सहारा समूह ने सोमवार को कहा कि उसने अपनी चार सहयोगी सहकारी ऋण समितियों से जुड़े 10 लाख से अधिक सदस्यों को पिछले 75 दिन में 3,226 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। इनमें उन लोगों को भी आग्रह पर भुगतान किया है जिन्होंने देरी से भुगतान किए जाने की शिकायत की थी। समूह ने कहा है भुगतान में कुछ देरी हुई है। इसकी वजह बताते हुए समूह ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले आठ साल तक उसके भुगतान पर रोक लगा रखी थी जबकि ब्याज सहित करीब 22,000 करोड़ रुपये की राशि सहारा- सेबी खाते में जमा की गई है। यह राशि उसकी दो समूह कंपनियों के बॉन्डधारकों को लौटाने के लिए जमा की गई है।
सहारा का बयान: भुगतान के लिए कोई भी दावेदार नहीं बचा
सहारा ने एक बयान जारी कर कहा है कि पिछले आठ साल में बार बार प्रयास किए जाने के बावजूद सेबी केवल 106.10 करोड़ रुपये का ही भुगतान बॉन्डधारकों को कर पाया है। समूह का कहना है कि इससे उसके इस दावे की ही पुष्टि होती है कि भुगतान के लिए कोई भी दावेदार नहीं बचा है क्योंकि नियामक द्वारा सहारा समूह को धन उसके पास जमा करने के लिए कहने से पहले ही समूह अधिकतमर बॉन्डधारकों को उनका धन लौटा चुका था। समूह ने उम्मीद जताई है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक जरूरी जांच परख और सत्यापन के बाद यह 22,000 करोड़ रुपये की राशि उसके पास लौट आएगी।
सहारा समूह ने उस पर लगाई गई रोक के बारे में बताया कि, ”सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक सहकारी समितियों सहित समूह की अथवा उसके संयुक्त उद्यमों से जुड़ी किसी भी संपत्ति की बिक्री अथवा उसे रहन पर रखने से जो भी धन प्राप्त होगा उसे सहारा- सेबी खाते में जमा कराना होगा। समूह ने कहा है, ”हम एक रुपया भी अपने संगठनात्मक कार्य के लिए खर्च नहीं कर सकते हैं, यहां तक कि अपने निवेशकों को भुगतान करने के लिए भी धन का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।
देरी से भुगतान की शिकायत करने वाले मात्र 0.07 प्रतिशत
समूह ने बयान में कहा है कि पिछले 75 दिन में देरी से भुगतान की शिकायत करने वालों को किए गये 2.18 प्रतिशत भुगतान सहित कुल 3,226.03 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया गया है। इसमें सहारा के देशभर के 8 करोड़ निवेशकों में से देरी से भुगतान की शिकायत करने वाले मात्र 0.07 प्रतिशत हैं। समूह ने बयान में कहा है, ”सहारा ने पिछले 10 साल के दौरान अपने 5,76,77,339 माननीय निवेशकों को 1,40,157.51 करोड़ रुपये की राशि का परिपक्वता भुगतान किया है। इसमें से केवल 40 प्रतिशत मामले ही निवेश को फिर से निवेश करने के रहे हैं शेष को नकद भुगतान किया गया।
सहकारी समितियों के केन्द्रीय पंजीयक ने हाल ही में सहारा समूह से जुड़ी चार सहकारी समितियों द्वारा जुटाई गई 86,600 करोड़ रुपये की रशि में से किए गये निवेश की गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) से जांच की मांग की थी। हालांकि, ऋण समितियों ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उनका पूरा निवेश कानून के दायरे में नियमों के मुताबिक किया गया है।
समितियों ने यह भी कहा कि उन्होंने इन आरोपों को लेकर उचित मंच पर विरोध दर्ज किया है। सहारा समूह ने अपने बयान में यह भी कहा है कि कुछ मीडिया रिपोर्टों में ऐसा आभास दिया गया है कि सहारा चिट फंड के व्यवसाय में है, लेकिन यह पूरी तरह से गलत और भ्रामक सूचना है। ”सहारा कभी भी चिटफंड के कारोबार में नहीं रहा है, न तो पहले और न ही वर्तमान में है। सहारा ने हमेशा से ही नियामकीय कानूनी ढांचे के भीतर रहते हुए काम किया है।