अंकारा: तुर्की हमेशा इस्लामिक देश होने के कारण पाकिस्तान के समर्थन में रहता है। इस कारण अब तुर्की और भारत के संबंधों में बड़ी गिरावट देखी जा रही है। तुर्की सरकार ने दुनिया के सबसे बड़े हथियार आयातकों में से एक भारत को सैन्य उपकरण बेचने पर सीक्रेट तरीके से प्रतिबंध लगा दिया है। एर्दोगन की सरकार ने बैन का सीधा फैसला नहीं लिया है। लेकिन किसी भी हथियार बिक्री को मंजूरी नहीं दी जा रही है। यह फैसला तब लिया गया है जब कुछ महीनों पहले भारत ने जहाज निर्माण परियोजना में शामिल तुर्की की फर्म के साथ कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया था। तुर्की सरकार ने बैन के बारे में कोई बड़ी घोषणा नहीं की है। लेकिन इसका खुलासा तुर्की संसद में एक बंद दरवाजे के सत्र में हुआ।
विदेश मामलों की समिति में 10 जुलाई 2024 के बहस के विवरण के मुताबिक तुर्की की शीर्ष हथियार खरीद एजेंसी, प्रेसीडेंसी ऑफ डिफेंस इंडस्ट्री (SSB) के उपाध्यक्ष मुस्तफा मूरत सेकर ने अनजाने में इस सीक्रेट नीती का खुलासा कर दिया। हालांकि तुर्की की ओर से उठाए गए इस कदम से कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए। क्योंकि जब भी जियोपॉलिटिक्स की बात आती है तो दोनों एक दूसरे के विपरीत दिखते हैं। पाकिस्तान के साथ करीबी के बीच देखा जाता है कि तुर्की लगातार भारत विरोधी बयान देता है। यही कारण है कि भारत भी तुर्की के खिलाफ खड़ा हो रहा है। वह भी लगातार तुर्की के दुश्मन ग्रीस से जुड़े विवाद को उठाता रहता है।
हथियार बिक्री को नहीं मिली मंजूरी
अप्रैल में भारत ने जहाज निर्माण परियोजना में शामिल तुर्की की एक फर्म के साथ अनुबंध रद्द कर दिया था। साथ ही अप्रैल में ही भारत ने ग्रीस के सेना प्रमुख का स्वागत किया था। सेकर ने अपने खुलासे को संवेदनशील बताते हुए सांसदों को बताया कि जब ग्राहक भारत से जुड़ा होता है तब सरकार की तरफ से एक भी सैन्य वस्तु की बिक्री की मंजूरी नहीं दी जाती। भारत के साथ मतभेद के खतरे के बावजूद गुप्त प्रतिबंध की जानकारी सार्वजनिक कर दी गई है।
कंपनियों को नहीं देते परमिट
भारत दुनिया के शीर्ष पांच हथियार आयातकों में से एक है। यह हथियार कंपनियों के लिए एक बड़ा बाजार है, जो लगभग 100 अरब डॉलर का आयात करता है। उन्होंने कहा, ‘हालांकि हमारी राजनीतिक परिस्थितियों और पाकिस्तान के साथ हमारी दोस्ती के कारण, हमारा विदेश मंत्रालय हमें भारत में किसी भी निर्यात पर सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं देता है और परिणामस्वरूप हम अपनी कंपनियों को कोई परमिट नहीं देते हैं।’ विदेश में तुर्की रक्षा सामग्री की बिक्री के लिए तुर्की सेना से मंजूरी की जरूरत होती है। तुर्की ने कई देशों को ब्लैकलिस्ट कर रखा है, जिन्हें वह हथियार नहीं बेचता।