नई दिल्ली: भारत ने शुक्रवार को अपने 75वें गणतंत्र दिवस का जश्न मनाया और इस दौरान नारी शक्ति, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और सैन्य ताकत का भव्य प्रदर्शन किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने यहां कर्तव्य पथ पर मुख्य समारोह का नेतृत्व किया, वहीं फ्रांस के उनके समकक्ष इमैनुएल मैक्रों ने मुख्य अतिथि के रूप में समारोह की शोभा बढ़ाई। भारत ने इस दौरान अपनी जिस सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया उसमें मिसाइल, लड़ाकू विमान, निगरानी उपकरण और घातक हथियार प्रणाली शामिल थे।
राष्ट्रपति मुर्मू ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया
गणतंत्र दिवस परेड की शुरुआत राष्ट्रपति मुर्मू और मैक्रों के भारत की राष्ट्रपति के अंगरक्षकों के साथ एक ‘पारंपरिक बग्गी’ में कर्तव्य पथ पर पहुंचने के बाद हुई। राष्ट्रपति मुर्मू ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया और इसके बाद राष्ट्रगान गाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ सहित वहां मौजूद सभी गणमान्य लोगों ने तिरंगे को सलामी दी।
भारत माता की जय के नारों से गूंजा कर्तव्य पथभारत माता की जय’
इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कई अन्य केंद्रीय मंत्री, देश के शीर्ष सैन्य अधिकारी, विदेशी राजनयिक और वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। घने कोहरे के बावजूद बड़ी संख्या में दर्शक भी पहुंचे और इस राष्ट्रीय दिवस के साक्षात गवाह बने। परेड के संपन्न होने पर मुर्मू और मैक्रों के रवाना होने के तुरंत बाद बहुरंगी ‘बांधनी’ प्रिंट का साफा पहने प्रधानमंत्री मोदी कर्तव्य पथ पर पैदल चले और वहां मौजूद लोगों की ओर हाथ हिलाकर उनका अभिवादन किया। वहां मौजूद लोगों में उस समय खुशी की लहर दौड़ गई जब प्रधानमंत्री उनके निकट से गुजरे। इस दौरान लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उनका स्वागत किया और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए।
फ्रांसीसी नेता गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि
गणतंत्र दिवस समारोह के भव्य कार्यक्रम का गवाह बने मैक्रों विश्व के उन चुनिंदा नेताओं की सूची में शुमार हो गए, जिन्होंने पिछले सात दशकों में देश के सबसे बड़े समारोह की शोभा बढ़ाई है। यह छठा मौका था, जब कोई फ्रांसीसी नेता गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बना। पहली बार, कर्त्तव्य पथ पर मार्च करते हुए सेना के तीनों अंगों की महिला सैन्य कर्मियों की टुकड़ी भी आकर्षण का केंद्र बनी। इसका नेतृत्व सैन्य पुलिस की कैप्टन संध्या ने किया।
शंख और नगाड़े से परेड की शुरुआत
साथ ही पहली बार, परेड की शुरुआत 100 से अधिक महिला कलाकारों ने भारतीय वाद्ययंत्र बजाकर की। इन कलाकारों ने शंख, नादस्वरम, नगाड़ा आदि बजाते हुए मधुर संगीत के साथ परेड की शुरुआत की। राष्ट्रीय ध्वज फहराए जाने के बाद स्वदेशी तोप प्रणाली 105-एमएम इंडियन फील्ड गन के साथ 21 तोपों की सलामी दी गई। फिर 105 हेलीकॉप्टर यूनिट के चार एमआई-17 चतुर्थ हेलीकॉप्टर ने कर्तव्य पथ पर उपस्थित दर्शकों पर पुष्प वर्षा की।
राष्ट्रपति के सलामी लेने के साथ परेड शुरू हुई
राष्ट्रपति के सलामी लेने के साथ परेड शुरू हुई। परेड की कमान दूसरी पीढ़ी के सेना अधिकारी परेड कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल भवनीश कुमार, जनरल ऑफिसर कमांडिंग ने संभाली। मेजर जनरल सुमित मेहता, चीफ ऑफ स्टाफ, मुख्यालय दिल्ली क्षेत्र परेड सेकेंड-इन-कमांड थे। मैकेनाइज्ड कॉलम का नेतृत्व करने वाली पहली थलसेना टुकड़ी 61 कैवेलरी की रही, जिसका नेतृत्व मेजर यशदीप अहलावत ने किया। वर्ष 1953 में स्थापित 61 कैवेलरी दुनिया में एकमात्र सेवारत सक्रिय घुड़सवार रेजिमेंट है, जिसमें सभी ‘स्टेट हॉर्स्ड कैवेलरी यूनिट’ शामिल हैं। मैकेनाइज्ड कॉलम में टैंक टी-90 भीष्म, नाग (एनएजी) मिसाइल सिस्टम, इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल, ऑल-टेरेन व्हीकल, पिनाक, वेपन लोकेटिंग रडार प्रणाली ‘स्वाति’, सर्वत्र मोबाइल ब्रिजिंग प्रणाली, ड्रोन जैमर प्रणाली और मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली मुख्य आकर्षण रहे।
कर्तव्य पथ पर सैन्य कर्मियों का जोश हाई
महिला सैन्य कर्मियों की एक और पूर्ण भागीदारी वाली सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा दल (एएफएमएस) टुकड़ी ने मार्च किया। इसका नेतृत्व मेजर सृष्टि खुल्लर ने किया। इसमें आर्मी डेंटल कोर की कैप्टन अंबा सामंत, भारतीय नौसेना की सर्जन लेफ्टिनेंट कंचना और भारतीय वायु सेना की फ्लाइट लेफ्टिनेंट दिव्य प्रिया भी शामिल थीं। सेना के मार्चिंग दस्तों में मद्रास रेजिमेंट, ग्रेनेडियर्स, राजपूताना राइफल्स, सिख रेजिमेंट और कुमाऊं रेजिमेंट शामिल थे। भारतीय नौसेना के दल में 144 पुरुष और महिला अग्निवीर शामिल थे। इनका नेतृत्व दल कमांडर के रूप में लेफ्टिनेंट प्रज्ज्वल एम और प्लाटून कमांडर के रूप में लेफ्टिनेंट मुदिता गोयल, लेफ्टिनेंट शरवानी सुप्रिया और लेफ्टिनेंट देविका एच ने किया। इसके बाद नौसेना की झांकी निकाली गई जिसमें ‘नारी शक्ति’ और ‘स्वदेशीकरण के माध्यम से महासागरों में समुद्री शक्ति’ विषयों को दर्शाया गया। ‘विकसित भारत और भारत-लोकतंत्र की मातृका’(जननी)- दोनों विषयों पर आधारित इस वर्ष के समारोह में लगभग 13,000 विशेष अतिथि शामिल हुए।
मनमोहक झांकी देखकर खुश हुए लोग
परेड में फ्रांस के 95 सदस्यीय मार्चिंग दल और 30 सदस्यीय बैंड टुकड़ी ने भी हिस्सा लिया। दो राफेल लड़ाकू विमानों और फ्रांस की वायु सेना के एक एयरबस ए330 बहुद्देश्यीय टैंकर परिवहन विमान को भी समारोह में शामिल किया गया, जिसका समापन भारतीय वायु सेना के 46 विमानों के फ्लाई-पास्ट के साथ हुआ। भारतीय वायुसेना के दल में 29 लड़ाकू विमान, सात परिवहन विमान, नौ हेलीकॉप्टर और एक विरासत विमान शामिल थे। ये विमान फ्लाई-पास्ट के दौरान छह अलग-अलग बेस से संचालित किये गए। फ्लाई-पास्ट के दौरान लड़ाकू विमानों की छह महिला पायलटों सहित पंद्रह महिला पायलटों ने भारतीय वायुसेना के प्लेटफार्म का संचालन किया। पहली बार, स्वदेश निर्मित तेजस विमान ने चार विमानों की संरचना में उड़ान भरी।परेड का एक और मुख्य आकर्षण ‘राष्ट्र निर्माण: पहले भी, अब भी, आगे भी और हमेशा’ विषय पर दिग्गजों की झांकी रही। इसमें देश की सेवा में पूर्व सैनिकों की बहादुरी और बलिदान को प्रदर्शित किया गया। परेड के दौरान राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 16 झांकियों और केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों की नौ झांकियों ने कर्तव्य पथ की रौनक में चार चांद लगा दिए।
इन राज्यों की झांकियों ने परेड में हिस्सा लिया
जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से झांकी ने परेड में हिस्सा लिया, उनमें अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, मणिपुर, मध्य प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, लद्दाख, तमिलनाडु, गुजरात, मेघालय, झारखंड, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना शामिल हैं।इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय समर स्मारक जाकर शहीदों को कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान और तीनों रक्षा सेवाओं के प्रमुख भी मौजूद थे। इसके बाद प्रधानमंत्री कर्तव्य पथ पर सलामी मंच पर पहुंचे। इसके कुछ ही देर बाद राष्ट्रपति मुर्मू, मैक्रों के साथ पारंपरिक बग्गी से वहां पहुंचीं। यह परंपरा 40 वर्षों के अंतराल के बाद इस साल फिर शुरू की गई है।
क्यों खास रही गणतंत्र दिवस परेड?
यह गणतंत्र दिवस इस विशिष्ट रेजीमेंट के लिए विशेष है क्योंकि ‘अंगरक्षक’ ने 1773 में अपनी स्थापना के बाद से 250 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है। दोनों राष्ट्रपतियों के वहां पहुंचते ही दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उनका स्वागत किया। राष्ट्रपति मुर्मू और मैक्रों ने भी नमस्ते की मुद्रा में उनका अभिवादन स्वीकार किया। वीरता पुरस्कार विजेताओं और प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के विजेताओं ने भी फूलों से सजी जीप पर सवार होकर परेड में हिस्सा लिया।अधिकारियों ने कहा कि लगभग 77,000 अतिथियों के इस कार्यक्रम में शामिल होने का अनुमान है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसरो से लगभग 200 महिलाएं भी इस कार्यक्रम में शामिल हुईं, उनमें से कुछ अपने जीवनसाथी के साथ पहुंची थीं।