शिवपुरी: मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के नरवर में सिंध नदी में जल समाधि लिए हुए शिवलिंग के 54 साल बाद ग्रामीणों को दर्शन हुए। शिवलिंग के पूजन के लिए बड़ी संख्या में लोग जुट गए। नदी में पानी कम होने के बाद लोगों ने यहां पर पूजा अर्चना की है। ग्रामीणों ने बताया कि सिंध नदी के पानी में काफी प्राचीन शिवलिंग है। इस नदी में पानी अधिक रहने से यह शिवलिंग जलमग्न रहता है। इस बार बारिश कम होने और नदी में पानी कम हुआ तो यहां पर वर्षों पुराने शिवलिंग के दर्शन होने पर उसे उसके दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंच गए।
नदी के कुंड में 60 फीट भरा रहता है पानी
जिले के नरवर से 20 किलोमीटर पूर्व की दिशा नरवर-करैरा रोड पर बडैरा चौराहे से उत्तर दिशा में स्थित ग्राम पंचायत कालीपहाडी गांव से दो किलोमीटर दूर से सिंध नदी गुजरती है। इस नदी के ही मुहाने पर प्राकृतिक कुंड है। जिसमें शिवलिंग है लेकिन यहां पर लगभग 60 फीट पानी भरा रहता है। नदी में सन 1970 के बाद के बाद इतना पानी कम हुआ है। वैसे वर्ष में जनवरी-फरवरी के बीच थोड़ा बहुत पानी कम होता है इस बीच जब पानी कम होता है तो 1 से 2 फीट शिवलिंग के दर्शन होते हैं लेकिन इस बार नदी में पानी बहुत कम हो गया। सिंध नदी पर पर बने इस कुंड में पानी कम होने के बाद इस बार पूरा शिवलिंग दिख रहा है। 54 साल बाद शिवलिंग के दर्शन होने पर यहां पर ग्रामीणों की भीड़ लग गई।
पहले सूखा पड़ा था तब दिखा था पूरा शिवलिंग
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि काली पहाड़ी गांव से 2 किलोमीटर दूर से नदी गुजरती है। उसमें ही जहां पर प्राकृतिक कुंड है, जिसमें इस कुंड को कालादा के नाम से जाना जाता है। नदी के कुंड में ही प्राचीन शिवलिंग है। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि उनके बुजुर्गों ने बताया था कि 54 साल पहले यह शिवलिंग पूरा दिखाई दिया था क्योंकि तब उसे समय सूखा पड़ा था।
बड़ी संख्या में पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचे ग्रामीण
सिंध नदी में प्राचीन शिवलिंग के बाहर आने के बाद यहां पर बड़ी संख्या में लोग जुट गए और शिवलिंग की पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचे स्थानीय ग्रामीणों ने बताया की धाय महादेव के नाम से यह शिवलिंग लगभग 5 फीट का है और इसका व्यास 4 फिट का है। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि धाय महादेव शिवलिंग के दर्शन की खबर पूरे गांव में पहुंची तो लोग पूजा अर्चना के लिए पूजन सामग्री सहित अन्य सामग्री प्रसादी सामान लेकर के यहां विधि विधान से जलाभिषेक करने के लिए आ गए और यहां पर भंडारी प्रसादी का कार्यक्रम भी हुआ।