भारत ने खुद के एआई मॉडल का ऐलान कर दिया है। सरकार ने साफ कर दिया है कि अगल 10 माह में भारत खुद का लॉर्ज लैंग्वेज मॉडल तैयार कर लेगा, जो भारत के अपमान का बड़ा बदला होगा। दरअसल ओपनएआई के सैम ऑल्टमैन ने भारत के दौर के वक्त दावा किया था कि भारत जैसे देश के लिए चैटजीपीटी जैसा टूल बनाना मुश्किल होगा। अगर भारत ऐसा करने की सोचता है, तो उसे नाकामयाबी हाथ लगेगी।
अमेरिकी टेक वर्चस्व को मिली चीन से टक्कर
इस बयान के पीछे की दो वजह थी। पहली कि भारत जैसे देश के लिए बिलियन डॉलर खर्च करके चैटजीपीटी जैसा टूल बनाना संभव नहीं है, क्योंकि इसके लिए बड़े निवेश की जरूरत होगी। साथ ही दूसरा चैटजीपीटी जैसे टूल के लिए एक्सपर्टीज और एडवांस्ड कंप्यूटर की जरूरत होगी। लेकिन अमेरिकी टेक कंपनी गुरुर को चीनी एआई मॉडल डीपसीक ने तोड़ कर रख दिया। एडवांस्ड अमेरिकी कंप्यूटिंग चिप के एक्सपोर्ट पर लगे प्रतिबंध के बावजूद चीन ने डीपसीक बनाकर अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती है।
DRDO का बयान – बिलियन डॉलर की जरूरत नहीं
चीन के डीपसीक के बाद भारत में हलचल तेज हो चुकी है। केंद्रीय मंत्री ने डीपसीक जैसा एआई टूल बनाने का ऐलान कर दिया है। साथ ही DRDO प्रमुख ने डीपसीक मामले में बयान दिया है कि चीन ने दिखाया है कि एआई मॉडल बनाने के लिए बिलियन डॉलर की जरूरत नहीं है। बता दें कि चीन ने डीपसीक को मात्र 5 मिलियन डॉलर में बना दिया है। साथ ही चीन ने डीपसीक बनाने के लिए अमेरिकी कंपनी की पुरानी चिप का इस्तेमाल किया है। चीन के बाद भारत को उम्मीद है कि वो सस्ता एआई मॉडल लॉन्च करके अमेरिकी अपमान का बदला ले सकता है।
5 मिलियन डॉलर में बना डीपसीक
ओपनएआई बेस्ड चैटजीपीटी को बनाने में माइक्रोसॉफ्ट की तरफ से 13 बिलियन डॉलर की फंडिंग की गई है। लेकिन डीपसीक को एक छोटे से स्टार्टअप में 5 मिलियन डॉलर की फंड में मात्र 2 साल में बना डाला है। ऐसे में भारत ने दावा किया है कि उसकी तरह से मात्र 10 माह में एआई मॉडल बनाया जाएगा, जिसमें देश की ज्यादातर लैंग्वेज का सपोर्ट मिलेगा। बता दें कि डीपसीक जैसे एआई मॉडल में हिंदी और अन्य भाषाओं का सपोर्ट सही से नहीं मिलता है।