पिछले 2 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की जीत में पीएम मोदी का बड़ा हाथ रहा है. उन्होंने पार्टी का एक मजबूत जनाधार बनाया है. जिस वर्ग को कभी सियासत में कमजोर माना जाता था, प्रधानमंत्री ने उसी वर्ग को मजबूत करके सियासी बाजी पलट दी है. ऐसा ही एक वर्ग आदीवासी समाज का है, जिसे पीएम मोदी तराश कर मजबूत कर रहे हैं.
इसमें कोई शक नहीं है कि पिछले कुछ दशकों से उपेक्षित आदिवासी वर्ग की राजनीतिक पार्टियों ने पूछ-परख की है, लेकिन बीजेपी इस वर्ग की महिलाओं को अधिक मौका देकर नया समीकरण गढ़ा है. आदिवासी बहुल राज्य मध्य प्रदेश हो या फिर झारखंड, पीए मोदी जब वहां जाते हैं तो आदिवासी महिलाओं से जरूर बातचीत करते हैं. साथ ही उनके लाइफ स्टाइल, सांस्कृति और परंपराओं से रूबरू होते हैं.
शहडोल में आदिवासी महिलाओं के साथ पीएम ने किया संवाद
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले भी पीएम मोदी शहडोल पहुंचे और गोंड- बैगा वर्ग की आदिवासी महिलाओं के साथ संवाद किया. इसी तरह लोकसभा चुनाव से पहले भी पीएम मोदी झाबुआ गए थे, जहां उन्होंने विलुप्त हो रही विशिष्ट पिछड़ी जनजाति सहरिया महिलाओं से बातचीत की.
मध्य प्रदेश में 3 एसटी सीट पर महिलाओं को टिकट
उस समय पीएम मोदी की दूरदृष्टि का अंदाजा किसी को नहीं था. ऐसे में जब लोकसभा चुनाव के टिकट बंटे उन्होंने मध्य प्रदेश की 3 सीट पर आदिवासी महिलाओं को टिकट देकर सबको चैंका दिया. इसके अलावा बीजेपी ने एससी समुदाय की तीन में से 1 और अनारक्षित वर्ग की 2 ओबीसी महिलाओं को भी टिकट दिया. कुल मिलाकर बीजेपी ने मध्य प्रदेश की कुल 29 लोकसभा सीटों में से छह टिकट पर महिलाओं को मैदान में उतारा है.
झारखंड में 3 महिलाओं को मैदान में उतारा
वहीं, झारखंड में भी बीजेपी ने एसटी कोटे की पांच में से तीन टिकट महिलाओं को दिए हैं. इतना ही नहीं बीजेपी ने महिलाओं को विधानसभा और लोकसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए नारी शक्ति वंदन अधिनियम भी बनाया है. इसके अमल में आने से पहले ही पार्टी ने महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाना शुरू कर दिया है.