बदल चुकी है हवा… पीओके पर जयशंकर के बयान का क्या है मतलब

नई दिल्ली: पिछले दिनों ब्रिटेन और आयरलैंड के अपने 6 दिवसीय दौरे के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर लंदन में ‘भारत का उदय और विश्व में उसकी भूमिका’ विषय पर बोल रहे थे। सत्र समाप्ति के बाद एक पाकिस्तानी पत्रकार ने उनसे पूछा कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कश्मीर विवाद के हल के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के साथ अपने संबंधों का इस्तेमाल कर सकते हैं? जयशंकर ने कहा कि कश्मीर में हमने ज्यादातर समस्याओं का समाधान कर लिया है। उन्हें लगता है कि अब हम जिस दिन का इंतजार कर रहे हैं, वह है कश्मीर के उस हिस्से की वापसी जिसे अवैध तौर पर पाकिस्तान ने चुराया है।

सवाल और विश्वास : जयशंकर के यह कहने के बाद लंबित भावनाओं के आलोक में सनसनी पैदा होनी चाहिए थी। इसके विपरीत जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रश्न किया कि आपको ऐसा करने से रोका किसने है? उमर की तरह के प्रश्न आपको सोशल मीडिया पर चारों ओर मिल जाएंगे। कारण इतना ही है कि किसी सरकार ने इसके लिए प्रयास नहीं किया। 22 फरवरी, 1994 को संसद द्वारा सर्वसम्मति से जम्मू-कश्मीर राज्य के अधिकृत क्षेत्र को खाली कराने का संकल्प केवल कागजों तक सीमित रह गया। ऐसे में आम लोग कैसे विश्वास करेंगे कि कोई सरकार PoK वापस लेगी?हासिल का संकल्प : जयशंकर से पहले गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह संसद में बयान दे चुके हैं कि जम्मू-कश्मीर के लिए बनाई जा रही नीतियों में पाक अधिकृत कश्मीर और अक्साई चिन भी शामिल है। गहराई से देखें तो उनके वक्तव्यों में हासिल करने का संकल्प भी दिखाई देगा। सेना प्रमुख का बयान है कि सेना तैयार है। इस बार केंद्र सरकार की नीति और व्यवहार में पूर्व सरकारों से मौलिक अंतर है। किसने कल्पना की थी कि अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया जाएगा? पुलवामा हमले के बाद भी किसी को नहीं लगा था कि वायु सेना सीमा पार बमबारी कर आएगी।आज नहीं तो कल : पाक अधिकृत कश्मीर की वर्तमान स्थिति केवल क्षेत्र के आर्थिक विकास के नजरिए से ही नहीं, सुरक्षा की दृष्टि से भी परेशानी की बड़ी वजह है। यह दो हिस्सों जम्मू-कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान के रूप में बंटा है। 1963 के एक समझौते में काराकोरम के उत्तर में स्थित जम्मू-कश्मीर के 5,000 वर्ग किमी शक्सगाम क्षेत्र को पाकिस्तान ने चीन को दे दिया था। चीन पाक आर्थिक गलियारा वहीं से होकर ग्वादर बंदरगाह तक जाता है, जिसका भारत ने लगातार विरोध किया है। इसे भारत का अभिन्न अंग बनाए बिना हमारी सुरक्षा कैसे सुनिश्चित हो सकती है? इसलिए आज नहीं तो कल किसी सरकार को यह काम करना ही होगा।

अवैध कब्जा : यह मानना गलत है कि PoK के लोग पाकिस्तान के पक्ष में हैं। कबायलियों द्वारा कब्जा किए क्षेत्र को भले उस समय कश्मीर के एक वर्ग ने स्वतंत्र घोषित कर दिया, लेकिन इसका पूरा नियंत्रण इस्लामाबाद केंद्रित है। विधानसभा होने के बावजूद उसके पास कोई अधिकार नहीं। आज तक पाकिस्तान को हिम्मत नहीं हुई कि वह इसे अपना प्रांत घोषित कर दे। पाकिस्तान के संविधान में सिर्फ चार सूचीबद्ध प्रांत हैं- पंजाब, खैबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान और सिंध। इसलिए यह गलतफहमी भी नहीं होनी चाहिए कि पाक अधिकृत कश्मीर पाकिस्तान का हो चुका है।

इंडिया जिंदाबाद : पाक नियंत्रित होने के बावजूद यहां लगातार इस्लामाबाद के विरुद्ध विद्रोह होते रहते हैं। कई तरह के खनिज और वन्य औषधीय संपदा होने के बावजूद यह क्षेत्र विकास से कोसों दूर है। पाकिस्तान ने उसे आतंकवादियों के प्रशिक्षण, शरणस्थल और सीमा पार कराने के क्षेत्र में बदल दिया है। हाल के वर्षों में वहां कई आंदोलन हुए हैं जिनमें इंडिया जिंदाबाद के नारे लगे हैं। 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक के बावजूद यहां इसका विरोध नहीं हुआ। 2015 के बाद से ही PoK के अनेक संगठन सामने आकर बोल रहे हैं कि जिस तरह भारत सरकार उसके एक हिस्से में विकास कर रही है, वह सब हमारे क्षेत्र में भी संभव होगा।बलूचों की दोस्ती : PoK में अकेले गिलगित-बाल्टिस्तान 72,871 वर्ग किमी में फैला है। बाल्टिस्तान में अधिकतर बलूच हैं, तो इसे बलूचिस्तान भी कहा जाता है। बलूचों के अंदर पाक के विरोध और उससे मुक्ति का सघन संघर्ष है। बलूच विद्रोही नेता लगातार भारत से स्वतंत्रता के लिए मदद मांगते हैं। कभी भारत की ओर से ऐसे वक्तव्य के विरोध में पाकिस्तान और अनेक मुस्लिम देशों के साथ यूरोप, अमेरिका से आवाजें आती थीं। इस बार पाकिस्तान को छोड़कर एक भी स्वर विरोध में नहीं आया।चल रही तैयारी : एक समय ऐसा माहौल था कि भारत ने सैन्य कार्रवाई की तो पाकिस्तान परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर देगा। इसी आशंका से यूरोप-अमेरिका भारत पर दबाव बढ़ाने की कोशिश करते थे। सर्जिकल स्ट्राइक और हवाई बमबारी के बाद यह मिथक समाप्त हो चुका है। ऐसे में बदले वातावरण और केंद्र की मौजूदा सरकार का ट्रैक रेकॉर्ड देखें तो समझ में आएगा कि PoK के लिए कोई न कोई तैयारी जरूर चल रही है।

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