यरुशलम: इजरायल ने शनिवार 26 अक्तूबर को ईरान पर अब तक का सबसे बड़ा हवाई हमला बोला था। इसमें 100 से ज्यादा लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया गया था, जिन्होंने राजधानी तेहरान समेत ईरान के कई क्षेत्रों में सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इजरायली सेना ने हमले के बारे में जानकारी देते हुए शनिवार को बताया था कि उसका हमला सफल रहा और सभी विमान ऑपरेशन को अंजाम देकर सुरक्षित लौट आए हैं। हमले के बाद अमेरिका ने कहा था कि उसे जानकारी थी लेकिन वह इसमें शामिल नहीं था। हालांकि, अब अमेरिका को लेकर एक नई जानकारी सामने आई है।
पायलटों को बचाने के लिए बना था प्लान
इजरायल के आर्मी रेडियो ने रविवार को बताया कि ऑपरेशन डेज ऑफ रिपेंटेंस के दौरान इजरायली पायलटों के किसी भी आपातकालीन स्थिति में फंसने पर अमेरिकी फाइटर जेट पूरी तैयार थे। रेडियो ने कहा, अगर ऑपरेशन सफल नहीं होता तो इजरायल और अमेरिका ने पायलटों को सुरक्षित निकालने के लिए एक योजना बनाई थी।
इजरायल को नहीं था भरोसा
रिपोर्ट में जोर दिया गया कि हालांकि अमेरिका ने हमले में खुद हिस्सा नहीं लिया लेकिन यूएस सेंट्रल कमांड का एक बेड़ा जरूरत पड़ने पर हस्तक्षेप के लिए तैयार था। इसमें यह भी कहा गया कि इजरायली वायु सेना ने अमेरिकी समर्थन पर भरोसा किए बिना पायलट बचाव के लिए एक स्वतंत्र योजना तैयार कर ली थी।
अमेरिका ने दी ईरान को चेतावनी
अमेरिका ने खुलकर ईरान पर इजरायली हमले को जायज ठहाराया है। यूएस प्रेसिडेंट जो बाइडेन ने शनिवार को कहा कि यहूदी राष्ट्र ने सिर्फ सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। वहीं पेंटागन चीफ लॉयड ऑस्टिन ने तेहरान को हमले का जवाब न देने की चेतावनी दी। बाइडेन ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि ये हमले ‘अंत’ होंगे। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि इजरायली सेना ने ‘मिलिट्री टारगेट्स’ के अलावा किसी और चीज को निशाना नहीं बनाया।
वहीं, अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने इजरायल के रक्षा मंत्री योआव गैलेंट से कहा कि ईरान को ‘इजरायल के हमलों का जवाब देने की गलती नहीं करनी चाहिए।’ ऑस्टिन ने कहा कि इजरायल के हमलों से ‘इस सिलसिले जिले का अंत हो जाना चाहिए।’ उन्होंने क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए कूटनीति का उपयोग करने के अवसरों की बात की।