्रतिनिधि के इस बयान का जर्मनी ने भी खुलकर समर्थन किया। संयुक्त राष्ट्र में जर्मनी के स्थायी प्रतिनिधि ने कहा कि सुरक्षा परिषद का वर्तमान ढांचा दुनिया के वर्तमान भूराजनीतिक परिदृश्य को ठीक से नहीं दिखाता है।
भारत की मांग का फ्रांस ने भी किया समर्थन
जर्मनी ने कहा कि आज अगर हम विवादों का सही ढंग से समाधान चाहते हैं तो सुरक्षा परिषद में स्थायी और गैर स्थायी दोनों ही क्षेत्रों में विस्तार की सख्त जरूरत है। इसके अतिरिक्त और कोई रवैया अपनाया जाता है तो वह अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाएगा। वहीं भारत की इस मांग का फ्रांस ने भी खुलकर समर्थन किया है। फ्रांस ने कहा कि उनका देश चाहता है कि सुरक्षा परिषद में सुधार किया जाए ताकि आज की दुनिया के ज्यादा प्रतिनिधियों को इसमें शामिल किया जाए। हम जी4 देशों की स्थायी सदस्यता की दावेदारी का समर्थन करते हैं।
फ्रांस ने यह भी मांग की कि सुरक्षा परिषद में अफ्रीकी देशों का भी प्रतिनिधित्व स्थायी और अस्थायी सदस्य के रूप में बढ़ाया जाए। जी 4 देशों ने यह मांग ऐसे समय पर तेज की है जब चीन विस्तार में सबसे बड़ा रोड़ा बनकर उभरा है। भारतीय विदेश मंत्री ने पिछले दिनों खुलकर कहा था कि भारत की दावेदारी का विरोध करने वाला कोई पश्चिमी देश नहीं है। उनका इशारा चीन की ओर था। जयशंकर के इस बयान के बाद चीन बौखला गया था और उसने कहा था कि यह सुधार कुछ लोगों के हित के लिए नहीं होना चाहिए। यही नहीं चीन के इशारे पर पाकिस्तान ने भी संयुक्त राष्ट्र में सुधार का खुलकर विरोध किया था। पाकिस्तान को डर सता रहा है कि अगर भारत स्थायी सदस्य बन जाएगा तो वैश्विक संस्था में भारत का दबदबा बढ़ जाएगा।