Contract Farming New Rules: सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के कानून से जुड़े विवाद के समाधान के लिए नियम और प्रक्रिया जारी कर दी है. हाल ही में फार्मर्स एग्रीमेंट ऑन प्राइस अश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 को लागू किया गया है.
बता दें कि देश के कुछ हिस्सों में कुछ हिस्सों में किसान इस कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं
नई दिल्ली. सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के कानून से जुड़े विवाद के समाधान के लिए नियम और प्रक्रिया जारी कर दी है. हाल में फार्मर्स एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 को लागू किया गया है. बता दें कि पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में किसान इस कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य किसानों को उनकी फसल खराब होने पर सुनिश्चित मूल्य की गारंटी देना है. किसानों को डर है कि कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग कानून किसी भी विवाद के मामले में बड़े कॉर्पोरेट और कंपनियों का पक्ष लेगा. क्योंकि विवाद होने पर किसानों के कोर्ट जाने का अधिकार छीन लिया गया है. विवाद का समाधान एसडीएम और डीएम के ही हाथ में होंगा, जो सरकार की कठपुतली हैं. इस आशंका को खारिज करते हुए, कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि कृषि कानून किसानों के हित के लिए बनाए गए हैं.
किया जाएगा सुलह बोर्ड का गठन- अधिसूचित नियमों के अनुसार, सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) दोनों पक्षों से समान प्रतिनिधित्व वाले सुलह बोर्ड का गठन करके विवाद को हल करेंगे. एक अधिकारी ने कहा, सुलह बोर्ड की नियुक्ति की तारीख से 30 दिनों के भीतर सुलह की प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए. यदि सुलह बोर्ड विवाद को हल करने में विफल रहता है, तो या तो पार्टी उप-विभागीय प्राधिकरण से संपर्क कर सकती है, जिसे उचित सुनवाई के बाद आवेदन दाखिल करने के 30 दिनों के भीतर मामले का फैसला करना होगा.
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