कनाडा में आतंकी कैंप चलाता था निज्जर, भारतीय नेताओं को मारने का किया था प्लान, बड़ा खुलासा

ओटावा: खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को एक साल हो गए हैं। निज्जर की मौत के कारण भारत और कनाडा के बीच राजनयिक तनाव देखा गया था। हाल ही में कनाडा की संसद में निज्जर के लिए मौन भी रखा गया। कनाडा भारत के खिलाफ साजिश करने वालों को खुलकर समर्थन देता है। कनाडा ह्यूमन राइट्स और अहिंसा की बात करता है। लेकिन अब एक रिपोर्ट ने निज्जर की पोल खोल दी है, जो दिखाता है कि कनाडा के दोहरे मापदंड हैं। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे निज्जर भारत को तोड़ने के लिए खुलेआम जंग की बात करता था और ट्रेनिंग देता था।

द ग्लोब एंड मेल की रिपोर्ट में कहा गया कि निज्जर खालिस्तान बनाने के लिए लोगों को भड़काता था। साल 2021 में उसने एक भाषण में भारत के खिलाफ हथियार उठाने का आह्वान किया था। उसने कहा कि हमें तलवारों की धार पर नाचना होगा। इसके अलावा उसने उन सिखों के प्रति गुस्सा भी दिखाया जो खालिस्तान बनाने का समर्थन करते हैं, लेकिन इसके राजनीतिक हल की बात करते हैं। निज्जर ने कहा था, ‘हमें उन्हें पीछे छोड़ने की जरूरत है। इस तरह हमें क्या न्याय मिलेगा?’

कब कनाडा पहुंचा निज्जर?

रिपोर्ट में निज्जर की पूरी जीवनी बताई गई है। इसमें कहा गया कि वह किसी भी मामले में दोषी नहीं पाया गया, लेकिन हिंसा को बढ़ावा देता रहा। निज्जर 1997 में टोरंटो आया। अदालती दस्तावेजों के मुताबिक उसके पास रवि शर्मा नाम का एक जाली पासपोर्ट था। उसकी दाढ़ी कटी हुई थी। निज्जर ने अधिकारियों को बताया कि उसने 18 महीने हिरासत के बाद छिपकर बिताए। लेकिन असल में वह यूरोप भाग गया था। रिपोर्ट में कहा गया कि 2016 में मनदीप सिंह धालीवाल नाम के एक शख्स को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, जो पंजाब में आतंकी गतिविधियां अंजाम देना चाहता था। उसी ने कनाडा में आतंकी ट्रेनिंग कैंप का खुलासा किया।

आतंकी कैंप चलाता था निज्जर

रिपोर्ट के मुताबिक धालीवाल निज्जर का करीबी था और शिवसेना के नेताओं को निशाना बनाने की प्लानिंग कर रहा था। रिपोर्ट में धालीवाल के एक करीबी का हवाला दिया गया जिसने 2015 में धालीवाल के साथ ट्रेनिंग कैंप में हिस्सा लिया था। रिपोर्ट के मुताबिक निज्जर के नेतृत्व में पांच युवकों ने हथियार और जीपीएस का प्रशिक्षण लिया। उन्होंने सुरक्षित रूप से बातचीत करने और निशाना लगाना सीखा। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण एक साल तक लगभग ज्यादातर समय हुआ। यह कैंप जैसा नहीं था। रिपोर्ट के मुताबिक निज्जर ने ट्रूडो को एक चिट्टी लिखकर इनकार किया था कि वह किसी भी आतंकी प्रशिक्षण में शामिल नहीं था।

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