निर्भरता मजबूरी में ना बदल जाए’, टैरिफ पर मोहन भागवत ने दिया स्वदेशी का मंत्र

डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ युद्ध छेड़ने के बीच, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि स्वदेशी वस्तुओं और आत्मनिर्भरता को अपनाना ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है. 
नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय से विजयादशमी के मौके पर अपने संबोधन में मोहन भागवत ने कहा कि आपस में जुड़ी दुनिया में, व्यापारिक साझेदारों पर भारत की निर्भरता लाचारी में नहीं बदलनी चाहिए और देश को स्वदेशी उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए

मोहन भागवत ने कहा, “हमारा देश में आर्थिक क्षेत्र में आगे बढ़े इसीलिए युवा उद्योजक में उत्साह भी दिख रहा है. अमेरिका ने टैरिफ नीति उनके हित के लिए अपनाई होगी. विश्व का जीवन निर्भरता से चलता है. अकेला राष्ट्र आइसोलेशन में जी नहीं सकता. यह निर्भरता मजबूरी में ना बदला जाए. हमें स्वदेशी और स्वावलंबन होगा पड़ेगा. इसका कोई पर्याय नहीं है.”

हमारे पड़ोसी देश में…’

आरएसएस चीफ ने आगे कहा कि ट्रंप टैरिफ की मार हम सब पर पड़ती है. निर्भरता मजबूरी ना बन जाए, इसके लिए स्वदेशी का उपयोग करना पड़ेगा. हमारे पड़ोसी देश में उथलपुथल हो रही है. उनमें अस्थिरता होना, हमारे लिए चिंता का विषय है.
मोहन भागवत ने आगे कहा कि सौभाग्य से भारत में आशा दिख रही है कि हमारी युवा पीढ़ी को देशभक्ति के प्रति आकर्षण हो रहा है. अमेरिका का जीवन विकसित माना जाता है और हम अगर ऐसा जीवन जीते, तो पांच पृथ्वी की जरूरत होगी. अर्थ और काम के पीछे दुनिया भाग रही है.

मोहन भागवत आगे ने कहा, “व्यवस्था बनाने वाला मनुष्य होता है. जैसा समाज है, वैसी व्यवस्थाएं चलेंगी. समाज के आचरण में परिवर्तन आना चाहिए. समाज को अपने आप को नए आचरण में ढालकर खड़ा होना पड़ता है, यह परिवर्तन की पूर्व शर्त है.  हम उस परिवर्तन का उदाहरण बनकर जीएं.”

‘जैसा आपको देश चाहिए…’

मोहन भागवत ने कहा कि संघ का अनुभव है कि व्यक्ति परिवर्तन से समाज परिवर्तन और समाज परिवर्तन से व्यवस्था परिवर्तन. तब जाकर दुनिया में परिवर्तन लाया जा सकता है. आदत बदले बिना परिवर्तन नहीं होता. जैसा आपको देश चाहिए, वैसा आपको होना है. संघ की शाखा आदत बदलने की व्यवस्था है. 
उन्होंने आगे कहा कि संघ को लालच भी मिला, राजनीति में उतरने का निमंत्रण भी मिला. लेकिन संघ ने स्वीकार नहीं किया. स्वयंसेवक 50 साल से शाखा में आ रहे हैं, फिर भी आ रहे हैं. क्योंकि आदत छूटनी नहीं चाहिए. इससे व्यक्तित्व और राष्ट्रभक्ति का निर्माण होता है. इसके लिए देश में एकता जरूरी है.

भागवत के स्पीच की 4 बड़ी बातें, कहा- अमेरिकी टैरिफ का सब पर असर

1. पूरी दुनिया भारत की तरफ देख रही: आज पूरी दुनिया में अराजकता का माहौल है। ऐसे समय में पूरी दुनिया भारत की तरफ देखती है। आशा की किरण ये है कि देश की युवा पीढ़ी में अपने देश और संस्कृति के प्रति प्रेम बढ़ा है। समाज खुद को सक्षम महसूस करता है और सरकार की पहल से खुद ही समस्याओं का निदान करने की कोशिश कर रहा है। बुद्धिजीवियों में भी अपने देश की भलाई के लिए चिंतन बढ़ रहा है।’

2. दुनिया में आप अकेले जी नहीं सकते: अमेरिका ने जो नई टैरिफ नीति अपनाई उसकी मार सभी पर पड़ रही है। इसलिए दुनिया में आपसी संबंध बनाने पड़ते हैं। आप अकेले नहीं जी सकते, लेकिन ये निर्भरता मजबूरी में न बदल जाए। इसलिए हमको इसको मजबूरी न बनाते हुए आत्मनिर्भर होना पड़ेगा।

3. हिंसा बदलाव का तरीका नहीं: प्राकृतिक उथल-पुथल के बाद पड़ोसी देशों में भी उथल-पुथल देखने को मिल रही है। कभी-कभी होता है प्रशासन जनता को ध्यान में रखकर नीति नहीं बनाता, उनमें असंतोष होता है, लेकिन उसका इस तरह से सामने आना ठीक नहीं है। इतनी हिंसा सही नहीं है। लोकतांत्रिक तरीके से बदलाव आता है।

4. हिंसक परिवर्तनों से अराजकता की स्थिति बनती है: हिंसक परिवर्तनों से उद्देश्य नहीं मिलता, बल्कि अराजकता की स्थिति में बाहर की ताकतों को खेल-खेलना का मौका मिल जाता है। पड़ोसी देशों में ऐसा होना हमारे लिए चिंता का विषय है, क्योंकि वे पहले हमारे लोग ही थे। परिस्थिति ऐसी है कि सुख सुविधा बढ़ी, राष्ट्र पास आए,आर्थिक लेने देन के जरिए पास आए। मनुष्य जीवन में जंग और कलह चल रहे हैं अब परिवारों में भी टूटन आ रही है।

फ्रांस अपने राजा के खिलाफ उठ खड़ा हुआ और नेपोलियन सम्राट बन गया। कितने ही तथाकथित समाजवादी आंदोलन हुए, लेकिन अब ये सभी समाजवादी देश पूंजीवादी हो गए हैं।

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