यूरोफाइटर टाइफून लड़ाकू विमान कितना खतरनाक, जिसे इंटरसेप्ट कर फूले नहीं समा रहा हमारा अपना तेजस?

बर्लिन: भारत के तेजस लड़ाकू विमान ने एक अंतरराष्ट्रीय युद्धाभ्यास के दौरान दुनिया के सबसे शक्तिशाली लड़ाकू विमानों में से एक यूरोफाइटर टाइफून को धूल चटाई है। तरंग शक्ति युद्धाभ्यास का आयोजन भारत में किया जा रहा है। इसे दुनिया के सबसे बड़े युद्धाभ्यासों में गिना जाता है। तरंग शक्ति अभ्यास की शुरुआत भारत के सुलूर एयर बेस पर हुई। इस दौरान भारतीय वायु सेना के वाइस चीफ ऑफ एयर मार्शल एपी सिंह ने स्वदेशी फाइटर जेट तेजस को उड़ाया और जर्मन एयर फोर्स के यूरोफाइटर टाइफून को रोका। यूरोफाइटर टाइफून को जर्मन एयर फोर्स चीफ लेफ्टिनेंट जनरल इंगो गेरहार्ट्ज उड़ा रहे थे। तेजस की इस क्षमता को देख जर्मन वायु सेना के पायलट हैरान रह गए।

हार के बाद क्या बोले जर्मन पायलट

इस घटना के बाद जर्मन लेफ्टिनेंट जनरल गेरहार्ट्ज ने कहा, “मैंने आज उड़ान भरी, और यह बहुत अच्छा था। इस दौरान भारतीय वायु सेना का विमान आया और हमें रोका।” उन्होंने यह भी कहा, “मैं इस अभ्यास में और ज्यादा उड़ान भरने के लिए उत्सुक हूं।” यह पहली बार था जब जर्मन वायु सेना ने भारत में वायु सेना के अभ्यास में भाग लिया। इस भागीदारी को जर्मनी की इंडो-पैसिफिक नीति में बदलाव का संकेत माना जा रहा है।

भारतीय वायु सेना की रीढ़ बन चुका है तेजस

एलसीए ‘तेजस’ अपने डेवलपमेंट के बाद से एक लंबा सफर तय कर चुका है। यह विमान भारतीय वायु सेना (आईएएफ) की रीढ़ बन रहा है, जिसने युद्धक विमान को अपने भंडार में शामिल कर लिया है और जल्द ही इसे पाकिस्तान के साथ पश्चिमी मोर्चे पर अपने अग्रिम ठिकानों पर तैनात करेगा। तेजस को जल्द ही उत्तरी क्षेत्र में परिचालन भूमिकाओं में तैनात किया जाएगा, जहां इसे पाकिस्तान के एफ-16 और एफ-17 का सामना करना होगा। हालांकि, तेजस के यूरोफाइटर टाइफून को इंगेज करने की घटना ने इस स्वदेशी विमान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में ला दिया है।

यूरोफाइटर टाइफून कितना खतरनाक विमान

यूरोफाइटर टाइफून एक यूरोपीय मल्टीनेशनल ट्विन-इंजन, सुपरसोनिक, कैनार्ड डेल्टा विंग, मल्टीरोल फाइटर जेट है। टाइफून को मूल रूप से एक एयर-सुपीरियरिटी फाइटर जेट के रूप में डिजाइन किया गया था। इसका निर्माण एयरबस, बीएई सिस्टम्स और लियोनार्डो के एक ज्वाइंट होल्डिंग कंपनी ने किया है। ये तीनों कंपनियां यूरोफाइटर जगदफ्लुगजेग जीएमबीएच के माध्यम से परियोजना का अधिकांश हिस्सा संचालित करती हैं। यूके, जर्मनी, इटली और स्पेन का प्रतिनिधित्व करने वाली नाटो यूरोफाइटर और टॉरनेडो मैनेजमेंट एजेंसी इस परियोजना का प्रबंधन करती है और प्रमुख ग्राहक है।

1983 में यूरोफाइटर टाइफून पर शुरू हुआ था काम

यूरोफाइटर टाइफून का डेवलपमेंट 1983 में फ्यूचर यूरोपियन फाइटर एयरक्राफ्ट प्रोग्राम के साथ शुरू हुआ। इसे यूके, जर्मनी, फ्रांस, इटली और स्पेन के बीच एक बहुराष्ट्रीय सहयोग से शुरू किया गया था। इससे पहले, जर्मनी, इटली और यूके ने संयुक्त रूप से पनाविया टॉरनेडो लड़ाकू विमान का विकास और तैनाती की थी। ये देश अपने अलावा भाग लेने वाले दूसरे यूरोपीय संघ के देशों के साथ एक नई परियोजना पर सहयोग करना चाहते थे। हालांकि, डिजाइन अथॉरिटी और ऑपरेशनल जरूरतों पर असहमति के कारण फ्रांस ने इस समूह को छोड़ दिया और अपने स्वदेशी डसॉल्ट राफेल विकसित करने की परियोजना पर काम करने लगा।

1994 में यूरोफाइटर टाइफून ने भरी पहली उड़ान

यूरोफाइटर टाइफून के पहले प्रोटोटाइप ने 27 मार्च 1994 को अपनी पहली उड़ान भरी। विमान का नाम, टाइफून, सितंबर 1998 में अपनाया गया था और उसी वर्ष पहले उत्पादन अनुबंध पर भी हस्ताक्षर किए गए थे। शीत युद्ध के अचानक समाप्त होने से लड़ाकू विमानों की यूरोपीय मांग कम हो गई और विमान की लागत और कार्य हिस्सेदारी पर बहस शुरू हो गई और टाइफून के विकास में देरी हुई। टाइफून ने 2003 में परिचालन सेवा में प्रवेश किया और अब यह ऑस्ट्रिया, इटली, जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, स्पेन, सऊदी अरब और ओमान की वायु सेनाओं के साथ सेवा में है। कुवैत और कतर ने भी विमान का ऑर्डर दिया है, जिससे नवंबर 2023 तक कुल खरीद 680 विमानों तक पहुंच गई है।

यूरोफाइटर टाइफून को हवा में हराना आसान नहीं

यूरोफाइटर टाइफून एक अत्यधिक फुर्तीला विमान है। हवा में डॉगफाइट के दौरान यूरोफाइटर टाइफून को इंजेग करना कोई आसान काम नहीं है। इसे खास तौर पर दुश्मन के लड़ाकू विमान के साथ हवा में युद्ध करने के लिए ही डिजाइन किया गया है। यूरोफाइटर टाइफून को स्टॉर्म शैडो, ब्रिमस्टोन और मार्टे ईआर मिसाइलों सहित विभिन्न हथियारों और उपकरणों से लैस किया गया है। टाइफून ने 2011 में लीबिया में युद्ध के दौरान यूके की रॉयल एयर फोर्स और इतालवी वायु सेना के साथ हवाई टोही और जमीनी हमले के मिशनों को अंजाम देते हुए अपनी पहली लड़ाई लड़ी थी।

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