पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन से तनाव के बीच पैंगोंग झील का परमिट आठ माह बाद सैलानियों के लिए खोल दिया गया है। दोनों देशों की सेनाओं के बीच मई 2020 में झड़प के बाद पैगोंग झील व सटे इलाकों में सामान्य आवाजाही बंद कर दी गई थी। बाद में स्थानीय लोगों को आने जाने की अनुमति तो मिल गई, लेकिन लेह से अग्रिम इलाकों की ओर जाने वाले किसी भी बाहरी के लिए आवाजाही वर्जित कर दी गई थी। लेह प्रशासन ने 10 जनवरी से इनर लाइन परमिट बहाल कर दिया है। हालांकि इसके लिए कोविड गाइडलाइन का पालन जरूरी होगा।
चीन से तनाव वाले क्षेत्र चुशुल से लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद लेह के पार्षद कोंचोक स्टैंजिन इसे स्थानीय पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण कदम मानते हैं। स्टैंजिन के अनुसार लद्दाख की अर्थव्यवस्था का 60 फीसदी हिस्सा पर्यटन पर निर्भर है। सालाना करीब ढाई लाख पर्यटक लद्दाख आते हैं। हर सैलानी पैंगोंग झील देखने जरूर जाता है। एलएसी के हालात के मद्देनजर इनर लाइन परमिट की बहाली से लद्दाख के पर्यटन को प्रोत्साहन मिलेगा। वर्तमान में विंटर एडवेंचर का सीजन चल रहा है।
दुनिया में सबसे ऊंची खारे पानी की झील है पैंगोंग त्सो
मशहूर फिल्मथ्री इडियट्स की शूटिंग के बाद अचानक पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी पैंगोंग झील दुनिया में सबसे ऊंचाई पर स्थित खारे पानी की झील है। समुद्रतल से इसकी ऊंचाई 4350 मीटर है। बदलते मौसम के साथ दिन में कई बार झील का पानी रंग बदलता है। 160 किलोमीटर क्षेत्र में फैली झील का एक तिहाई भाग भारत में हैं जबकि दो तिहाई क्षेत्र एलएसी के उस पार चीन के नियंत्रण में है। झील का पूरा नाम पैंगोंग त्सो है, जिसका तिब्बती भाषा में अर्थ उच्च क्षेत्र में घास के मैदान वाली झील है।