ग्वालियर, । शहरवासियों के लिए अच्छी खबर है, क्योंकि यूनेस्को ने अर्बन लैंडस्केप सिटी प्रोग्राम के तहत ओरछा के साथ ग्वालियर को भी वर्ल्ड हेरिटेज सिटी की सूची में शामिल कर लिया है। यूनेस्को ने इस सूची को इंटरनेट मीडिया पर भी शेयर कर दिया है, जिस पर यूजर्स की सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। पर्यटन से जुड़े विशेषज्ञ इसे शहर के लिए बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं। उनका कहना है हेरिटेज की सूची में आने के बाद ग्वालियर की शक्ल पूरी तरह से बदल जाएगी। कई विदेशी सैलानी ग्वालियर घूमने को विकल्प में मानते हैं। उनकी मंशा शहर में रुकने के जगह ओरछा पहुंचने की रहती है। अब लग रहा है वे ग्वालियर में भी कुछ दिन बिताना चाहेंगे। इस कार्य को पूरा करने के लिए स्मार्ट सिटी का साथ लिया जाएगा, जो कुछ दिनों पहले ही ग्वालियर अंचल को डिजिटल म्यूजियम की सौगात दे चुका है।
प्लानिंग से हाेगा कामः वर्ल्ड हेरिटेज सिटी की सूची में आने के बाद ग्वालियर को पूरी तरह से व्यवस्थित किया जाएगा। मानसिंह पैलेस, गूजरी महल और सहस्त्रबाहु मंदिर के अलावा अन्य धरोहराें का कैमिकल ट्रीटमेंट किया जाएगा। जिससे दीवारों पर उकेरी गई कला स्पष्ट दिखेगी और उसकी चमक भी बढ़ेगी। धरोहर तक पहुंचने वाले मार्ग को सुगम किया जाएगा। विशेष गार्ड नियुक्त किए जाएंगे, जो सैलानियों के पहुंचते ही उनका भारतीय परंपरानुसार स्वागत करेंगे। हर स्थल पर बैठने की व्यवस्था की जाएगी। सुरक्षा, सावधानी और संबंधित धरोहर की खूबियों के बोर्ड लगाए जाएंगे। शहर में गंदगी का निशान नहीं मिलेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि शहर को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी की सूची में शामिल करने के लिए मप्र पर्यटन विभाग ने कई बार यूनेस्को को प्रस्ताव भेजा। काफी कोशिशों के बाद इस प्रस्ताव को स्वीकृति मिली। इससे शहर आने वाले सैलानियों की संख्या में वृद्धि होगी आैर स्थानीय युवाओं को रोजगार अपने ही शहर में मिलेगा।
ग्वालियर और ओरछा का प्रदेश में महत्वपूर्ण स्थानः मप्र पर्यटन विभाग पीएस शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि यूनेस्को ने ग्वालियर और ओरछा को हेरिटेज सिटी बनाने की स्वीकृति दे दी है। इससे संबंधित जानकारी इंटरनेट मीडिया पर भी शेयर कर दी है। ओरछा और ग्वालियर शहर ऐतिहासिक दृष्टिकोंण से मप्र में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। आगे दोनों शहरों की पुरातत्व संपदा को ध्यान में रखते हुए प्लान तैयार किया जाएगा। प्लान को पूरा करने के लिए स्मार्ट सिटी का सहयोग लिया जाएगा। धरोहरों की लोकप्रियता बढ़ाने और इनके संरक्षण के लिए स्थानीय लोगों को भी प्लान से जोड़ा जाएगा।