पीओके के बाद अब ग्वादर में बढ़ी पाकिस्तान की टेंशन, बलूचों की ‘बेटी’ ने किया जंग का ऐलान

इस्लामाबाद: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) इन दिनों पाकिस्तान के लिए गले की हड्डी बन गया है। पीओके के लोगों ने पाकिस्तानी सेना और पुलिस के अत्याचारों से तंग आकर आर-पार की लड़ाई शुरू कर दी है। हालात इतने खराब हैं कि पाकिस्तानी अर्धसैनिक बलों और पुलिस के जवानों को लोग खदेड़कर मार रहे हैं। इस बीच बलूचिस्तान में भी पाकिस्तान के लिए टेंशन बढ़ गई है। बलूच नेता और सामाजिक कार्यकर्ता महरंग बलूच ने ग्वादर बंदरगाह शहर की बाड़बंदी के खिलाफ विरोध करने की कसम खाई है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का यह कदम बलूच समुदाय को खदेड़ने के लिए मजबूर करने की रणनीति है, ताकि ग्वादर की जमीन को चीन को सौंपी जा सके।

महरंग बलूच ने क्या कहा

एक्स पर एक बयान में, बलूच नेता महरंग बलूच ने रविवार को इस मामले पर ग्वादर में बलूच यकजेहत समिति (बीवाईसी) द्वारा विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की भी घोषणा की। एक्स पर अपनी पोस्ट में, उन्होंने लिखा, “ग्वादर की बाड़ लगाने की औपनिवेशिक परियोजना चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य ग्वादर की स्थानीय आबादी को बेदखल करना और ग्वादर को चीन को सौंपना है। लेकिन हम, स्थानीय आबादी, किसी भी स्थिति में हमारी भूमि और समुद्र को विदेशियों को नहीं सौंपेगी, न ही हम ऐसी किसी परियोजना को सफल होने देंगे, बलूच यकजेहती समिति (बीवाईसी) ग्वादर की बाड़ लगाने के खिलाफ एक प्रतिरोध आंदोलन शुरू कर रही है।”

चीन के खिलाफ भड़का बलूचों का गुस्सा

पिछले बयान में उन्होंने कहा था, ‘विकास और सुरक्षा के नाम पर ग्वादर की बाड़ लगाने और उसे चीन को सौंपने की योजना के खिलाफ हम किसी भी हालत में चुप नहीं रहेंगे, लेकिन हम मजबूत सार्वजनिक प्रतिरोध करेंगे।’ महरंग के अलावा, बलूचिस्तान के एक अन्य नेता सम्मी दीन बलूच ने बलूच समुदाय द्वारा लंबे समय से सहन किए जा रहे जबरन गायब होने का मुद्दा उठाया था। अपने बयान में उन्होंने कहा, “बलूचिस्तान में लापता लोगों की बरामदगी की मांग को अंतरराष्ट्रीय समर्थन और ध्यान मिल रहा है। जवाबी कार्रवाई में, एक तरफ, पाकिस्तानी प्रशासन ने अपने प्रतिनिधियों द्वारा हम पर की गई क्रूरताओं को सही ठहराने के लिए अपना अभियान शुरू कर दिया है।” और दूसरी ओर, यह जबरन गायब किए जाने के पूरे मुद्दे को गलत साबित करने और उसे नीचा दिखाने के लिए अपनी पूरी मशीनरी का उपयोग कर रहा है।”

बलूचिस्तान में लोगों का अपहरण बड़ा मुद्दा

महंग बलूच ने कहा, “बलूचिस्तान में, अपहृत व्यक्तियों में से किसी को भी सुनसान स्थानों से अपहरण नहीं किया जाता है। उनका अपहरण आम तौर पर उनके अपने घरों, कार्यालयों, बाजारों और शैक्षणिक संस्थानों से किया जाता है। ज्यादातर समय, इन व्यक्तियों का अपहरण उनके परिवार के सदस्यों के सामने किया जाता है।” उन्होंने कहा, “ऐसा बहुत कम होता है, लेकिन कभी-कभी, इनमें से कुछ व्यक्तियों को रिहा कर दिया जाता है। उनमें से अधिकांश को मानसिक और शारीरिक यातना दी जाती है। कई अपहृत लोगों के परिवार अभी भी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, और कभी-कभी जो भाग्यशाली लोग वापस लौटते हैं वे पकड़े जाने और प्रताड़ित किए जाने का बयान देते हैं। यहां सवाल सिर्फ यह है कि अगर सभी अपहृत बलूचियां आतंकवादी हैं तो सेना ने जिन्हें रिहा किया, वे कौन हैं? और मीडिया और प्रशासन इन लोगों से यह क्यों नहीं पूछता कि वे कहां थे?

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