अमेरिका से अवैध प्रवासी भारतीयों के डिपोर्टेशन (निर्वासन) के मामले पर गुरुवार (6 फरवरी) को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में जवाब दिया. राज्यसभा में उन्होंने कहा कि यह कोई नई बात नहीं है, ऐसा सालों से होता आ रहा है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय संबंधों में डिपोर्टेशन एक सामान्य प्रक्रिया है. यह सभी देशों की जिम्मेदारी है कि अगर उनका कोई नागरिक किसी देश में अवैध तरीके से रह रहा है तो उसको वापस लें. यह दुनिया भर के सभी देश स्वीकार कर चुके हैं. प्रत्यर्पण की यह कार्रवाई कोई नई नहीं है, यह सालों से चलती आ रही है.’
विदेश मंत्री ने इसके साथ ही साल 2009 से अब तक हर साल हुए डिपोर्टेशन के आंकड़े भी बताए. उनके द्वारा बताए गए आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 15 सालों में प्रत्येक साल 500 से लेकर 2000 तक अवैध प्रवासी भारतीयों को अमेरिका से डिपोर्ट किया गया.
हथकड़ी पहनाए जाने पर क्या बोले एस जयशंकर?
एस जयशंकर ने कहा, ‘अमेरिका से हम संपर्क में हैं कि किसी भी डिपार्टेड भारतीय के साथ दुर्व्यवहार न हो. भारत सरकार ने कहा हुआ है कि जो भी लोग वापस आ रहे हैं उनके साथ किसी भी तरीके से अमानवीय व्यवहार ना हो. बाकी काउंसलर एक्सेस तभी दिया जा सकता है, जब भारतीय नागरिक इसके लिए रिक्वेस्ट करें.’ सैन्य वाहन के जरिए डिपोर्टेशन के सवाल पर एस जयशंकर बोले कि मिलिट्री एयरक्राफ्ट हो या चार्टर एयरक्राफ्ट हो, प्रोसेस एक ही होता है. उन्होंने यह भी कहा कि 104 लोग वापस आ रहे हैं, ये हमारी जानकारी में था.
सैन्य विमान से डिपोर्ट हुए 104 भारतीय
बुधवार (5 फरवरी) दोपहर एक अमेरिकी सैन्य विमान से अमृतसर एयरपोर्ट पर 104 भारतीयों को उतारा गया. ये वे लोग थे जो अमेरिका में अवैध तरीके से रह रहे थे. डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अवैध प्रवासियों पर उनकी नई नीति के चलते इन लोगों को भारत वापस भेजा गया. दरअसल, ट्रंप सरकार अमेरिका में रह रहे अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें अपने-अपने देश भेज रही है.
बुधवार को भारत आए इन प्रवासियों में से कुछ लोगों ने अपनी आप बीती बताई. इन लोगों ने यह भी बताया कि अमेरिका से भारत तक उन्हें हथकड़ी और बेड़ियों में बांधकर लाया गया. इसी को लेकर गुरुवार को संसद में जमकर हंगामा हुआ. भारी विरोध के चलते संसद की कार्यवाही स्थगित करना पड़ी. जब दोबारा कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्षी पार्टियों ने इस मामले पर सदन में चर्चा की मांग की. यही कारण है कि बजट सत्र के बीच विदेश मंत्री को इस मामले में अपनी बात रखनी पड़ी.
विपक्षी पार्टियों का आरोप
विपक्षी पार्टियों का कहना है कि यह भारत और भारतीयों का अपमान है और इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को ट्रंप प्रशासन से बात करना चाहिए. विपक्षी पार्टियों का यह भी कहना है कि इन लोगों को सैन्य विमान की जगह रेग्यूलर फ्लाइट से भेजा जाना चाहिए था. विपक्ष के नेता इस मामले को भारतीय विदेश मंत्रालय की लापरवाही और कूटनीतिक विफलता भी बता रहे हैं.