भारत का ऐसा डर, पाक‍िस्‍तान बना चीनी हथियारों का डंपिंग जोन, कराची को होता है ड्रैगन का 55 फीसदी ड‍िफेंस एक्‍सपोर्ट

लाहौर. नई तकनीक का डंका बजाकर चीन दुनिया में अपने को सबसे बड़ा हथियार निर्माता और निर्यातक बनने का दावा ठोंकने में लगा है. चीन के इन नई तकनीक के नए हथियारों का अभी तक किसी भी जंग में इस्तेमाल नहीं हो सका है, क्योंकि वो खुद जंग में जाने से कतराता है लेकिन वो उन छोटे और गरीब देशों को अपने हथियारों को कम दम में बेचकर अपनी दुकान को चलाने में लगा है और उसका सबसे बड़ा ग्राहक कोई और नहीं बल्कि उसका ऑल वेदर फ्रेंड पाकिस्तान है. खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीन अपने कुल एक्पोर्ट का 55 फीसदी के करीब साजो सामान पाकिस्तान में खपाता है जबकि पाकिस्तान के हथियारों की 77 फीसदी जरूरत को चीन की हथियार निर्माता कंपनियों से पूरी करता है.

चीन हर तरह के हथियार और उपकरण पाकिस्तान सेना के तीनों अंग थलसेना, वायुसेना और नौसेना को देकर मजबूती देने में जुटा है. अगर बड़े हथियारों और उपकरणों की बात करें तो थलसेना के लिए अल खालिद और VT-4 टैक, SH-15 TMG आर्टीलरी गन Z10 अटैक हेलिकॉप्टर, विंग लूंग 1D, विंग लूंग -॥, CH-4, एयर डिफेंस सिस्टम में LY-80, LY-80 EV, HQ-9P और रडार YLC-18 जैसे उपकरणों को पाकिस्तान एयरफोर्स के लिए JF-17, J-10 फाइटर और पाक‍िस्‍तान की नौसेना के लिए Type-054A/P जाहजों का इस्‍तेमाल कर रही है.

पाकिस्तानी थल सेना, वायुसेना और नौसेना सभी अंगों के ज्‍यादातर हथियार अब चीनी2035 तक पाकिस्तान को पीएलए पैकेज के तहत हथियार मुहैया करा रहा है. जानकारो की माने तो चीन ने 2035 तक एक मुश्तराश‍ि तय कर दी है, जिसके तहत पाकिस्तान उससे उतनी रकम को हथियार या सैन्य सहयोग की चीजें खरीद सकता है. अगर हम पाकिस्तान थलसेना की बात करें तो जमीन पर टैंक की लडाई में पाकिस्तान भारत के सामने कही नहीं टिकता तो अपनी इसी कमी को पूरा करने के लिए चीन की मदद से पाकिस्तान अल खालिद-1 टैंक बना रहा है. 90 के दशक में चीन और पाकिस्तान ने साझा तरीके से अल खालिद टैंक को विकसित किया था. पहले चरण में कुल 110 टैंक हैवि इंडस्ट्री टैक्सिला (HIT) में बना रहा है. हर साल 22 टैंक बनाने की प्लानिंग है साथ ही पाकिस्तान चीन से अल खालिद-2 के लिए 1500 HP डीजल इंजन भी लेने वाला है. इसके बाद पाकिस्तान की टैंक की ताकत में इजाफा जरूर हो जाएगा. कुल 220 अल खालिद-1 टैंक को लेकर डील हुई थी. यही नहीं चीन के एशिया पैसेफिक डिपार्टमेंट के चाईना नॉर्थ इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन ने T-85 टैंकों के आधुनिकीकरण के लिए पाकिस्तान के सामने प्रस्ताव रखा है. कुल 90 टैंकों के आधुनिकीकरण पर बात चल रही है तो वही पाकिस्तान चीन से नए 360 मेन बैटल टैंक VT-4 खरीदे है. साल 2021 में आधिकारिक तौर पर इस टैंक के पहले बैच को पाकिस्तान की सेना में शामिल कर लिया गया है.

भारत को चुनौती देने के लिए पाक‍िस्‍तान अपनी आर्टेलरी कर रहा मजबूतपाकिस्तान अपने तोप खाने में भी चीन की मदद से इजाफा कर रहा है. पाकिस्तान चीन से 155/52 कैलिबर माउंटेड गन सिस्टम भी खरीद कर रहा. चीन ने पाकिस्तान को 36 SH1 दे चुका है जबक‍ि अन्य 36 तोपों को जल्दी पाकिस्तान खरीद सकता है. पाकिस्तान अपनी आर्टेलरी को इसलिए मजबूत कर रहा है कि उसे भारत को पहाड़ी इलाकों में चुनौती जो देनी है. बालाकोट में भारतीय वायुसेना के स्ट्राइक की डर ऐसा सताया कि वो चीन से एंटी एयरक्राफ्ट गन भी खरीदने के की फि‍राक में है. 12.7 mm की 750 एंटी एयरक्राफ्ट मशीन गन खरीदने जा रहा है. साथ ही पाकिस्तान तीन से इस गन की तकनीक भी लेगा जिसे ट्रांसफर ऑफ टैक्नॉलेजी कहते है China North Industries Corporation (NORINCO) से ले रहा है.

भारत के डर से चीन से खरीद रहा म‍िसाइल
साल 2017 में ही चीन एयर डिफेंस के लिए भी चीन 3 ESHORADS FM-90 सिस्टम लिए है. ये मिसाइल की मारक क्षमता 15 किलोमीटर है और इसका रडार 25 किलोमीटर की दूरी तक किसी भी मिसाइल, एयरक्राफ़्ट को आसानी से पकड़ सकती है. पाकिस्तान ने हाल ही में QW-18 SAM यानी जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल सिस्टम लिया है ये सब भारत के हवाई ताकत के डर से चीन से खरीद रहा है. पाकिस्तान को कुल 1391 QW 18 SAM मिल चुके है इनमें से 100 सिस्टम चीन की पीएलए के पैकेज से बाहर है. पाकिस्तान को चीन ने नौ LY-80 LOMADS सिस्टम दिए है जो की 2019 में ही चीन ने पाकिस्तान को सौंप दिए है. साथ ही दो अलग करार पाक सेना ने किए है, जिसमें एयर डिफेंस सिस्टम के साथ IBIS -150 रडार सिस्टम शामिल है.

चीन से कौन सा महंगा हथ‍ियार खरीद रहा है पाक‍िस्‍तान
मिडियम टू लॉन्‍ग सर्फेस टू एयर मिसाइल सिस्टम FD-2000 लॉन्‍चर में 4 मिसाइल कंटेनर है, जिनके जरिए HQ-9 मिसाइल दागी जाती है. इसकी मारक क्षमता 7 किलोमीटर से 125 किलोमीटर तक है. सिस्टम इतना महंगा है जिसे पाकिस्तान चीन से ले रहा है जो की चीन के पीएलए पैकेज के तहत अगर वो खरीदता है तो वो 2035 तक के पीएलए पैकेज के तहत और कोई हथियार या सिस्टम नहीं खरीद पाएगा. यह बात चीन की तरफ से साफ कर दी गई है, लेकिन बावजूद इसके पाकिस्तान उसे इस पैके