मध्य प्रदेश के ग्वालियर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने शहर में बढ़ते कुत्ते के काटने के मामलों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने नगर निगम और प्रशासन को उनकी उदासीनता के लिए कड़ी फटकार लगाई और आवारा कुत्तों की समस्या के समाधान के लिए ठोस कदम उठाने का आदेश दिया. कोर्ट ने नगर निगम के एक अधिकारी की गलत नियुक्ति पर भी सवाल उठाए और भविष्य में ऐसी गलतियों को रोकने का निर्देश दिया. अगली सुनवाई 3 अप्रैल को निर्धारित है.
जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने उन्होंने अपनी टिप्पणी में कहा है कि डॉग बाइट की घटनाएं घटने की बजाय बढ़ रही हैं. उन्होंने कहा कि ‘हर दिन छोटे बच्चों पर कुत्तों के हमले हो रहे है तस्वीरें समाचार पत्रों में प्रकाशित हो रही हैं, और आप लोग नगर निगम कागजों पर काम कर मजे ले रहे हो.’ हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस मामले में मध्य प्रदेश शासन, पशुपालन विभाग और ग्वालियर नगर निगम की कड़ी आलोचना की. कोर्ट ने कहा कि नगर निगम की उदासीनता के कारण आम जनता खासकर छोटे बच्चे डॉग बाइट की घटनाओं का शिकार हो रहे हैं. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नगर निगम को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और सड़कों पर घूम रहे आवारा कुत्तों की समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए.
आवारा कुत्तों से परेशान हैं लोग
ग्वालियर में आवारा कुत्तों की समस्या लंबे समय से बनी हुई है, लेकिन नगर निगम द्वारा इसे हल करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रशासन को सिर्फ कागजों पर नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर काम करना होगा ताकि डॉग बाइट की घटनाओं में कमी लाई जा सके. हाई कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 3 अप्रैल तय की है. अब देखना होगा कि नगर निगम और प्रशासन इस दिशा में क्या ठोस कदम उठाते हैं और कोर्ट के निर्देशों का पालन किस तरह किया जाता है.
नगर निगम की कार्यशैली पर भी सवाल
इस सुनवाई के केंद्र में ग्वालियर नगर निगम में स्वास्थ्य अधिकारी अब मुख्य स्वच्छता अधिकारी के रूप में प्रतिनियुक्ति पर नियुक्त डॉ. अनुज शर्मा का मामला था. कोर्ट ने कहा कि पशु चिकित्सक होने के नाते डॉ. शर्मा डॉग बाइट की घटनाओं को कम करने के लिए उपयुक्त व्यक्ति थे, लेकिन वे इसमें असफल रहे. इससे नगर निगम की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े होते हैं. डॉ. अनुराधा गुप्ता ने उनकी नियुक्ति को यह कहते हुए चुनौती दी थी कि स्वास्थ्य अधिकारी पद पर केवल वही व्यक्ति नियुक्त हो सकता है, जिसके पास एमबीबीएस की डिग्री हो.
पिछली सुनवाई में हाई कोर्ट ने डॉ. अनुज शर्मा को उनके पद से हटाने का आदेश दिया था, जिसका पालन करते हुए उन्हें रिलीव कर दिया गया है. हाई कोर्ट की खंडपीठ ने नगर निगम से उन सभी अधिकारियों की सूची पेश करने का निर्देश दिया है, जो प्रतिनियुक्ति पर निगम में कार्यरत हैं. कोर्ट ने यह भी कहा कि भविष्य में इस तरह की गलत नियुक्तियों को रोका जाए और योग्य व्यक्तियों को ही जिम्मेदार पदों पर नियुक्त किया जाए.