175 बिलियन पाउंड का रक्षा बजट, 20 लाख सैनिक, 500 परमाणु हथियार… क्या करना चाहता है चीन?

चीन लगातार अपनी सेना को मजबूत करने में जुटा हुआ है. यही वजह है कि वह मौजूदा समय में पूरी दुनिया के लिए खतरा बन गया है. द सन की रिपोर्ट के मुताबिक बीजिंग अपनी सेना और परमाणु हथियारों की ताकत को दिखाने के लिए बेताब है. मौजूदा समय में विश्व पटल पर अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहता है. जिसके लिए वह एक मौके की तलाश में

मौजूदा राष्ट्रपति शी जिनपिंग जिन्हें वहां के लोग माओत्से तुंग के बाद चीन के सबसे शक्तिशाली नेता के रूप में देखते हैं. उन्होंने देश में काफी सख्ती से शासन किया है. अगर कोई उनके नियमों या उनकी सत्ता के खिलाफ कुछ बोलता है तो उसपर कड़ा एक्शन लिया जाता है. जिनपिंग ने चीन में हथियारों के विकास में अरबों डॉलर खर्च किए हैं. 

यूके की इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज के अनुसार पिछले साल चीन का रक्षा बजट 175 बिलियन पाउंड (₹18.30 लाख करोड़) था. मौजूदा समय में चीनी सेना में करीब 20 लाख से अधिक सैन्य कर्मी सक्रिय है. वहीं अमेरिका में सक्रिय रिजर्व सेना की संख्या 13 लाख के करीब है. चीन मौजूदा समय में सबसे अधिक सेना वाला पहला देश है.

चीन के पास 500 से अधिक परमाणु हथियार 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन के पास मौजूदा समय में 500 से अधिक परमाणु हथियार हैं. यही नहीं, आने वाले समय में इसकी संख्या और बढ़ने वाली है. दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियारों वाले देशों में अमेरिका और रूस शामिल हैं. इनके पास करीब पांच-पांच हजार से ज्यादा परमाणु हथियार हैं. 

विशेषज्ञों का मानना है कि जिस गति से चीन अपने परमाणु हथियारों को आगे बढ़ाने में लगा हुआ है उसके इस प्रयास में कुछ खतरनाक इरादे छुपे हुए हैं. चीन की बढ़ती ताकत को देखते हुए पश्चिमी देश अपनी सैन्य ताकत और युद्ध सामग्रियों को बढ़ाने पर विवश हो गए हैं. कुछ पश्चिमी देश डरे हुए हैं. उनका मानना है कि वह चीनी ताकतों का सामना नहीं कर पाएंगे.

नोवेन्स के अनुसार कई पश्चिमी देश अपनी क्षमता को देखते हुए असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. पिछले साल पेंटागन की रिपोर्ट पर गौर करें तो आगामी 6 वर्षों में चीन अपने परमाणु हथियारों को दोगुना करने की योजना बना रहा है. चीन के साथ ईरान, रूस और सऊदी अरब जैसे सहयोगी देश भी हैं. वह इन देशों के साथ अपने रिश्ते मजबूत कर परमाणु हथियारों की संख्या में बढ़ोतरी कर सकता है.

चीन की महत्वाकांक्षा

इसमें कोई शक नहीं है कि चीन, ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है. उसे जरूरत पड़ी तो इस राष्ट्र को अपने अधीन करने के लिए बल का इस्तेमाल भी करेगा. ताइवान 1949 में अलग होने के बाद स्वयं को एक स्वशासित राष्ट्र के रूप में देखता है. 

हाल के दिनों में चीनी वायु सेना को ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में कई बार देखा गया है. ताइवान विवाद से अमेरिका और चीन के रिश्ते इन दिनों तल्ख हुए हैं. खुफिया रिपोर्ट की मानें तो जिनपिंग ने अपनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को 2027 तक ताइवान पर कब्जा करने के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है.

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