उपचुनाव से पहले बीजेपी ज्योतिरादित्य सिंधिया को झटके पर झटके दे रही है. हालात ये है कि जिस सिंधिया के भरोसे दोबारा सत्ता का सुख भोग रहे हैं. उसी सिंधिया की सत्ता के इस अहम संग्राम में अनदेखी की जा रही है. ऐसा एक नहीं दो नहीं कई बार हुआ है. चुनाव सिंधिया के नाम पर लड़े जा रहे हैं और सिंधिया को ही इम्पोर्टेंस नहीं दी जा रही. जिसका नतीजा ये है कि अब सिंधिया भी बीजेपी की केकैय बन गए हैं. जो नाराज होते हैं और कोप भवन में चले जाते हैं. कोप शांत हो जाता है तो चुनावी मैदान में फिर लौट आते हैं. कुछ दिन पहले जब बीजेपी ने डिजिटल रथ रवाना किए थे. उसके बाद भी सिंधिया के पांच दिन तक कोप भवन में रहने की खबर थी. डिजिटल रथ पर सिर्फ प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पोस्टर थे. जिसकी वजह से सिंधिया नाराज बताए गए. अब बीजेपी ने इन सभी सीटों के लिए संकल्प पत्र जारी किए हैं. हर सीट के लिए एक अलग संकल्प है. पर इन संकल्प पत्रों या कहें कि चुनावी घोषणा पत्र से भी सिंधिया गायब हैं. जिसके बाद से ये खबर है कि सिंधिया फिर बीजेपी नताओं से नाराज हैं और किसी भी वक्त कोपभवन में जा सकते हैं.