बिहार में JDU-BJP का 17-17 सीटों पर लड़ना तय: सीतामढ़ी पर 4 पार्टियों में लड़ाई; कुशवाहा-मांझी और चिराग को लेकर क्या है प्लान?

लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र बिहार में एनडीए के भीतर सीट बंटवारे को लेकर बीजेपी और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में लगभग सहमति बन गई है. सब कुछ ठीक रहा तो फरवरी के आखिर तक सीट बंटवारे का ऐलान संभव है. पिछली बार की तरह ही लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और बीजेपी बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. 

जेडीयू सूत्रों के मुताबिक बिहार में दोनों बड़ी पार्टियों के बीच 17-17 सीटों पर लड़ने की सहमति बन गई है. बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीट हैं. सूत्रों का कहना है कि बची हुई 6 सीटों को चिराग पासवान, पशुपति पारस, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी के बीच बांटा जाएगा. 

इन दलों को साधने के लिए राज्यसभा की कुछ सीटों की भी पेशकश की जा सकती है. बिहार में 2019 में जेडीयू और बीजेपी ने 17-17 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. जबकि रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा को 6 सीटें मिली थीं. 

वहीं पासवान बीजेपी कोटा से राज्यसभा भेजे गए थे. हालांकि, इस बार का समीकरण बदला-बदला सा है. एक तरफ एनडीए में जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा नई आमद हैं तो दूसरी तरफ लोजपा 2 धड़ों में बंट चुकी है.

पहले समझिए 2019 का सिनोरियो
2019 के चुनाव में बीजेपी ने पटना साहिब, बेगूसराय, पाटलीपुत्रा, आरा, बक्सर, औरंगाबाद, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, मधुबनी, दरभंगा, अररिया, मुजफ्फरपुर, शिवहर, महाराजगंज, सारण, उजियारपुर और सासाराम सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे थे.

समझौते के तहत जेडीयू को नालंदा, जहानाबाद, काराकाट, सीवान, गोपालगंज, मुंगेर, बांका, पूर्णिया, मधेपुरा, कटिहार, किशनगंज, सुपौल, झंझारपुर, सीतामढ़ी, वाल्मीकिनगर, भागलपुर और गया जैसी सीटें मिली थीं.

लोजपा के खाते में हाजीपुर, वैशाली, जमुई, समस्तीपुर, नवादा और खगड़िया जैसी सीटें गई थीं. किशनगंज को छोड़कर एनडीए ने सभी सीटों पर जीत हासिल की थी. 

एनडीए का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस और आरजेडी ने 5 दलों का गठबंधन तैयार किया था. समझौते के तहत आरजेडी 19, कांग्रेस 9, आरएलएसपी 5, हम और वीआईपी 3-3 सीटों पर चुनाव लड़ी थीं. 

अब 3 प्वॉइंट्स में समझिए सीट बंटवारे का नया सिनोरियो

1. सीट अदला-बदली करने की जुगत में जेडीयू
सूत्रों के मुताबिक, जनता दल यूनाइटेड को 2019 वाली सीटों पर हरी झंडी मिल चुकी है, लेकिन पार्टी कुछ सीटों को बदलने की जुगत में है. जेडीयू की नजर इस बार शिवहर, खगड़िया और समस्तीपुर जैसी सीटों पर है. 

शिवहर सीट अभी बीजेपी के खाते में तो खगड़िया और समस्तीपुर सीट लोजपा के पास है. जेडीयू का तर्क है कि 2020 विधानसभा चुनाव में तमाम साजिशों के बावजूद इन जगहों पर पार्टी का परफॉर्मेंस बढ़िया था. जेडीयू इन सीटों के बदले किशनगंज, बांका और गया जैसी सीट छोड़ने को तैयार है. 

2. सीतामढ़ी सीट पर 4 पार्टियों की दावेदारी
बिहार की सीतामढ़ी एकमात्र सीट है, जिस पर 4 दल एकसाथ दावेदारी कर रहे हैं. यह सीट अभी जेडीयू के पास है और सुनील कुमार पिंटू यहां से सांसद हैं. पिंटू पहले भारतीय जनता पार्टी में रह चुके हैं. जेडीयू के अलावा बीजेपी, चिराग पासवान की लोजपा और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलजेडी यहां से दावेदारी कर रही है.

कुशवाहा और चिराग ने इस सीट के लिए प्रभारी भी नियुक्त कर दिया है. 2014 में उपेंद्र कुशवाहा के उम्मीदवार को इस सीट से जीत हासिल हुई थी. वहीं चिराग नए समीकरण के तहत यह सीट अपनी झोली में चाहते हैं.

सीतामढ़ी की तरह ही जहानाबाद सीट पर 3 पार्टियों की दावेदारी है. जहानाबाद सीट अभी जेडीयू के कब्जे में है, लेकिन उपेंद्र कुशवाहा और चिराग पासवान भी यहां से दावेदारी कर रहे हैं.

3. शहरी सीट सहयोगियों को नहीं देगी बीजेपी 
सूत्रों के मुताबिक पिछली बार की तरह ही शहरी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी खुद चुनाव लड़ेगी. पार्टी शहरी सीट सहयोगी दलों को नहीं देगी. मसलन, पटना और चंपारण की दोनों सीट के साथ-साथ दरभंगा, मुजफ्फरपुर, मधुबनी और सारण सीट को लेकर कोई समझौता नहीं होगा. 

इन सीटों पर 2014 से बीजेपी अकेले चुनाव लड़ रही है. 2019 और 2014 के चुनाव में उत्तर भारत की शहरी सीटों पर बीजेपी ने एकतरफा जीत हासिल की थी. 

इस बार भी पार्टी इन शहरी सीटों को सेफ सीट मान रही है. ऐसे में सहयोगियों को यह सीट देकर बीजेपी रिस्क नहीं लेना चाहती है.

NDA में सीट बंटवारे पर नेताओं के बोल
बिहार में सीट बंटवारे को लेकर पूछे गए सवाल पर जेडीयू के सलाहकार और प्रवक्ता केसी त्यागी कहते हैं, ”सीट बंटवारे को लेकर 2 तथ्य हैं. पहला, जेडीयू पिछली बार बीजेपी के साथ मिलकर 17 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 16 पर जीती थी. दूसरा तथ्य यह है कि हमारी पार्टी झारखंड और यूपी में भी पिछली बार की तुलना में ज्यादा मजबूत है. इसलिए हम वहां भी लड़ना चाहेंगे.” त्यागी के मुताबिक 10 फरवरी के बाद सीट बंटवारे पर फाइनल बातचीत शुरू होगी, जिस पर जल्द ही मुहर लग जाएगी. क्योंकि सबकुछ लगभग तय है.

आरएलजेडी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा का कहना है कि सीट बंटवारा बड़ा मुद्दा नहीं है. हम लोगों का लक्ष्य 40 में से 40 सीट जीतने का है. बिहार एनडीए में जल्द ही सीट बंटवारे का काम हो जाएगा.

ब्लॉक स्तर पर कॉर्डिनेशन कमेटी बनाने की रणनीति
लोकसभा चुनाव में मिशन 40 पर एनडीए नेताओं ने काम करना शुरू कर दिया है. जल्द ही ब्लॉक स्तर पर कॉर्डिनेशन कमेटी का गठन करने की रणनीति है. इस कॉर्डिनेशन कमेटी में सभी दलों ने प्रखंड अध्यक्ष शामिल होंगे. 

जिला स्तर पर भी इसी तरह की एक कमेटी बनाने की तैयारी है. कॉर्डिनेशन कमेटी ही बूथ को साधने का काम करेगी और सभी नेताओं को चुनाव में सक्रिय रखेगी. 

सूत्रों का कहना है कि 12 फरवरी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक साथ मंच साझा कर सकते हैं. इस मंच से सभी नेता कार्यकर्ताओं को एक होने का संदेश देंगे. 

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