दिसंबर के आखिरी दिन बदलेगा मौसम, बारिश के साथ नए साल का आगाज़, मौसम पर जानिए IMD की भविष्यवाणी

उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत के कुछ हिस्सों में नए साल की पूर्वसंध्या यानी 31 दिसंबर की शाम से बारिश की गतिविधियां शुरू हो सकती हैं. दरअसल, एक ताजा पश्चिमी विक्षोभ 29 या 30 दिसंबर के आसपास पश्चिमी हिमालय के पास पहुंचने वाला है. यह मौसम प्रणाली बहुत जरूरी बारिश लाने की संभावना जता रही है.

साल के आखिरी दिनों में कई राज्यों में बारिश की संभावना जताई गई है. 30 दिंसबर से 1 जनवरी तक तटीय तमिलनाडु में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है. वहीं. उत्तर पश्चिम और आसपास के मध्य भारत यानी जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और गोवा में 30 दिसंबर से 2 जनवरी के दौरान हल्की बारिश हो सकती है.

दरअसल, निचले स्तर की पूर्वी हवाओं के साथ इस ताजा पश्चिमी विक्षोभ के संपर्क से जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बारिश और बर्फबारी होने की उम्मीद है. पश्चिमी राजस्थान, पश्चिमी मध्य प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों और दिल्ली और एनसीआर में एक या दो स्थानों पर छिटपुट बारिश हो सकती है. इन राज्यों में बारिश की तीव्रता अलग-अलग होने की संभावना है, हालांकि, पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश होने का अनुमान है.

मौसम विभाग के मुताबिक, अगले 3-4 दिन यानी 26 से 29 दिसंबर के बीच उत्तर पश्चिम और निकटवर्ती मध्य भारत में घना से बहुत घना कोहरा जारी रहने की संभावना है. यानी अगले 4 दिन तक जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और गोवा समेत आसपास के इलाकों में घना कोहरा रहेगा.

मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली एजेंसी, स्काईमेट के मुताबिक, 29 दिसंबर से छिटपुट से व्यापक बारिश और बर्फबारी की उम्मीद है, जो 30 और 31 दिसंबर को तेज होगी. वहीं, आने वाले पश्चिमी विक्षोभ के कारण तापमान में भी भारी गिरावट आएगी, जिससे नए साल की पूर्व संध्या का जश्न थोड़ा ठंडा हो जाएगा. बारिश या बर्फबारी आपने न्यू ईयर के जश्न को बाधित कर सकती है और कुछ क्षेत्रों में ट्रैफिक जाम का कारण बन सकती है.

पश्चिमी विक्षोभ क्या हैं?

बता दें कि पश्चिमी विक्षोभ चक्रवाती तूफान हैं जो भूमध्य सागर के ऊपर उत्पन्न होते हैं और पूर्व की ओर बढ़ते हैं, जिससे भारतीय उपमहाद्वीप, विशेषकर उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में बारिश और बर्फबारी होती है. ये गड़बड़ी क्षेत्र में जल संसाधनों को फिर से भरने और कृषि को समर्थन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

 

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