नई दिल्ली: भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक और बड़ी सफलता हासिल की है। इसने सुपरसोनिक मिसाइल बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने स्क्रैमजेट इंजन के एक्टिव कूल्ड कम्बस्टर का जमीन पर 120 सेकंड तक सफल परीक्षण किया है। यह देश में पहली बार हुआ है। हाइपरसोनिक मिसाइलें ध्वनि की गति से पांच गुना ज्यादा तेजी से उड़ती हैं। यानी ये मिसाइलें Mach 5 से भी तेज होती हैं।
भारत को पहली बार मिली यह सफलता
दुनिया की बड़ी ताकतें इन मिसाइलों को बनाने में जुटी हैं क्योंकि ये मौजूदा मिसाइल और हवाई सुरक्षा प्रणालियों को चकमा दे सकती हैं। इनकी तेज रफ्तार, बेहतरीन नियंत्रण और कम ऊंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता इन्हें खास बनाती है। DRDO की लैब डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लेबोरेटरी (DRDL) ने हाल ही में जमीन पर 120 सेकंड तक एक्टिव कूल्ड स्क्रैमजेट कम्बस्टर का परीक्षण किया।
हाइपरसोनिक तकनीक में बढ़ा कदम
इस सफलता पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने खुशी जताई। उन्होंने कहा, ‘यह उपलब्धि अगली पीढ़ी की हाइपरसोनिक मिसाइलों के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम है।’ वहीं, डीआरडीओ के एक अधिकारी ने बताया, ‘अमेरिका, रूस, चीन और भारत सहित कई देश हाइपरसोनिक तकनीक पर काम कर रहे हैं।’ इस तकनीक की कुंजी स्क्रैमजेट इंजन हैं। ये इंजन बिना किसी गतिमान पुर्जे के सुपरसोनिक गति से दहन को बनाए रख सकते हैं।
जमीनी परीक्षण में कई उल्लेखनीय उपलब्धियां देखने को मिलीं। जैसे सफल प्रज्वलन और स्थिर दहन। इससे हाइपरसोनिक वाहनों में इसके इस्तेमाल की संभावना दिखती है। अधिकारी ने एक मजेदार उदाहरण देते हुए कहा, ‘स्क्रैमजेट इंजन में प्रज्ज्वलन ऐसा है जैसे ‘तूफान में मोमबत्ती जलाए रखना’।’ ‘स्क्रैमजेट इंजन में प्रज्ज्वलन ऐसा है जैसे ‘तूफान में मोमबत्ती जलाए रखना’।’ इस सफलता में रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (DRDL) और उद्योग द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एंडोथर्मिक स्क्रैमजेट ईंधन की अहम भूमिका है। यह खास ईंधन इंजन को ठंडा रखने और आसानी से आग पकड़ने में मदद करता है।