मध्य प्रदेश के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों के एक वॉट्सएप ग्रुप पर शुक्रवार को सुबह एक पोस्ट रिटायर्ड अफसर ने डाली तो साथियों ने उस पर आपत्ति जताई। जब पोस्ट डालने वाले रिटायर्ड अधिकारी ने अपने विचारों को नहीं हटाया तो उन्हें साथियों ने ग्रुप से हटा दिया।
बताया जाता है कि भारतीय पुलिस सेवा के मध्य प्रदेश कैडर के अधिकारियों का एक वॉट्सएप ग्रुप है जिसमें कुछ रिटायर्ड अधिकारी भी शामिल हैं। इस ग्रुप के एडमिन 2009 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। इस ग्रुप पर शुक्रवार को हाल ही में रिटायर्ड हुए पुलिस महानिदेशक स्तर के अधिकारी मैथलीशरण गुप्त ने एक पोस्ट अपलोड की थी। यह पोस्ट 1946 की एक घटना के संबंध में थी, जो मुस्लिम लीग के उन नेताओं को लेकर थी जो पाकिस्तान बनाए जाने के पक्षधर थे। मगर विभाजन के बाद ये लोग पाकिस्तान नहीं गए और उन्होंने भारत में ही रहने का निर्णय लिया था.
पोस्ट के अपलोड होने के बाद आपत्तियां
रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी की वॉट्सएप पोस्ट के बाद साथी अधिकारियों ने आपत्तियां लेना शुरू कर दिया। इसमें कुछ वरिष्ठ अधिकारियों से मामले में हस्तक्षेप करने के लिए आग्रह किया गया। कुछ लोगों ने मैथलीशरण गुप्त से बात भी की लेकिन इसके बाद भी उन्होंने अपनी पोस्ट ग्रुप से नहीं डिलीट की तो वॉट्सएप ग्रुप के एडमिन पर उन्हें ग्रुप से हटाने का दबाव बना। मगर पोस्ट अपलोड करने वाले अधिकारी और एडमिन के बीच करीब ढाई दशक सीनियर-जूनियर का अंतर होने से वे सोचते रहे और बाद में गुप्त को ग्रुप से हटा दिया।
मैंने पोस्ट फारवर्ड की थी, पोस्ट में कुछ नहीं था
जब मैथलीशरण गुप्त से बात की तो उन्होंने कहा कि वॉट्सएप ग्रुप पर जो पोस्ट डाली थी, वह किसी और के विचार थे जिनसे वह भी सहमत हैं। पोस्ट को उन्होंने फारवर्ड किया था। उनका कहना है कि उसमें ऐसा कुछ भी गलत नहीं था क्योंकि जो फैक्ट हैं, वही उसमें लिखे गए हैं। मुस्लिम लीग के जो लोग पाकिस्तान चाहते थे, वे विभाजन के बाद यहां क्यूं रुके, इस तथ्य गलत नहीं है।