मॉस्को: रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से ही पश्चिमी देश भारत को निशाने पर लेने में लगे हैं। भारत ने युद्ध शुरू होने के बाद रूस से तेल खरीदा, जिस कारण दुनिया के हर मंच पर उसे घेरने की कोशिश की जाती है। लेकिन एक बार फिर भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने करारा जवाब दिया है। विदेश मंत्री ने शनिवार को कहा कि कई विकल्प होने के लिए भारत की आलोचना नहीं की जानी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने रूस से तेल खरीदने के अपने रूख और प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
म्यूनिख सम्मेलन से अलग बोलते हुए उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और जर्मन विदेश मामलों की मंत्री एनालेना बेयरबॉक के साथ मंच साझा किया। यहां उन्होंने अमेरिका और रूस के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंध संतुलन पर राय रखी। भारत की विदेश नीति के बारे में सवाल किया गया कि यह कभी गुटनिरपेक्ष थी, लेकिन आज हर गुट की ओर बढ़ रही है। इसको लेकर जयशंकर ने जवाब दिया, ‘क्या यह एक समस्या है? यह एक समस्या क्यों होनी चाहिए।’
मुस्कुराते रह गए ब्लिंकन
जब जयशंकर यह जवाब दे रहे थे तब अमेरिकी विदेश मंत्री उनकी ओर देख रहे थे। डॉ. जयशंकर के बयान के दौरान ब्लिंकन उन्हें देख मुस्कुराते रहे। डॉ. जयशंकर ने आगे कहा, ‘अगर मैं इतना चतुर हूं कि मेरे पास अनेक विकल्प हैं तो आपको मेरी प्रशंसा करनी चाहिए। क्या यह दूसरों के लिए समस्या है? हम समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि अलग-अलग खींचतान और दबाव क्या है। एक आयामी संबंध का होना बेहद कठिन है।’ सवाल पूछने के दौरान रूस से हमले के बाद भी कच्चा तेल खरीदने का उल्लेख किया गया।
डॉ. जयशंकर ने दिया करारा जवाब
इस दौरान भारत को ऐसा दिखाने की कोशिश की गई कि उसे युद्ध में मरने वालों से मतलब नहीं और वह सिर्फ फायदे का सौदा करता है। डॉ. जशंकर ने इसके जवाब में कहा, ‘मैं नहीं चाहता कि आप अनजाने में भी यह आभास दें कि हम पूरी तरह से और बिना भावनात्मक रूप से लेनदेन करते हैं। हम ऐसा नहीं करते। हम लोगों के साथ मिलते हैं, चीजों पर विश्वास करते हैं। उन्हें साझा करते हैं। लेकिन कई बार होता है जब आप अलग-अलग स्थानों पर, विकास के अलग-अलग स्तर, अलग-अलग अनुभव पर हों। तब यह सब इसमें शामिल हो जाता है।’