कोलकाता, । तृणमूल कांग्रेस की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पार्टी के कद्दावर मंत्री शुभेंदु अधिकारी की बगावती के बाद अब सिंगुुर में तृणमूल के दो वरिष्ठ नेताओं मंत्री रबींद्रनाथ भट्टाचार्य और विधायक बेचाराम मन्ना के बीच मतभेद खुलकर सामने आया है। सिंगुुर आंदोलन में इन दोनों नेताओं की अहम भूमिका रही है। एक तरफ जहां इस मतभेद के कारण रबींद्रनाथ भट्टाचार्य ने पार्टी छोड़ने की बात कही है, वहीं बेचाराम मन्ना ने इस्तीफे की पेशकश की है। हालांकि तृणमूल सुप्रीमों ममता बनर्जी के निर्देश पर पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता इस आपसी मतभेद को दूर करने के लिए आगे आए हैं।
सिंगुुर आंदोलन में ममता के साथ रहे रबींद्रनाथ भट्टाचार्य ने पार्टी से इस्तीफा देने की बात कह दी है। भट्टाचार्य ने सिंगुर में टाटा के नैनो कारखाने के खिलाफ आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी। वहीं विधायक बेचाराम मन्ना भी सिंगुर आंदोलन में काफी सक्रिय रहे थे। एक बार फिर रबींद्रनाथ व बेचाराम के बीच विवाद गहरा गया है। बात यहां तक पहुंच गई है कि मन्ना ने विधायक पद से इस्तीफा देने की इच्छा जता दी है।
हालांकि बाद में तृणमूल नेतृत्व ने मन्ना से बात की तो वह मान गए हैं लेकिन अब रबींद्रनाथ क्षुब्ध हैं। क्योंकि, उनके करीबी तृणमूल के ब्लॉक अध्यक्ष महादेब दास को ममता बनर्जी ने पद से हटा दिया है। इसी तरह का बदलाव हुगली जिले के हरिपाल ब्लॉक में भी किया गया जिसके चलते मन्ना भी नाराज हो गए थे। फिलहाल मन्ना मान गए हैं लेकिन रवींद्रनाथ खफा हैं।
बहरहाल आगामी वर्ष चुनाव होना है और उससे पहले तृणमूल के भीतर संग्राम शुभ संकेत नहीं है। जिस तरह से नंदीग्राम और सिंगुर दोनों ही क्षेत्रों में राजनीतिक समीकरण बनने-बिगड़ने लगे हैं उससे ऐसा लग रहा कि तृणमूल के भीतर सब कुछ सही नही हैं।