पाकिस्तान की तरफ से ‘हथियार व ड्रग्स’ को लेकर भारतीय सीमा में आने वाले ड्रोन का जल्द ही खेल खत्म होने वाला है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश की सीमाओं को सुरक्षित करने की तकनीक खोज निकाली है। तीन तरह के उपकरणों का ट्रायल चल रहा है। इनमें से एक या दो तकनीकों को बॉर्डर के हर हिस्से पर लगाया जाएगा। एंटी ड्रोन तकनीक को जमीन पर उतरने में महज 180 दिन लगेंगे। यानी छह माह पाकिस्तान से आने वाले ड्रोन की एंट्री पूरी तरह से बंद हो जाएगी। पाकिस्तान के ड्रोन, भले ही कितनी भी ऊंचाई पर क्यों न हों, वे भारतीय सीमा में नहीं घुस पाएंगे। खास बात है कि इस तकनीक में बॉर्डर गार्ड फोर्स को गोली नहीं चलानी पड़ेगी। तकनीक सिस्टम, पाकिस्तान के ड्रोन को वहीं पर जाम कर देगा।
तीन तरह के ट्रायल पर चल रहा काम
केंद्रीय गृह मंत्रालय के विश्वस्त सूत्रों ने बताया, पाकिस्तान की तरफ से पंजाब व जम्मू कश्मीर सहित दूसरे सीमावर्ती क्षेत्रों में आने वाले ड्रोन को जाम करने के लिए तकनीकी सिस्टम का ट्रायल, अंतिम चरण में हैं। तीन तरह के ट्रायल पर काम चल रहा है। ट्रायल के नतीजे उत्साहवर्धक हैं। खास बात है कि यह एंटी ड्रोन तकनीक, बॉर्डर के हर हिस्से पर लगाई जाएगी। पाकिस्तान ड्रोन की घुसपैठ को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय में कई बड़े प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। पंजाब और जम्मू कश्मीर से लगते बॉर्डर पर तीन मॉड्यूल के अंतर्गत ट्रायल शुरू हुआ था। ड्रोन को खत्म करने की जिस तकनीक पर काम हो रहा है, उसमें काफी हद तक सफलता मिल रही है। ट्रायल के फाइनल नतीजों का विश्लेषण करने के बाद एंटी ड्रोन तकनीक को देश के सभी बॉर्डर पर लगाया जाएगा। अगले छह माह के भीतर, पाकिस्तान से लगता बॉर्डर एंटी ड्रोन तकनीक से लैस होगा।
गिराए जा रहे हथियार, कारतूस और ड्रग्स के पैकेट
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ‘आईएसआई’ द्वारा पंजाब में लगातार ड्रोन भेजे जा रहे हैं। जम्मू कश्मीर और राजस्थान में भी ऐसे मामले सामने आए हैं। ड्रोन के जरिए हथियार, कारतूस और ड्रग्स के पैकेट गिराए जाते हैं। पिछले साल ही बीएसएफ ने लगभग 100 पाकिस्तानी ड्रोन को बॉर्डर पर मार गिराया था। पाकिस्तान से पंजाब में आए दिन ड्रोन के जरिए भेजे जा रहे ड्रग्स के पैकेट जब्त किए जा रहे हैं। ड्रग्स को लेकर पंजाब सरकार, केंद्रीय गृह मंत्रालय की रणनीति के मुताबिक काम कर रही है। पंजाब में बीएसएफ, एनसीबी और पुलिस, ये तीनों पूर्ण समन्वय के साथ आगे बढ़ रहे हैं। पाकिस्तान से आने वाले ज्यादातर ड्रोन चीन निर्मित होते हैं।
चीन निर्मित ड्रोन की तकनीक में होता है बदलाव
ये ड्रोन, बीएसएफ की नजरों से बच जाएं, इसलिए इनकी तकनीक में कुछ बदलाव किया जाता है। कहीं पर ड्रोन की आवाज बंद कर दी जाती है, तो कुछ ड्रोन की सिग्नल लाइट को हटा दिया जाता है। पंजाब से लगते भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर सर्दियों में जब घना कोहरा छाया था, तब दर्जनों ड्रोन आए थे। उस वक्त ड्रोन की ऊंचाई ज्यादा रखी जाती थी। आवाज और ब्लिंकर को भी कंट्रोल कर देते थे। बीएसएफ ने पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में जो ड्रोन गिराए हैं, उनकी लंबाई छह फुट तक रही है। कुछ ड्रोन तो 25 हजार एमएच की बैटरी वाले भी मिले हैं। ऐसे ड्रोन की मदद से 20-25 किलोग्राम सामान कहीं पर पहुंचाया जा सकता है।
एडीएस’ लगे वाहनों की खरीदे
पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सर्विलांस के लिए बीएसएफ द्वारा ‘सीआईबीएमएस’ का ट्रायल किया जा रहा है। पाकिस्तान की तरफ से आने वाले ड्रोन का पता लगाने के लिए एंटी ड्रोन सिस्टम ‘एडीएस’ लगे वाहनों की खरीद प्रक्रिया जारी है। इस सिस्टम की मदद से भारतीय सीमा में रात को या धुंध के दौरान आने वाले ड्रोन का भी पता लगाया जा सकता है। बीएसएफ के पास इस्राइल निर्मित 21 ‘लॉन्ग रेंज रीकानिसंस एंड ऑब्जरवेशन सिस्टम’ (लोरोस) हैं। इसके जरिए दिन में 12 किलोमीटर दूर से किसी मानव का पता लगाया जाता है। अब बीस किलोमीटर की रेंज वाले ‘लोरोस या एचएचटीआई’ खरीदने की तैयारी चल रही है। बीएसएफ को बहुत जल्द 546 ‘एचएचटीआई’ (अनकूल्ड) लॉन्ग रेंज वर्जन कैमरे मिल जाएंगे। इसके अलावा 878 ‘एचएचटीआई’ कैमरे, जिनमें 842 (अनकूल्ड) और 36 (कूल्ड) कैमरे खरीदने की प्रक्रिया चल रही है।
‘3600’ ड्रोन को कंट्रोल करने का फॉर्मूला
पाकिस्तान की तरफ से पंजाब में पहले दो चार ड्रोन आते थे, अब पिछले कुछ समय से लगातार ड्रोन आ रहे हैं। कई बार तो एक ही दिन में कई ड्रोन छोड़े जा रहे हैं। बीएसएफ द्वारा मार गिराए गए अधिकांश ड्रोन, क्वैडकॉप्टर (मॉडल डीजेआई मेविक 3 क्लासिक, मेड इन चाइना) और क्वैडकॉप्टर (मॉडल डीजेआई मेट्रिस 300 आरटीके, मेड इन चाइना) सीरिज के होते हैं। हालांकि पाकिस्तान को अभी तक चीन से ‘3600’ ड्रोन को एक साथ कंट्रोल करने का फॉर्मूला नहीं मिल सका है। पाकिस्तान से पंजाब में आने वाले अनेक ड्रोन पहले असेंबल भी किए जाते रहे हैं। पाकिस्तान को चीन से सस्ती दरों पर ड्रोन के पुर्जे मिल जाते हैं। इन्हें पाकिस्तान में जोड़ कर ड्रोन तैयार किया जाता है। चाइनीज पुर्जों के जरिए डेढ़ से दो लाख रुपये में एक ड्रोन तैयार हो जाता है। पंजाब सेक्टर में बीएसएफ द्वारा मार गिराए गए अनेक ड्रोन ‘क्वैडकॉप्टर डीजेआई मेट्रिस 300 आरटीके सीरिज’ के रहे हैं। ड्रोन का फ्लाइंग टाइम और भार सहने की क्षमता पर कीमत तय होती है। आर्थिक मार के बावजूद भारतीय सीमा में घुसपैठ कराने के लिए, पाकिस्तान सालाना 15 करोड़ रुपये खर्च करता है। सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी बताते हैं कि पाकिस्तान द्वारा गत दो वर्षों से भारी संख्या में ड्रोन, भारतीय सीमा में भेजे जा रहे हैं। गत वर्ष अकेले पंजाब में ही करीब ढाई सौ ड्रोन आए थे। राजस्थान से लगती सीमा पर भी ड्रोन की गतिविधियां बढ़ रही हैं।
ड्रोन गिराने के लिए कई राउंड फायर
पाकिस्तान से आने वाले चीन निर्मित ड्रोन के सिस्टम में कई तरह के बदलाव किए जा रहे हैं। बीएसएफ से बचने के लिए ड्रोन की आवाज और उसकी लाइट को बंद कर दिया जाता है। पंजाब से लगते भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर जब घना कोहरा छा जाता है, तब दर्जनों ड्रोन भेजने की कोशिश रहती है। ड्रोन की ऊंचाई ज्यादा होने, कम आवाज और ब्लिंकर बंद होने की वजह से बीएसएफ को ड्रोन गिराने में कई राउंड फायर करने पड़ते हैं। मौजूदा समय में ड्रोन को जवानों के फायर से बचाने के लिए उसकी ऊंचाई बढ़ा दी जाती है। हालांकि इसके बावजूद, बीएसएफ उसे छोड़ती नहीं है। बीएसएफ ने पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में जो ड्रोन गिराए हैं, उनकी लंबाई छह सौ फुट तक रही है।
25 हजार एमएच की बैटरी वाले ड्रोन
कुछ ड्रोन तो ऐसे भी मिले हैं, जिनमें 25 हजार एमएच की बैटरी लगी थी। मतलब, ऐसे ड्रोन की मदद से 20-25 किलोग्राम सामान कहीं पर पहुंचाया जा सकता है। पहले जो ड्रोन आते थे, उनकी आवाज साफ सुनाई पड़ती थी। साथ ही वह ड्रोन रात को या अल सुबह आता था। उस वक्त ड्रोन की लाइटें नजर आती थीं। इससे बीएसएफ को निशाना लगाने में दिक्कत नहीं आती थी। अब ड्रोन में बदलाव के चलते बीएसएफ को हर पल सतर्कता बरतनी पड़ती है। बीएसएफ द्वारा उन सभी सीमावर्ती रास्तों पर विशेष टीमें तैनात की गई हैं, जहां से तस्कर, बॉर्डर की तरफ आ सकते हैं। इसका फायदा यह रहता है कि अगर कोई ड्रोन जो बीएसएफ की नजर में नहीं आया हो, लेकिन वह कहीं आसपास ही उतरा है, तो उस स्थिति में बीएसएफ की टीमें उन तस्करों को सामान सहित पकड़ सकती हैं।