अमेरिका में हुए QUAD देशों की बैठक के साझा बयान से भारत के लिए अच्छे संकेत मिल रहे हैं. अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने साझा घोषणापत्र में UNSC में सुधार को लेकर सहमति जताई है. साथ ही व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में भी UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करने की बात कही गई है. माना जा रहा है कि अगर चीन ने अड़ंगा नहीं लगाया तो भारत जल्द UNSC का परमानेंट मेंबर बन सकता है.
दरअसल भारत लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधार की मांग करता रहा है, लेकिन चीन के विरोध के कारण यह मुमकिन नहीं हो पाया. अमेरिका में हुई QUAD समिट के बाद जारी साझा बयान ने अब इस सुधार को लेकर बड़े संकेत दे रहे हैं. इस बयान में न केवल सुधारों का समर्थन किया गया है बल्कि स्थायी सीटों के विस्तार के लिए अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका का प्रतिनिधित्व शामिल करने पर भी बल दिया गया है.
QUAD देशों के साझा बयान में क्या?
अमेरिका में हुई QUAD समिट के बाद जारी सदस्य देशों अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने ‘विलमिंगटन घोषणापत्र’ जारी किया. इस संयुक्त बयान में UNSC में सुधार की आवश्यकता को दोहराया गया, साथ ही इसे अधिक प्रतिनिधि समावेशी, पारदर्शी और लोकतांत्रिक बनाने पर जोर दिया गया है. बयान में कहा गया है कि QUAD के सदस्य देश UNSC में सुधार करेंगे और सदस्यता की स्थायी-अस्थायी कैटेगरी में विस्तार के जरिए अधिक प्रतिनिधि, समावेशी, पारदर्शी, कुशल, प्रभावी, लोकतांत्रिक और जवाबदेह बनाने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया गया है. इसके अलावा स्थायी सीटों का विस्तार करते हुए UNSC में अफ्रीकी, एशियाई, लैटिन अमेरिकी और कैरिबियाई देशों का प्रतिनिधित्व शामिल करने की भी बात कही गई है.
अमेरिका ने भारत का किया समर्थन
QUAD समिट के इतर प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच मुलाकात हुई. इस मुलाकात के बाद व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अमेरिका भारत की महत्वपूर्ण आवाज को मजबूती देने के लिए UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता समेत वैश्विक संस्थानों में सुधार का समर्थन करता है.
स्थायी सदस्यता की मांग करता रहा है भारत
भारत की ओर से UNSC में सुधार की मांग लगातार कई वर्षों से की जा रही है. यह संयुक्त के राष्ट्र के 6 प्रमुख अंगों में से एक है. UNSC में UN के 15 सदस्य देश शामिल होते हैं, इनमें से 5 स्थायी सदस्य हैं जिनके पास वीटो पावर होती है. साथ ही अन्य 10 अस्थायी सदस्य होते हैं, जो 2 साल के लिए चुने जाते हैं. हर 2 साल में अस्थायी सदस्य बदलते रहते हैं.
इसके 5 स्थायी सदस्यों को ‘P5’ भी कहा जाता है, ये हैं- अमेरिका, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और चीन. इन 5 स्थायी सदस्यों में से अगर चीन को छोड़ दिया जाए तो बाकी के सभी देशों के साथ भारत के अच्छे और मजबूत संबंध हैं. फ्रांस पहले ही भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन कर चुका है. रूस और भारत की दोस्ती जो जगजाहिर है. अगर चीन अड़ंगा न लगाए तो भारत के लिए UNSC में परमानेंट एंट्री का रास्ता साफ हो सकता है. दरअसल UNSC में किसी भी मसले पर फैसला लेने के लिए 15 में से 9 सदस्यों की मंजूरी जरूरी होती है, वहीं ‘P5’ देशों में से अगर किसी भी देश ने वीटो पावर का इस्तेमाल कर दिया तो वह फैसला खारिज हो जाता है.
वहीं समय-समय पर भारत की ओर से स्थायी सदस्यता की मांग होती रही है जो अब तक पूरी नहीं हो पाई है. लेकिन QUAD के संयुक्त बयान और व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान ने भारत की उम्मीदें बढ़ा दी हैं.
UNSC के लिए भारत प्रबल दावेदार
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत प्रबल दावेदार है. भारत संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक सदस्यों में से एक है और मौजूदा समय में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. इसके अलावा भारत का बाजार बड़े-बड़े देशों और उद्योगपतियों को आकर्षित कर रहा है जिससे दुनियाभर में इसकी छवि एक ग्लोबल लीडर के तौर पर बनकर उभरी है. पिछले साल G20 के सफल आयोजन ने भी भारत की दावेदारी को बल दिया है. यही नहीं संयुक्त राष्ट्र के ‘पीस मिशन’ में भारत का बड़ा योगदान रहा है. लिहाजा उम्मीद की जा रही है कि UNSC में सुधार के साथ भारत की स्थायी सदस्यता का रास्ता भी साफ हो जाएगा.