काठमांडू, प्रेट्र। नेपाल ने दशकों पुरानी परंपरा का निर्वाह करते हुए गुरुवार को भारतीय सेना के प्रमुख जनरल एमएम नरवाने को नेपाली सेना के मानद अध्यक्ष की पदवी दी। दिन दिवसीय दौर का आज उनका आखिरी दिन है। विशेष समारोह में राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने मानद सेनाध्यक्ष की उपाधि से जनरल नरवाने को नवाजा। दोनों देशों की एक-दूसरे के सेना प्रमुख को यह मानद पदवी देने की परंपरा है। दोनों देशों के बीच चल रहे सीमा विवाद और नेपाल सरकार के हाल के महीनों के भारत विरोधी बयानों से इस परंपरा का महत्व इस बार बढ़ गया है।
राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास शीतल निवास में आयोजित समारोह में भंडारी ने जनरल नरवाने को तलवार, अधिकार चिह्न और प्रमाण पत्र दिया। समारोह में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, नेपाल सरकार के मंत्री, भारतीय राजदूत विनय एम क्वात्रा और वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
भारत और नेपाल के बीच एक-दूसरे के सेना प्रमुख को मानद सेनाध्यक्ष की पदवी देने की परंपरा 1950 में शुरू हुई थी। यह दोनों देशों के मजबूत प्रगाढ़ रिश्तों की प्रतीक मानी जाती है। भारतीय सेना के जनरल केएम करिअप्पा नेपाली सेना के मानद अध्यक्ष बनने वाले पहले सेना प्रमुख थे। जबकि नेपाली सेना के वर्तमान प्रमुख जनरल पूर्ण चंद्र थापा को जनवरी 2019 में नई दिल्ली में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारतीय सेना के मानद अध्यक्ष की पदवी से नवाजा था।
नेपाली सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि लंबे समय से जारी यह परंपरा दोनों देशों की सेनाओं के मजबूत संबंधों की प्रतीक है। समारोह के बाद जनरल नरवाने ने राष्ट्रपति भंडारी से मिलकर सम्मान के लिए आभार व्यक्त किया। साथ ही दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर बातचीत की। जनरल नरवाने और भारतीय राजदूत क्वात्रा ने भंडारी के साथ दोनों देशों के संबंध और विकसित करने के तरीकों पर भी चर्चा की। इससे पहले जनरल नरवाने और जनरल थापा के बीच मौजूदा चुनौतियों और संबंध बढ़ाने पर चर्चा हुई। जनरल नरवाने ने नेपाली सैनिकों के स्मारक पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि भी अर्पित की।
भारतीय सेना प्रमुख तीन दिवसीय दौरे पर नेपाल में हैं। उनके दौरे का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के रिश्ते में सीमा विवाद के चलते पैदा हुई कड़वाहट को खत्म करना है। इस साल की शुरुआत में नेपाल सरकार ने उत्तराखंड के कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा पर अपना दावा करते हुए उन्हें अपने मानचित्र में शामिल कर लिया था। इसके बाद दोनों देशों के संबंधों में तनाव पैदा हो गया था। हाल के वर्षो में नेपाल में चीन का प्रभाव तेजी से बढ़ा है। लेकिन अब भारत के सक्रिय होने से साफ हो गया है कि नेपाल के साथ उसके संबंधों में पुरानी गर्माहट बाकी है।