शिवराज के करीबियों से किनारा, सिंधिया समर्थकों पर दांव और 2024 का प्लान… MP में कैबिनेट विस्तार के सियासी संदेश

मध्य प्रदेश में मोहन यादव के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार में 28 विधायकों को सोमवार को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई. अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए जातीय समीकरण को साधने का काम किया गया है. शपथ लेने वाले मंत्रियों में से 12 ओबीसी वर्ग से हैं जबकि 7 सामान्य वर्ग से, पांच एसटी वर्ग से और 4 एसटी वर्ग से हैं. मोहन यादव खुद ओबीसी वर्ग से आते हैं, जिससे नई सरकार में ओबीसी नेताओं की संख्या 13 हो गई है, जबकि उनके डिप्टी राजेंद्र शुक्ला ब्राह्मण हैं और जगदीश देवरा एसटी वर्ग से आते हैं.

इस बार की कैबिनेट में सिंधिया का दबदबा देखने को मिला है. कारण ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी ऐदल सिंह कंसाना, गोविंद राजपूत, प्रद्युम्न सिंह तोमर और तुलसीराम सिलावट को कैबिनेट में शामिल किया गया है. ये सभी 2020 में कांग्रेस छोड़कर सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गए थे. इनमें से प्रद्युम्न सिंह तोमर और तुलसी सिलावट पिछली शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार में भी मंत्री रहे हैं. वहीं इस बार 17 नए चेहरों को भी जगह दी गई है. 

ये विधायक बनाए गए कैबिनेट मंत्री

1. प्रदुम्न सिंह तोमर
2. तुलसी सिलावट
3. एदल सिंह कसाना 
4. नारायण सिंह कुशवाहा
5. विजय शाह 
6. राकेश सिंह
7. प्रह्लाद पटेल
8. कैलाश विजयवर्गीय
9. करण सिंह वर्मा 
10. संपतिया उईके
11. उदय प्रताप सिंह
12. निर्मला भूरिया
13.विश्वास सारंग
14. गोविंद सिंह राजपूत
15.इंदर सिंह परमार
16.नागर सिंह चौहान
17.चैतन्य कश्यप
18.राकेश शुक्ला 

ये विधायक बनाए गए राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार )

19. कृष्णा गौर
20. धर्मेंद्र लोधी 
21. दिलीप जायसवाल 
22. गौतम टेटवाल
23. लखन पटेल 
24. नारायण पवार 

इन विधायकों को मिला राज्यमंत्री का पद

25. राधा सिंह
26. प्रतिमा बागरी
27. दिलीप अहिरवार
28. नरेन्द्र शिवाजी पटेल

शिवराज कैबिनेट के कई चेहरों को जगह नहीं

इस बार शिवराज सरकार में मंत्री रहे कई बड़े चेहरों को मोहन यादव कैबिनेट में जगह नहीं दी गई है. इनमें शिवराज सरकार में प्रभावशाली मंत्री रहे भूपेंद्र सिंह, गोपाल भार्गव, बृजेंद्र सिंह यादव, ओमप्रकाश सकलेचा, बिसाहूलाल सिंह, मीना सिंह, हरदीप सिंह डंग और ऊषा ठाकुर जैसे नाम शामिल हैं. वहीं इस बार सिंधिया के करीबी डॉ. प्रभुराम चौधरी को भी कैबिनेट से बाहर रखा गया है. अब इसके पीछे कई कारण माने जा रहे हैं. हर नेता को लेकर अलग-अलग कयास लगाए जा रहे हैं.

मोहन यादव कैबिनेट में  दिन है इन्हें  क्यों नहीं मिली जगह?

गोपाल भार्गव: सागर जिले की रहली सीट से लगातार 9 बार विधायक बने गोपाल भार्गव शिवराज सरकार में PWD मंत्री थे. पार्टी ने 70 वर्षीय नेता को प्रोटेम स्पीकर बनाकर पहले ही संकेत दे दिए थे कि उन्हें इस बार कैबिनेट में जगह नहीं मिलेगी. वहीं वह भी घोषणा कर चुके थे कि ये उनका आखिरी चुनाव होगा. मोहन यादव कैबिनट में अधिकतम 67 वर्ष के नेता को चुना गया है. माना जा रहा है कि भार्गव को कैबिनेट में शामिल नहीं करने के पीछे उम्र भी एक फैक्ट हो सकता है.

भूपेंद्र सिंह: शिवराज सरकार में ताकतवर मंत्रियों में से एक भूपेंद्र सिंह खुरई सीट से 2013 से लगातार विधायक चुनकर आ रहे हैं. पिछली सरकार में वह नगरीय प्रशासन मंत्री थे. बताया जाता है कि उनकी कई विधायकों ने शिकायत की थी. वहीं गोविंद सिंह राजपूत से खुली अदावत पार्टी तक पहुंची थी. इनके खिलाफ भ्रष्टाचार की भी शिकायत की गई थी. माना जा रहा है कि इन सभी को ध्यान में रखते हुए उन्हें कैबिनेट में जगह नहीं दी गई है.

बृजेंद्र प्रताप सिंह: पन्ना से विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह पिछले शिवराज सरकार में खनिज मंत्री थे. उन पर आरोप लगे थे कि बतौर खनिज मंत्री उन्होंने अपने रिश्तेदारों और करीबियों को लाभ पहुंचाया है. बताया जाता है कि उनकी ये शिकायतें पार्टी तक पहुंची थी. इसका खामियाजा उन्हें इस बार उठाना पड़ा है औऱ उन्हें मोहन यादव कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया है.

मीना सिंह: शिवराज सरकार में मंत्री रहीं मीना सिंह मानपुर सीट से पांचवीं बार विधायक बनी हैं. बताया जाता है कि भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उन्हें कैबिनेट में जगह नहीं दी गई है. उनकी जगह आदिवासी एवं महिला कोटे से कैबिनेट में संपतिया उईके को मौका दिया गया है.

हरदीप सिंह डंग: चार बार के विधायक हरदीप सिंह डंग प्रदेश में सिख समुदाय का बड़ा चेहरा हैं. पिछली शिवराज सरकार में डंग को मंत्री बनाया गया था. वह शिवराज के करीबी माने जाते हैं. बताया जा रहा है कि संगठन से तालमेल की कमी के कारण उन्हें इस बार कैबिनेट में जगह नहीं दी गई है. हालांकि माना जा रहा है कि उन्हें आगे कैबिनेट में शामिल होने का मौका मिल सकता है.

ओमप्रकाश सखलेचा: पांच बार के विधायक ओमप्रकाश सखलेचा पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र सखलेचा के बेटे हैं. शिवराज सरकार में वह एमएसएमई मंत्री थे. बताया जाता है कि बतौर मंत्री उनका परफोर्मेंस अच्छा नहीं था. इसके चलते उन्हें इस बार कैबिनेट में जगह नहीं दी गई है.

बिसाहूलाल सिंह: आदिवासी नेता बिसाहूलाल सिंह सातवीं बार विधायक चुनकर आए हैं. 73 वर्षीय नेता का उम्र का फैक्टर और विवादित बयान उनके इस बार कैबिनेट में शामिल नहीं होने का कारण बना है. इसके अलावा इस बार 4 विधायकों को आदिवासी कोटे से कैबिनेट में शामिल किया गया है. कोटा पूरा होने के चलते भी बिसाहूलाल को जगह नहीं मिल सकी है.

ऊषा ठाकुर: चौथी बार विधायक बनी ऊषा ठाकुर तीन अलग-अलग सीटों से चुनाव जीती हैं. बताया जा रहा है कि क्षेत्रीय समीकरण के चलते उन्हें मोहन यादव कैबिनेट में जगह नहीं मिल सकी है. वहीं दूसरा कारण संगठन से तालमेल की कमी भी बताई जा रही है. 

डॉ प्रभुराम चौधरी: सिंधिया समर्थक प्रभुराम चौधरी को इस बार कैबिनेट में जगह नहीं मिल सकी है. 2020 में बीजेपी में शामिल होने पर पिछली शिवराज सरकार में उन्हें स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था. तब उन पर विभाग के अधिकारियों के ट्रांसफर को लेकर कई आरोप लगे थे. माना जा रहा है कि इसके चलते उन्हें कैबिनेट में इस बार शामिल नहीं किया गया है.

बृजेंद्र सिंह यादव: लगातार तीन बार विधायक बने बृजेंद्र सिंह यादव सिंधिया समर्थक हैं. उन्हें पिछले बार शिवराज सरकार में राज्यमंत्री बनाया गया था. माना जा रहा है कि कैबिनेट में ओबीसी कोटा पूरा होने के चलते उन्हें इस बार मंत्री नहीं बनाया जा सका है.

 

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